राम मंदिर की पहली ​शिला तराशने वाले अन्नूभाई के पास अपना घर भी नहीं, अयोध्या ने बनाया विशेष मेहमान

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Vikram Jain
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राम मंदिर की पहली ​शिला तराशने वाले अन्नूभाई के पास अपना घर भी नहीं, अयोध्या ने बनाया विशेष मेहमान

AYODHYA. करीब पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा, संघर्ष और तपस्या के बाद अयोध्या धाम में भगवान रामलला का मंदिर आकार ले रहा है। 22 जनवरी 2024 को अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.30 से 12.40 बजे के बीच अयोध्या में भव्‍य-दिव्‍य श्रीराम के नवनिर्मित मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा महज 1 मिनट 24 सेकेंड में होगी। काशी के पंडितों ने यह मुहूर्त तय किया है। इस भव्य कार्यक्रम में देश- दुनिया के तमाम आम और खास लोगों को न्योता दिया गया है। इन्हीं में से एक खास मेहमान हैं अन्नूभाई सोमपुरा।

जी हां, अन्नभाई राम मंदिर की पहली शिला तराशने वाले कारीगर हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने अन्नूभाई के विशेष योगदान को देखते हुए मुख्य कार्यक्रम में उन्हें विशिष्ट अतिथियों की सूची में स्थान दिया है।

कौन हैं अन्नूभाई

अन्नूभाई को जानने के लिए हमें तीन दशक पहले जाना होगा। दरअसल, राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा के कहने पर अन्नूभाई साल 1990 में 45 वर्ष की आयु में गुजरात के अहमदाबाद से अयोध्या आए थे। तब वे अपने साथ बेटे प्रकाश और भाई प्रदीप सोमपुरा को भी लाए। बस, तब से वे अयोध्या के ही होकर रह गए। गुजरात से अयोध्या आते समय उन्होंने खुली आंखों से रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का सपना देखा था। इस रामभक्त कहानी भावविभोर कर देने वाली है। उनकी आंखों ने 1990 के गोली कांड, 1992 से बाबरी विध्वंस व अयोध्या की सभी घटनाओं को देखा है।

सिंघल के कहने पर मिला कमरा

अन्नूभाई ने अयोध्या आने के बाद भाई और बेटे के साथ प्रस्तावित राम मंदिर के लिए शिलाओं को तराशने का काम किया, लेकिन तब उनके पास रहने के लिए एक कमरा भी नहीं था। इसके मंदिर आंदोलन के नायक एवं तब विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख रहे अशोक सिंहल के कहने पर अन्नूभाई को अयोध्या में रहने के लिए जगह मिल गई। राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने मणिराम दास छावनी आश्रम में उन्हें एक कमरा दे दिया।

दो शिलाओं से शुरू किया काम

यहां से अन्नूभाई का काम शुरू हुआ। उन्होंने सिर्फ दो शिलाओं से मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की तराशी का काम शुरू कर दिया। धीरे- धीरे यह सिलसिला चलता रहा। बाद में साल 1996 में पहली बार शिलाओं को काटने के लिए मशीन आई। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक अन्नूभाई की अगुवाई में मंदिर के भूतल की शिलाएं तराश ली गई थीं।

दीवारों पर उकेरे जा रहे किरदार

अब राम मंदिर के पास सड़क के बीच में सफेद रंग का शेड बनकर लगभग तैयार है। इस पर राजस्थान से मंगवाए गए मार्बल का काम चल रहा है। आसपास की दीवारों पर भी रामलला की जिंदगी से जुड़े किरदारों को उकेरा जा रहा है। गुजरात, राजस्थान, मिर्जापुर और अयोध्या के करीब 150 कारीगर दिन- रात काम में जुटे हैं।

30 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम

मानो पूरी अयोध्या बदल रही है। अभी यहां 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के 200 से ज्यादा विकास कार्य जारी हैं। इसी के साथ उत्तर प्रदेश हाउसिंग एण्ड डेवलपमेंट बोर्ड ने 1200 एकड़ में न्यू अयोध्या टाउनशिप बनाने की तैयारी की है। इस प्रोजेक्ट में स्टेट गेस्ट हाउस, रेसिडेंशियल अपार्टमेंट के अलावा होटल्स बनेंगे।

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