AYODHYA. अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर चल रही हैं। जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तारीख नजदीक आ रही वैसे-वैसे राम भक्तों की उत्सुकता बढ़ती जा रही है कि राम मंदिर के गर्भगृह में कौन सी मूर्ति स्थापित की जाएगी। इसी बीच राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा का चयन रविवार को हो गया। सूत्रों के अनुसार अरुण योगीराज ने जिस मूर्ति का निर्माण किया था, वह मूर्ति लगभग फाइनल मानी जा रही है। हालांकि अभी तक राम मंदिर ट्रस्ट इस पूरे मामले पर कुछ भी नहीं बोल रहा है। वहीं इस प्रतिमा की फोटो भी जारी नहीं की गई है।
दरअसल, शुक्रवार को हुई बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने 3 प्रतिमाओं पर अपना मत लिखित रूप से महासचिव चंपत राय को दे दिया था। 5 वर्ष के बालक स्वरूप प्रभु राम की प्रतिमा का निर्माण 3 अलग -अलग मूर्तिकारों ने किया है, प्रतिमा को लेकर आधिकारिक फैसला कुछ दिनों में आने की संभावना है।
महासचिव चंपत राय ने दी जानकारी
प्रतिया चयन को लेकर महासचिव चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जिसमें रामलला 5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। प्रतिमा में रामलला को खड़े हुए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है जो राजा का पुत्र लगे और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी।
मूर्तिकार योगीराज की बनाई प्रतिमा का चयन!
सूत्रों की मानें तो नीले पत्थर से रामलला की प्रतिमा तैयार की गई है। मूर्तिकार योगीराज की बनाई प्रतिमा का चयन किया गया है। बताया जा रहा है कि रामलला की तीन प्रतिमाओं का निर्माण 3 मूर्तिकारों गणेश भट्ट, अरुण योगीराज और सत्यनारायण पांडेय ने तीन पत्थरों से किया है। इसमें सत्यनारायण पांडेय की प्रतिमा श्वेत संगमरमर की है। जबकि शेष दोनों प्रतिमाएं कर्नाटक के नीले पत्थर की हैं। इसमें गणेश भट्ट की प्रतिमा दक्षिण भारत की शैली में बनी थी। इस कारण अरुण योगीराज की प्रतिमा का चयन किया गया है।
जानें कौन है अरुण योगीराज
रामलला की प्रतिमा तैयार करने वाले 37 वर्षीय अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। योगीराज ने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए किया है। इसके उन्होने एक निजी कंपनी के लिए काम किया। उन्होंने प्रतिमाएं बनानी शुरू की। हालांकि प्रतिमाएं बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।