AYODHYA. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला विराजमान होने वाले हैं। इसके लिए तैयारी जोरों पर है। भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार हैं। उनका जन्म अयोध्या में त्रेता युग में सूर्यवंश में हुआ था। हम आपको बता रहे हैं भगवान राम की वंशावली...
विवस्वान से सूर्यवंश का आरंभ
ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि हुए। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के पुत्र विवस्वान हुए। विवस्वान से ही सूर्यवंश का आरंभ माना जाता है। विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु हुए।
वैवस्वत मनु के 10 पुत्र
इल
इक्ष्वाकु
कुशनाम (नाभाग)
अरिष्ट
धृष्ट
नरिष्यन्त
करुष
महाबली
शर्याति
पृषध
इक्ष्वाकु के कुल में जन्मे भगवान राम
भगवान राम का जन्म वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था। जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल में जन्मे थे।
इक्ष्वाकु वंश
इक्ष्वाकु से सूर्यवंश में वृद्धि होती गई। इक्ष्वाकु वंश में कई पुत्रों ने जन्म लिया। इनमें विकुक्षि, निमि और दण्डक हुए। वक्त के साथ धीरे-धीरे ये वंश परंपरा आगे बढ़ी। हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर का भी जन्म हुआ। इक्ष्वाकु के वक्त ही अयोध्या नगरी की स्थापना हुई थी। कौशल देश के राजा इक्ष्वाकु थे। इसकी राजधानी साकेत थी, जिसे अयोध्या कहा जाता है।
ऐसे बढ़ा इक्ष्वाकु वंश
इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र विकुक्षि हुए। इसके बाद में विकुक्षि के पुत्र बाण हुए। बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य के पुत्र पृथु और पृथु के पुत्र त्रिशंकु हुए। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए। वहीं मान्धाता के पुत्र सुसन्धि हुए। सुसन्धि के पुत्र ध्रुवसन्धि और प्रसेनजित हुए। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
दिलीप के पुत्र भगीरथ
भरत के पुत्र असित हुए। असित के पुत्र सगर हुए। अयोध्या के पराक्रमी राजा सगर थे। सगर के पुत्र असमंज हुए। असमंज के पुत्र अंशुमान हुए। अशुंमान से दिलीप और दिलीप से भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही कठिन तप करके मां गंगा को पृथ्वी पर लाए थे। भगीरथ के पुत्र कुकुत्स्थ हुए और कुकुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
रघु से रघुवंश
रघु का जन्म होने पर ही कुल का नाम रघुवंश हुआ। रघु ओजस्वी और पराक्रमी थे। रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के नाभाग और उनके पुत्र अज हुए। अज के पुत्र दशरथ हुए। दशरथ अयोध्या के राजा बने। दशरथ के 4 पुत्र हुए। राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न हुए। भगवान राम का जन्म ब्रह्मा जी की 67वीं पीढ़ी में हुआ था।