रविकांत दीक्षित, AYODHYA. 6 दिसंबर 1992...यही वही दिन था, जब राम मंदिर आंदोलन ने अपना आधा सफर तय कर लिया। कारसेवकों की भीड़ विवादित ढांचा गिरा चुकी थी। इसके जवाब में सियासत ने भी करवट बदली। केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने बीजेपी नीत चार राज्यों की सरकार को बर्खास्त कर दिया। कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और हिमाचल में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। बाद में जब इन राज्यों में चुनाव हुए तो बीजेपी को सियासी तौर पर नुकसान हुआ। मध्यप्रदेश और हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हो गई। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह ने सरकार बनाई। हालांकि, राजस्थान में बीजेपी ने वापसी कर अपनी लाज बचाई।
केंद्र ने अधिग्रहीत की 67 एकड़ जमीन
इधर, कारसेवा के बाद हाईकोर्ट ने कल्याण सरकार की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को रोक दिया। फिर 1993 की शुरुआत में केंद्र सरकार ने संसद से कानून बनाकर विवादित परिसर और आसपास की करीब 67 एकड़ जमीन को अधिग्रहीत कर लिया था।
बीजेपी का हिन्दुत्व कार्ड
यहां से बीजेपी ने हार्ड हिन्दुत्व की राह पकड़ ली। वर्ष 1996 में हुए आम चुनावों में बीजेपी देश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार सरकार बनी। जैसा कि अंदेशा था, वही हुआ। वाजपेयी बहुमत साबित नहीं कर सके। लिहाजा, सरकार गिर गई। फिर 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने वापसी की और वाजपेयी दोबारा प्रधानमंत्री बने।
गोधरा में कारसेवकों पर हमला
समय का पहिया बढ़ता गया। वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार की गाड़ी दौड़ती रही। 17 फरवरी 2002 को विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में पूर्णाहुति यज्ञ कराया। संपूर्ण अवध शंख ध्वनि और मंत्रोच्चार से गुंजायमान हो गया। यज्ञ खत्म हुआ ही था कि एक और बवाल हो गया। 27 फरवरी 2002 को इस यज्ञ से लौट रहे कारसेवकों पर गुजरात के गोधरा में हमला हो गया। करीब पांच दर्जन लोगों की मौत हो गई। यहां से निकली चिंगारी पूरे देश में दंगों के रूप में फैल गई थी।
विहिप ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
स्थिति कुछ सामान्य हुई तो 6 मार्च 2002 को केंद्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अयोध्या मामले की जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। 14 दिन बाद 20 मार्च को अदालत ने हर दिन सुनवाई का निर्णय लिया। अदालती सुनवाई का दौर जारी हो गया था। करीब एक वर्ष तक यह सिलसिला चलता रहा। 24 फरवरी 2003 को विहिप ने राम मंदिर आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे डाली।
ASI ने शुरू किया खनन का काम
राम मंदिर आंदोलन की यात्रा में 5 मार्च 2003 का दिन भी खास अहमियत रखता है। यही वही दिन था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को सर्वे का आदेश दिया। इसके जरिए अदालत जानना चाहती थी कि अयोध्या की विवादास्पद जगह पर मंदिर था या नहीं। कोर्ट का आदेश पाकर ASI ने अपना काम शुरू कर दिया।
निरंतर...
अयोध्या नामा के अगले भाग में पढ़िए...
- 10वें शतक के मंदिर के जब मिले अवशेष तो झूम उठा देश
- चुनाव में बीजेपी गठबंधन को हराकर कांग्रेस सत्ता में लौटी