इन दिनों छत्तीसगढ़ के अफसर बहुत परेशान हैं। हों भी क्यों न आखिर उन पर सांय सांस हवा चल रही है। भूपेश सरकार में जिनकी बल्ले बल्ले थी अब उनकी घिग्गी बंध रही है। सीएम के तेवर देख सभी कायदे में आते जा रहे हैं।
वे भी जानते हैं कि कायदे में रहेंगे तो फायदे में रहेंगे। वहीं इस समय बीजेपी और कांग्रेस के नेता सतनामी समीकरण साधने में जुट गए हैं। जांच पर जांच चल रही है। सरकार की अलग जांच, बीजेपी और कांग्रेस की अलग जांच कमेटियां। वाह री सियासत, सब कुछ दिख रहा है फिर भी जांच।
अफसरों पर सांय सांय
इन दिनों सीएम साहब बहुत सख्त नजर आ रहे हैं। साय की सांय सांय भी खूब चल रही है। राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा आम हो गई है कि आखिर शांत रहने वाले सीएम को ये क्या हो गया है।
सीएम की सख्ती, दरअसल अफसरों पर दिखाई दे रही है। आचार संहिता हटते ही एक कलेक्टर को मिनटों में हटा दिया वो भी सिंगल ऑर्डर जारी कर। सिंगल ऑर्डर का मतलब होता है सीएम की नाराजगी।
वहीं एक जिले में बवाल मचने पर कलेक्टर- एसपी को सस्पेंड कर दिया। यह फैसला भी छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ है। इन फैसलों से राज्य की नौकरशाही सकते में है। सीएम के तेवर देख अफसरों के तेवर ढीले पड़ गए हैं। चलिए ये भी ठीक है कम से कम कुछ तो जनता की सुनवाई होगी। ( sinhaasan chhatteesee )
सियासत का सतनामी समीकरण
प्रदेश की सियासत में सतनामी समीकरण का बहुत ध्यान रखा जाता है। इन दिनों सतनामी को साधने बीजेपी और कांग्रेस दोनों जुटी हुई हैं। बवाल सतनामी समाज ने मचाया और हिफाजत भी उनकी ही की जा रही है।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों इसकी जिम्मेदारी एक- दूसरे पर डाल रहे हैं। सरकार ने कलेक्टर- एसपी को नाप दिया तो कांग्रेस के सभी दिग्गज घटना स्थल पर पहुंच गए। एक जांच कमेटी कांग्रेस ने बना दी तो एक जांच कमेटी बीजेपी संगठन की बन गई।
सरकार की न्यायिक जांच अलग शुरु हो गई है। सतनामी समाज के खिलाफ किसी का एक शब्द भी नहीं निकल रहा है। बीजेपी कहती है कि ये बवाल कांग्रेस ने मचाया तो कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि इस बवाल के पीछे नागपुर से आए लोग हैं। यही है भाई सियासत का सतनामी समीकरण।
आसमान पर बीजेपी के विधायक
लकदक गाड़ी, कार्यकर्ताओं की भीड़ और गले में मोटी चेन तो हाथ में महंगी घड़ी। यही हाल हैं आजकल बीजेपी के विधायकों के। विधायकों के तेवर सातवें आसमान पर हैं। आम आदमी से सीधे मुंह बात भी नहीं कर रहे।
फॉर्चूनर से नीचे की गाड़ी विधायक जी को पसंद ही नहीं आ रही। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के पीछे यही कारण बताया गया था कि विधायकों की एंटी इन्कमबेंसी बहुत ज्यादा थी।
वे भी आदमी को आदमी नहीं समझ रहे थे। बस कमाई पर टूट पड़े थे। तो जनता ने सड़क पर ला दिया। सरकार आना तो दूर उनकी विधायकी तक नहीं बची। अब यही हाल कुछ बीजेपी के विधायकों के होने लगे हैं। यदि ये नहीं सुधरे या इनकी लगाम नहीं कसी गई तो आने वाले निकाय चुनाव में बीजेपी को असलियत नजर आ जाएगी।
साहब और मेडम में ठनी
एक ही कद के दो अफसरों की यदि एक जिले में पोस्टिंग हो जाए तो फिर जनता की भगवान ही मालिक है। रायपुर के पड़ोस के जिले में कुछ यही हो रहा है। जिले के साहब और मेडम एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते।
दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। इन दो पाटों के बीच में जनता पिस रही है। दोनों की नजर कमाई पर ही लगी रहती है। आला अफसरों के पास साहब ने मेडम की शिकायत की तो मेडम ने साहब की शिकायत कर दी। अब आला अफसर परेशान हैं कि इनके बीच पटरी कैसे बैठाई जाए।
सीजीपीएससी की सीबीआई जांच पर सस्पेंस
छत्तीसगढ़ में CGPSC घोटाले की CBI जांच पर सस्पेंस बरकरार है। जांच शुरू किए जाने का दावा प्रदेश की BJP सरकार करती आई है, लेकिन इस मामले में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग से तरफ से भेजी गई लिखित प्रेस विज्ञप्ति जांच शुरू होने से किनारा कर रही है।
आयोग के मुताबिक भर्ती परीक्षा 2021 की जांच के लिए किसी भी एजेंसी से कोई अधिकारी नहीं आया है। ना ही अब तक कोई दस्तावेज लिए गए। 14 जून को लोक सेवा आयोग की विज्ञप्ति से साफ पता चलता है कि जांच को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि बीजेपी के ऑफिशियल पेज पर 14 अप्रैल 2024 को ही ये पोस्ट किया गया है कि CGPSC की CBI जांच शुरू हो गई है।
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