रविकांत दीक्षित, AYODHYA. हमारा देश अवतार और नायकों के चमत्कारों, शौर्य गाथाओं से भरा है। यहां ऐसे आदर्श व्यक्तित्व हुए, जिन्हें हजारों बरसों की सभ्यता में हमने मूल्यों की तरह स्वीकार किया है। सूर्यवंशी भगवान श्रीराम की गाथा भी जनमानस में ऐसा ही स्थाई भाव बना चुकी है। कहा जाता है कि वाल्मिकी जी ने जब रामायण लिखी उससे भी 100 वर्ष पहले रामकथा लिखी जा चुकी थी।
रामकथा पर पहला ग्रंथ दशरथ जातक है
राम शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'वह जो रोम-रोम में बसे'। भगवान के इस रूप का वर्णन एक नहीं, अनेक ग्रंथों में मिलता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि रामायण पर लिखा गया पहला ग्रंथ वाल्मीकि रामायण नहीं, पहली पहला ग्रंथ दशरथ जातक है। दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में 300 से ज्यादा रामकथाएं प्रचलित हैं। करीब तीन हजार लोक कथाएं हैं। भारत के अलावा और भी देशों में किसी ना किसी रूप में रामकथाएं प्रचलित हैं।
सबसे प्रचलित महाकाव्य के रूप में वाल्मीकि रामायण मानी जाती है। इसके 24,000 श्लोक हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा की गाथा कही गई है। कहा जाता है कि इससे भी 100 वर्ष पहले रामकथा लिखी जा चुकी थी।
भगवान श्रीराम की कथाओं पर 'द सूत्र' की खास रिपोर्ट...
फादर कामिल बुल्के का गहन शोध
'अंग्रेजी हिन्दी कोष' के लेखक, हिन्दी के विद्वान और समाजसेवी फादर कामिल बुल्के ने रामकथा पर गहन शोध किया है। इस पर उनकी एक किताब 'रामकथाः उत्पत्ति और विकास' अथाह ज्ञान का संसार है। किताब में उन्होंने दुनियाभर की रामकथाओं का विश्लेषण किया है। प्रो. बुल्के की ही पुस्तक से अलग-अलग रामकथाओं पर कुछ रोचक तथ्य सामने आते हैं।
दशरथ जातक कथा भी है...
अमूमन माना जाता है कि भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व पर पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि की रचित रामायण है, लेकिन ऐसा नहीं है। रामकथा का सबसे पहला बीज दशरथ जातक कथा में मिलता है। ये संभवतः ईसा से 400 वर्ष पहले लिखी गई थी। फिर ईसा से 300 साल पूर्व का काल वाल्मीकि रामायण का मिलता है। वाल्मीकि रामायण को ज्यादा प्रमाणिक इसलिए भी माना गया है, क्योंकि वाल्मीकि श्रीराम के समकालीन थे। मां सीता ने उनके आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था।
सबसे पहले ऋग्वेद में उल्लेख
राम का पहली बार उल्लेख वाल्मीकि ने रामायण में किया था। वेदों में श्रीराम का नाम एक-दो स्थानों पर मिलता है। ऋग्वेद में राम को एक प्रतापी और धर्मात्मा राजा बताया गया है। हालांकि यह स्पष्ट रूप से नहीं है कि ये राजा भगवान श्रीराम ही थे या कोई और। वहीं, ऋग्वेद ने सीता को भी कृषि की देवी माना है। ऋग्वेद के 10वें मंडल में ये सूक्त मिलता है, जो कृषि के देवताओं की प्रार्थना के लिए लिखा गया है।
संस्कृत में 17 तरह की कथाएं
यूं तो हमारे देश में करीब करीब हर भाषा में रामकथाएं हैं, लेकिन सबसे ज्यादा संस्कृत और उड़िया भाषा में है। संस्कृत में करीब 17 तरह की छोटी-बड़ी रामकथाएं हैं, जिनमें वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य और कालिदास जैसे ऋषियों और कवियों की रचनाएं हैं। ऐसे ही उड़िया भाषा में 14 तरह की रामकथाएं हैं। सभी के कथानक मूलतः वाल्मीकि रामायण से प्रेरित मिलते हैं।
दुनियाभर में अलग-अलग कथाएं
भारत के बाहर भी रामकथाएं प्रचलित हैं। इनमें नेपाल में भानुभक्तकृत रामायण, सुन्दरानन्द रामायण, आदर्श राघव, कंबोडिया में रामकर, तिब्बत में तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तान में खोतानी रामायण, इंडोनेशिया में ककबिन रामायण, जावा में सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानी रामकथा, इण्डोचायना में रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैर रामायण, बर्मा (म्यांम्मार) में यूतोकी रामयागन और थाईलैंड में रामकियेन कथा प्रचलित है।
कई देशों में मिलता है उल्लेख
नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड जैसे देशों की संस्कृति व ग्रंथों में भगवान श्रीराम का उल्लेख मिलता है। दुनियाभर में बिखरे शिलालेख, भित्तिचित्र, सिक्के, रामसेतु, अन्य पुरातात्विक अवशेष, प्राचीन भाषाओं के ग्रंथ आदि से राम के होने की पुष्टि होती है।
भारत में रामायण...
1. रामायण: रामायण को वाल्मीकि ने राम के काल में ही लिखा था, इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणिक माना गया है। रामायण और महाभारत ही हिन्दू इतिहास और राम व कृष्ण की प्रामाणिक जानकारी देते हैं।
2. रामचरित मानस: गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस लिखा है। उनकी मूल रचना अवधी भाषा में है। रामायण से अधिक इस ग्रंथ की लोकप्रियता है, लेकिन यह ग्रंथ भी रामायण सहित अन्य ग्रंथों और लोक-मान्यताओं पर आधारित है।
3. अन्य भारतीय रामायण: तमिल में कम्बन रामायण, असम में असमी रामायण, उड़िया में विलंका रामायण, कन्नड़ में पंप रामायण, कश्मीर में कश्मीरी रामायण, बंगाली में रामायण पांचाली, मराठी में भावार्थ रामायण मिलती है।