NEW DELHI. भारत में क्रिकेट के लिए जुनून किसी से छिपा नहीं है। लेकिन 16 अगस्त की सुबह फुटबॉल के खेमे से आई खबर ने सभी को चौंका दिया। दुनिया में फुटबॉल की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित संस्था FIFA ने भारतीय फुटबॉल संस्था ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (FIFA) को सस्पेंड कर दिया। ये ऐसा है कि जैसे क्रिकेट में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) बीसीसीआई को सस्पेंड कर दे।
इस सस्पेंशन की वजह से भारत में इसी साल होने वाली अंडर-17 महिला फुटबॉल वर्ल्डकप की मेजबानी भी छिन गई है। यानी जब तक यह सस्पेंशन रहेगा, तब तक वर्ल्डकप भारत में नहीं हो सकेगा। साथ ही भारत की टीमें अभी किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। ये सब AIFF में चल रहे घमासान की वजह से हुआ। 4 पॉइंट्स में जानें, फीफा द्वारा AIFF पर सस्पेंशन क्यों लगाया, इसके मायने और भविष्य में असर...
1. फीफा का आदेश
फीफा फुटबॉल की दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है, दुनियाभर में होने वाले इंटरनेशनल, डोमेस्टिक समेत अन्य सभी तरह के फुटबॉल मैच फीफा से ही जुड़े हैं। फीफा ने मंगलवार सुबह एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें यह कहा कि फीफा कमेटी ने भारत की फुटबॉल एसोसिएशन को सस्पेंड कर दिया है। इसी के साथ भारत से अंडर-17 महिला फुटबॉल वर्ल्डकप की मेजबानी छीन ली गई है।
फीफा ने कहा, ‘फीफा काउंसिल ने ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने का फैसला लिया है, क्योंकि इसमें थर्ड पार्टी का प्रभाव है, जो फीफा के नियमों का उल्लंघन है। यह बैन तभी वापस लिया जाएगा, जब AIFF की सभी शक्तियां सही एडमिनिस्ट्रेटर्स के हाथ में होंगी और बोर्ड के संविधान को सही तरीके से लागू किया जाएगा। सस्पेंशन का मतलब यह है कि 11 से 30 अक्टूबर 2022 को भारत में फीफा का अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्वकप जो होना था, वह अब नहीं होगा और उसे कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा। फीफा लगातार भारत सरकार के खेल मंत्रालय के संपर्क में है और आगे के एक्शन प्लान पर काम कर रहा है।’
2. फीफा को ऐसा क्यों करना पड़ा?
ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन (AIFF) भारत में फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था है, जो नेशनल, लोकल और क्लब फुटबॉल मैच समेत अन्य चीजों को मैनेज करती है। यह बिल्कुल वैसा ही है, जैसे भारत में क्रिकेट से जुड़े सभी अधिकार बीसीसीआई के पास हैं। AIFF में लंबे वक्त से एडमिनिस्ट्रेशन को लेकर विवाद चल रहा है।
AIFF के अध्यक्ष राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल हैं। प्रफुल्ल पटेल 2009 से ही इस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वे चार-चार साल के 3 कार्यकाल पूरे कर चुके हैं। यही विवाद की जड़ है। फीफा चाहता है कि AIFF में चुनाव हो, नए तरीके से एसोसिएशन का गठन हो, ताकि फीफा और AIFF के संविधान के तहत चीजों को आगे बढ़ाया जा सके। हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया।
इधर, सुप्रीम कोर्ट में भी इससे जुड़ा एक मामला चल रहा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी AIFF को जल्द से जल्द चुनाव करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने साफ कहा था कि वह नहीं चाहते कि फुटबॉल वर्ल्डकप भारत से बाहर जाए।
3. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या कहा?
जब ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा, लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी को AIFF में चुनाव करवाने (राष्ट्रीय और राज्य स्तर), फीफा द्वारा दिए गए संविधान लागू करने के आदेश को आगे बढ़ाने और फुटबॉल वर्ल्डकप से पहले सभी तैयारियों को पूरा करने के लिए कहा गया था।
हालांकि, फुटबॉल एसोसिशन में पहले से मौजूद अधिकारियों का इतना दबदबा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कमेटी को काम करने में दिक्कत हुई। इसके बाद कमेटी ने दोबारा अदालत से अपील की और ऐसे अधिकारियों पर एक्शन लेने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि फुटबॉल वर्ल्डकप से पहले संविधान के तहत चीजें सुचारू रूप से शुरू हो जाएं।
अब ऐसा नहीं हुआ था, इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल पटेल को AIFF के अध्यक्ष पद से हटा दिया, क्योंकि उन्होंने दिसंबर 2020 में होने वाले चुनावों को अभी तक टाला हुआ था। इसी के बाद से ही CoA भारतीय फुटबॉल को संभाल रही थी, हालांकि फीफा को यहां पर भी आपत्ति है। क्योंकि फीफा का कहना है कि वह किसी भी तरह से फुटबॉल संस्था में किसी थर्ड पार्टी (सरकार या अन्य कमेटी) का दखल नहीं चाहते।
4. फीफा के सस्पेंशन के मायने
फीफा के भारतीय फुटबॉल एसोसिशन को सस्पेंड करने का मतलब यह है कि जब तक यह सस्पेंशन है, तब तक भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम, भारतीय महिला फुटबॉल टीम किसी भी इंटरनेशनल मैच में हिस्सा नहीं ले पाएगी। इसके अलावा भारत के जितने भी फुटबॉल क्लब हैं, जो अलग-अलग देशों में हो रही लीग के साथ खेलते हैं, वहां पर भी कोई मैच नहीं खेल पाएंगे या भारतीय फुटबॉलर जो किसी और लीग से खेलते हैं, वे भी कोई मैच नहीं खेल सकेंगे।