अयोध्या के साथ ही ये हैं भारत के 7 प्रसिद्ध प्रभु श्रीराम के मंदिर, जानें पौराणिक महत्व, इतिहास और इनसे जुड़ी रोचक बातें

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Vikram Jain
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अयोध्या के साथ ही ये हैं भारत के 7 प्रसिद्ध प्रभु श्रीराम के मंदिर, जानें पौराणिक महत्व, इतिहास और इनसे जुड़ी रोचक बातें

AYODHYA/BHOPAL. अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भक्तों में खासा उत्साह है। 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोर-शोर चल रही हैं। हर कोई राम भक्त अयोध्या पहुंचकर प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर देखना चाहता और दर्शन करना चाहता हैं। अयोध्या में होने जा रहे हैं रामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरा देश राममय बना हुआ है। 22 जनवरी को भगवान राम अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगे, इसे साथ अपने आराध्य के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाएगा।

भारत में श्री रामचंद्र के कई मंदिर

भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में जाना जाता है। भारत में आप कहीं भी जाएं, एक शब्द जो आपको हमेशा सुनने को मिलेगा वह है 'राम'। भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे और दुनिया भर के हिंदु अपने आराध्या श्री राम की पूजा की करते हैं। राम जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर के साथ ही भारत में श्री रामचंद्र के कई मंदिर हैं जो हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं। साथ ही ये मंदिर वहां के लोगों के लिए रोजी रोजी का प्रमुख साधन भी हैं। आज हम जानेंगे कि भारत में कितने प्रसिद्ध राम मंदिर हैं और पौराणिक कथाओं में इनका महत्व क्या है।

1. राम मंदिर, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)

सबसे पहले बात करेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की... यहां 500 सालों के संघर्ष और बलिदान के बाद रामलला का भव्य और अलौलिक मंदिर बनकर तैयार हो गया हैं। 22 जनवरी के शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर का लोकार्पण होगा। राम मंदिर हमेशा हिंदुओं के लिए प्रमुख रहा है क्योंकि इसे भगवान राम की जन्मभूमि 'राम जन्मभूमि' कहा जाता है। सरयू नदी के तट पर स्थित यह राम मंदिर हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखता है। जहां राजा श्री राम का जन्म हुआ था, उस स्थान की एक झलक पाने के लिए हर साल हजारों भक्त इस दिव्य भूमि की ओर आकर्षित होते हैं। शांत घाट, सुंदर मंदिर और भगवान राम में हिंदुओं की अपार आस्था अयोध्या में राम मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। अयोध्या हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।

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अयोध्या के दर्शनीय स्थल

अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है। जो अब और भी भव्य और सुंदर बन गई है। सरयू नदी यहां से होकर बहती है। सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहां राम मंदिर के साथ बजरंगबली का हनुमानगढ़ी मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है।

हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन के बिना अधूरी है श्रीराम की पूजा

रामलला के धाम अयोध्या में प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है। हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी ने की थी। अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित है हनुमानगढ़ी मंदिर.मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तजनों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। कहते हैं यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है। हनुमानगढ़ी भगवान बजरंगबली का घर कहा गया है। माना जाता है कि जब भगवान राम, हनुमान जी सहित लंका विजय करने के बाद अयोध्या आए थे तब से ही हनुमान जी यहां एक गुफा में रहने लगे थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे।

स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर बसी हुई है। धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने ब्रह्मा, मनु, देव शिल्पी विश्वकर्मा और महर्षि वशिष्ठ को अपने रामावतार के लिए भूमि चयन करने के लिए भेजा था, जिसके बाद भगवान विश्वकर्मा ने इस नगर का निर्माण किया। अयोध्या पर राज करने वाले राजा दशरथ अयोध्या के 63वें शासक थे।

'गंगा बड़ी गोदावरी, तीर्थ बड़ो प्रयाग,

सबसे बड़ी अयोध्या नगरी जहां राम लियो अवतार...'

भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश राज्य की सबसे प्रसिद्ध नगरी है। मथुरा-हरिद्वार, काशी, उज्जैन, कांची और द्वारका की तरह अयोध्या को भी हिंदुओं के प्राचीन सात पवित्र स्थलों यानी सप्तपुरियों में से एक माना गया है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर कहा गया है, जिसकी तुलना स्वर्ग से की गई है।

2. राम राजा मंदिर, ओरछा (मध्य प्रदेश)

अयोध्या के रामलला के साथ ही ओरछा के राजाराम भी हमेशा चर्चा में रहते हैं। जिस तरह अयोध्या के रग-रग में राम हैं, ठीक उसी प्रकार ओरछा की धड़कन में भी राम विराजमान हैं। मध्य प्रदेश के ओरछा में स्थित राम राजा मंदिर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां राम को भगवान के रूप में नहीं, बल्कि राजा के रूप में पूजा जाता है। इस राम मंदिर का निर्माण एक भव्य किले के रूप में मंदिर के पहरेदार के रूप में कार्यरत पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर किया गया है। यहां हर दिन राजाराम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता हैं और राजा राम को शस्त्र सलामी दी जाती है। राम राजा मंदिर में भगवान राम की मूर्ति को पहले चतुर्भुज मंदिर में रखा जाना था। लेकिन जिस स्थान पर यह अभी स्थापित है, उस स्थान पर टिक जाने के बाद कोई भी उसे वहां से हिला नहीं पाया। राम राजा मंदिर की दीवारें और संगमरमर का प्रांगण इस मंदिर की सुंदरता को बढ़ाते हैं और इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ राम मंदिरों में से एक बनाते हैं।

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अयोध्या और ओरछा का 600 साल पुराना नाता

पौराणिक कथाओं के अनुसार अयोध्या और ओरछा का करीब 600 वर्ष पुराना नाता है, कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले आईं थीं, ओरछा के शासक मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे, जबकि उनकी महारानी कुंवरि गणेश, राम उपासक। इसके चलते दोनों के बीच अक्सर विवाद भी होता था। एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने का प्रस्ताव द‍िया पर उन्होंने विनम्रतापूर्वक उसे अस्वीकार करते हुए अयोध्या जाने की जिद कर ली, तब राजा ने रानी पर व्यंग्य किया क‍ि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ। इस पर महारानी कुंवरि अयोध्या रवाना हो गईं, वहां 21 दिन उन्होंने तप किया, इसके बाद भी उनके आराध्य प्रभु राम प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने सरयू नदी में छलांग लगा दी, कहा जाता है क‍ि महारानी की भक्ति देखकर भगवान राम नदी के जल में ही उनकी गोद में आ गए, तब महारानी ने राम से अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया तो उन्होंने तीन शर्तें रख दीं. पहली, मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा, दूसरी, ओरछा के राजा के रूप विराजित होने के बाद क‍िसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी, तीसरी और आखिरी शर्त खुद को बाल रूप में पैदल एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों को साथ ले जाने की थी, महारानी ने ये तीनों शर्तें सहर्ष स्वीकार कर ली, इसके बाद ही रामराजा ओरछा आ गए, तब से भगवान राम यहां राजा के रूप में विराजमान हैं। एक दोहा आज भी रामराजा मन्दिर में लिखा है कि रामराजा सरकार के दो निवास हैं 'खास दिवस ओरछा रहत हैं रैन अयोध्या वास'

3. कालाराम मंदिर, नासिक (महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित कालाराम मंदिर भी भारत का एक खूबसूरत राम मंदिर हैं। कालाराम का शाब्दिक अर्थ है 'काला राम' और मंदिर को यह नाम भगवान राम की 2 फीट ऊंची काली मूर्ति के कारण पड़ा है। मंदिर में देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। कालाराम मंदिर नासिक शहर के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक हैं जो भक्तो की आस्था का केंद्र बना हुआ हैं। बता दें कि मंदिर में अन्य देवताओं में हनुमान जी महाराज विराजमान है। कालाराम मंदिर का सबसे निकटतम आकर्षण कपिलेश्वर मंदिर हैं। नाशिक से कालाराम मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर हैं। त्र्यम्बकेश्वर से काला राम मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तों से किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता हैं।

