सिंहासन छत्तीसी : छत्तीसगढ़ कांग्रेस में थम नहीं रहा बखेड़ा, लाज बचाने साहब बीजेपी की शरण में

भाई बात कुछ तो है जो दिल्ली से आई कांग्रेस की मैडम ने इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा कर दिया। कहानी कुछ यूं है कि चुनाव के लिए दिल्ली आईं मैडम ने प्रेस कान्फ्रेंस के अलावा पत्रकारों को बुलाकर अपने कक्ष में ही बाइट देना शुरु कर दिया।

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Pratibha ranaa
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अरुण तिवारी, RAIPUR. ये सियासत भी अजीब चीज है जनाब, कभी तो ऐसी दोस्ती कि तेरे बिन मैं कुछ भी नहीं तो कभी ऐसी दुश्मनी कि बात गाली तक पहुंच जाए। बड़े बेआबरु होकर तेरे कूचे से हम निकले। कुछ यही हाल मैडम का छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हुआ। वहीं एक साहब हैं कि जो अपनी लाज बचाने अब बीजेपी की शरण में चले गए हैं। एक नेताजी जिनको हेलीकाप्टर मिला ऐसा जिसमें खिड़की खोलकर यात्रा करना पड़ता है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या चल रहा है सिंहासन छत्तीसी ( sinhaasan chhatteesee ) में। 

खेड़ा का बखेड़ा तो लपेटे में नेताजी 

भाई बात कुछ तो है जो दिल्ली से आई कांग्रेस की मैडम ने इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा कर दिया। कहानी कुछ यूं है कि चुनाव के लिए दिल्ली आईं मैडम ने प्रेस कान्फ्रेंस के अलावा पत्रकारों को बुलाकर अपने कक्ष में ही बाइट देना शुरु कर दिया। एक तो बाइट और दूसरा मीडिया डील करने के लिए फायनेंशियल जिम्मा भी मैडम के हिस्से में आ गया। फिर क्या था ये बात मीडिया विभाग के नेताजी को खटक गई। नेताजी ने आव देखा न ताव और मैडम को चार बातें सुना दीं। मैडम भी ताव में आ गईं। विवाद इतना बढ़ा की नेताजी ने अभद्र भाषा का प्रयोग कर मैडम को गेटआउट बोल  दिया। फिर क्या था मैडम का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने इसे अपनी इज्जत का सवाल बना लिया। गेटआउट बोलना उनको इतना खटका कि वे पांव पटकते हुए संगठन प्रभारी के कक्ष में पहुंच गईं। संगठन प्रभारी ने जैसे तैसे उनको समाझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं मानी। उन्होंने काका को फोन लगा दिया। काका ने भी साफ कह दिया कि आप दिल्ली निकल लीजिए। अब बारी मेडम की थी। मेडम ने एक के बाद एक ट्वीट कर मीडिया विभाग के नेताजी के साथ काका को भी लपेट लिया। मैडम के साथ मां भी तलवार लेकर निकल पड़ी हैं और संगठन के मुखिया मामले की लीपापोती में लग गए हैं। मामला दिल्ली तक पहुंचा है इसलिए नेताजी लपेटे में आ सकते हैं। 

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दो नेता और एक खटारा हेलीकाप्टर 

कांग्रेस की माली हालत वाकई बहुत खराब हो गई है। कांग्रेस ने चुनाव के लिए दो हेलीकाप्टर किराए पर लिए हैं। एक हेलीकाप्टर तो ठीक है, लेकिन दूसरा हेलीकाप्टर खटारा मिल गया है। इस खटारा हेलीकाप्टर में एसी तक नहीं है, जब ये उड़ता है तो नेताजी खिड़की खोलकर बैठते हैं। अच्छा हेलीकाप्टर तो प्रदेश में आने वाले नेताओं और प्रदेश प्रभारी ने अपने कब्जे में ले लिया है, अब बचा दूसरा हेलीकाप्टर जो प्रदेश के बड़े नेताओं के हिस्से में आया है। दो नेताओं के बीच में एक खटारा हेलीकाप्टर आ गया है। वे प्रचार के लिए इस हेलीकाप्टर में ही यात्रा कर रहे हैं। अब जबकि  बाहर का कोई बड़ा नेता प्रदेश में नहीं है तो प्रदेश के इन दो बड़े नेताओं में ही आपस में इस बात की लड़ाई हो रही है कि अच्छे हेलीकाप्टर में कौन जाएगा। जिसको जब भी मौका मिलता है उसको लेकर निकल पड़ता है। दिल्ली से आए एक संगठन के नेता तो यहां तक कह दिया कि मोदी सरकार ने उनके खाते फ्रीज करा दिए हैं अब तो उनके पास उम्मीदवारों को देने के लिए भी पैसे नहीं हैं यहां तक कि बैनर पोस्टर छापने की भी तंगी है।  

ईडी के डर से साहब पहुंचे बीजेपी के पाले में 

एक पूर्व आईएफएस अफसर इन दिनों बहुत चर्चा में हैं। ये अफसर भूपेश बघेल सरकार के बहुत करीबी माने जाते थे। ये जब तक नौकरी में थे तो प्रमुख पदों पर रहे और जब रिटायर हुए तो दूसरी सरकारी संस्थाओं में इनका पुनर्वास करा दिया गया। इन साहब पर पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। विभागीय अफसरों के साथ नोटों की गड्डी के कुछ फोटो भी वायरल हुए। चर्चा तो यहां तक थी कि साहब ने ट्रांसफर पोस्टिंग की रेट लिस्ट भी तैयार कर रख थी। सरकार बदली तो इन साहब को ईडी का डर सताने लगा। ईडी के डंडे से बचने के लिए अब ये साहब बीजेपी की शरण में चले गए हैं। 

सरकारी फंड से खरीदी लग्जरी गाड़ियां 

ये छत्तीसगढ़ के अफसर हैं साहब बेशर्मी से भ्रष्टाचार से कमाई करते हैं। छत्तीसगढ़ के एक आईएफएस सरकारी फंड का अपनी तरक्की में खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार से आए इस फंड से साहब ने सिर्फ हैदराबाद में करोड़ों का आलीशान बंगला तान लिया बल्कि सरकारी फंड से लग्जरी गाड़ियां भी खरीद लीं। साहब में कुछ ऐसी अदा है कि वे रमन सरकार और भूपेश सरकार दोनों के नाक के बाल बने रहे। साहब का नाम भ्रष्टाचार की जांच में भी आ गया लेकिन उनका बाल न बांका हुआ उल्टा वे प्रमोशन पाते गए। इन दिनों साहब  विभाग के प्रमुख अफसर हैं। इनके अलावा एक और आईएफएस हैं जिनकी पोस्टिंग नक्सली इलाके में थीं। इन्होंने दस किलोमीटर के रास्ते में 12 किलोमीटर की सड़क बना ली और डेढ़ करोड़ जेब में भी रख लिए।

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