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कालाराम मंदिर का इतिहास और संरचना

मान्यता है है कि वनवास के दसवें वर्ष के बाद प्रभु श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ पंचवटी में गोदावरी नदी के किनारे रहने के लिए आए थे। इस मंदिर का निर्माण सरदार रंगारू ओधेकर ने किया था, जिन्होंने सपना देखा था कि राम की एक काली मूर्ति गोदावरी नदी में है जिसे उन्होंने अगले दिन नदी से निकालकर कालाराम मंदिर में स्थापित किया था। कालाराम मंदिर की संरचना देखते ही बनती हैं। मंदिर अपने चारो ओर से चार दीवारी से घिरा हुआ है। बता दें कि मंदिर की संरचना में 96 खंभे स्थित हैं। धनुषाकार द्वारा के माध्यम से पूर्व दिशा से मंदिर के अन्दर प्रवेश किया जाता है। इससे आगे बढ़ने पर हम देखते हैं कि मंदिर के बरामदे को मेहराबों और खंभों से खूबसूरत ढंग से सजाया गया है।

4. रघुनाथ मंदिर, जम्मू शहर

जम्मू शहर में स्थित रघुनाथ मंदिर उत्तरी भारत का एक बहुत ही प्रमुख मंदिर है। मुख्य मंदिर के अलावा, रघुनाथ मंदिर परिसर में लगभग सात अन्य मंदिर हैं जो हिंदू धर्म के अन्य देवताओं को समर्पित हैं। यह मंदिर लगभग हर हिंदू पंथ के आकर्षक चित्रों से बना है जो किसी अन्य मंदिर में देख पाना मुश्किल है। जम्मू और कश्मीर के जम्मू शहर में स्थित यह राम मंदिर आकर्षक वास्तुकला का नमूना है। इस मंदिर को 1835 में महाराजा गुलाब सिंह ने बनवाना शुरू किया था और इसका पूर्ण निर्माण महाराजा रणजीतसिंह के काल में हुआ। इस मंदिर में 7 ऐतिहासिक धार्मिक स्‍थल मौजूद है। मंदिर की दीवारों पर तीन तरफ से सोने की परत चढ़ी हुई है। इसके साथ ही मंदिर के चारों ओर कई मंदिर स्थित है जिनका संबंध रामायण काल के देवी-देवताओं से हैं।

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5. रामास्वामी मंदिर, कुंभकोणम (तमिलनाडु)

भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में स्थित रामास्वामी मंदिर भी रामभक्तों के आस्था का केंद्र हैं। यह भारत के सबसे खूबसूरत राम मंदिरों में से एक है। भगवान विष्णु के अवतार राम को समर्पित रामास्वामी मंदिर तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में कावेरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण भारत का अयोध्या कहा जाता है। इस मंदिर पर शानदार नक्काशी महाकाव्य रामायण के समय में हुई सभी प्रसिद्ध घटनाओं को दर्शाती है। यह एकमात्र मंदिर है जहाँ आप भरत और शत्रुघ्न के साथ राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ देख सकते हैं। मंदिर परिसर में, तीन अन्य मंदिर भी हैं, जिनके नाम अलवर सन्नथी, श्रीनिवास सन्नथी, और गोपालन सन्नथी हैं, जिन्हें आपको अवश्य देखना चाहिए। इस मंदिर की आकर्षक संरचना को देखने के लिए इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर जाए।

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रामास्वामी मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का निर्माण कार्य तंजावर नायक राजवंश के काल में राजा अच्युतप्पा नायक (1560-1614) द्वारा शुरू कराया गया था, जो कि रघुनाथ नायक (1600-34) के शासनकाल के दौरान पूरा हुआ था। मंदिर के स्तंभों पर विभिन्न हिंदू दिव्य चरित्रों को दर्शाती उत्कृष्ट मूर्तियां स्थापित की गई हैं। केंद्रीय मंदिर में भगवान राम अपनी पत्नी देवी सीता के साथ बैठने की मुद्रा में विराजमान हैं। अन्य मूर्तियों में भगवान राम के भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां शामिल हैं, जिन्हें खड़ी मुद्रा में दिखाया गया हैं। इसके अलावा भगवान हनुमान की मूर्ति भी प्रार्थना की मुद्रा में हैं। रामास्वामी मंदिर को त्रिची के पास थोप्पुर में सन् 1616 में हुए युद्ध में राजकुमार श्रीराम राय की सफलता और शांति का प्रतीक भी माना जाता है।

6. सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर, भद्राचलम (तेलंगाना)

श्री सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर तेलंगाना में भद्राचलम शहर में गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को गोदावरी के दिव्य क्षेत्रों में से एक माना जाता है। यह तेलंगाना राज्य खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन राम मंदिर में से एक है, इस मंदिर का भगवान राम से संबंधित एक बहुत ही महत्वपूर्ण इतिहास है क्योंकि रामचंद्रस्वामी मंदिर वहां स्थित है जहां भगवान राम ने सीता को लंका से वापस लाने के लिए गोदावरी नदी पार की थी। मंदिर के अंदर स्थापित मूर्ति त्रिभंग के तेवर में खड़ी है जिसमें भगवान राम धनु और हाथ में बाण लिए हुए हैं और देवी सीता हाथ में कमल लिए उनके बगल में खड़ी हैं। इस मंदिर का महत्व रामायण काल से है। यह सुसंमत पहाड़ी स्थान रामायण काल के दंडाकारण्य में मौजूद था। यह वहीं स्थान है जहां भगवान राम ने सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास बिताया था। पर्णशाला (प्रसिद्ध स्वर्ण मृग से जुड़ा वह स्थान जहां से रावण ने माता सीता का अपहरण किया था) भी यहीं है।

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7. त्रिप्रयार श्री राम मंदिर, त्रिशूर (केरल)

त्रिप्रयार श्री राम मंदिर केरल के त्रिशूर जिले में स्थित है। यहां स्थापित मूर्ति के पीछे इस राम मंदिर की एक बहुत ही आकर्षक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि त्रिप्रयार में रखी गई मूर्ति की पूजा भगवान कृष्ण द्वारा की जाती थी, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। आप इस मंदिर में आकर्षक मूर्तियां और लकड़ी की नक्काशी देख सकते हैं जो इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ राम मंदिरों में से एक बनाती है। ऐसी मान्यता है कि त्रिप्रयार में दर्शन करने से आप अपने आस-पास की सभी बुरी आत्माओं से मुक्त हो जाते हैं। एकादशी उत्सव इस मंदिर में काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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अपने आप समुद्र के किनारे आ गई थीं मूर्तियां

पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम की ये मूर्ति लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियों के साथ त्रिपायर के समुद्र के किनारे अपने आप आ गई थीं। जहां से वक्केल कैमल नामक एक व्यक्ति उन्हें ले आया और उनको त्रिप्रायर, तिरुमूज़िक्कलम, कूडलमाणिक्कम और पैम्मेल नाम के स्थानों पर विधि विधान से प्रतिष्ठित कर दिया गया। कालांतर में वक्केल के वंशज दक्षिण में और आगे की तरफ चले गए और त्रिकपालेश्वर के भक्त बन गए। कहते हैं कि एक ही दिन में इन सभी चार स्थानों पर पूजा करना विशेष रूप से शुभकारी होता है।

मूर्ति का अनोखा स्वरूप

यहां मूर्ति का रूप बहुत ही अलग है जिसमें चतुर्भुजधारी विष्णु को राम बनकर दानव काड़ा पर विजेता के रूप में दिखाया गया है। इस मूर्ति में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तत्व हैं, अत: इसकी पूजा त्रिमूर्ति के रूप में की जाती है। मंदिर के बाहरी आंगन में भगवान श्री अय्यप्पा का मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर खासतौर से अरट्टूपुझा पूरम उत्सव के लिए प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो मूर्तियां स्थापित हैं उन मूर्तियों की पूजा भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका में करते थे।

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