Delhi. कॉमनवेल्थ गेम्स(Commonwealth Games 2022) खेलों में इस बार भारत की उम्मीद रोनाल्डो और डेविड बेकहम से हैं। दुनिया भी इन दोनों को भारत के लिए मेडल जीतते हुए देख सकती है। वह भी फुटबॉल में नहीं बल्कि साइकिलिंग में। अब आप चौंक गए होंगे कि रोनाल्डो ( Ronaldo Singh) और डेविड बेकहम ( David Beckham) फुटबॉल से अलग कैसे हो गए और भारत के लिए साइकलिंग के लिए मेडल कैसे दिला सकते हैं।
आपको ज्यादा देर में उलझन में न डालते हुए हम बता दें कि डेविड बेकहम इंग्लैंड और रोनॉल्डो पुर्तगाल से अभी भी फुटबॉल ही खेल रहे हैं, लेकिन भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में साइकिलिंग में पदक के लिए पसीना भी डेविड बेकहम और रोनॉल्डो ही बहाएंगे। असल में भारत की साइकिलिंग टीम में भी डेविड बेकहम और रोनॉल्डो नाम के खिलाड़ी हैं। दोनों भारत के बेस्ट साइकिलिस्ट हैं और कई इवेंट्स में शानदार प्रदर्शन कर मेडल भी जीत चुके है। किट अनावरण और सेंड-ऑफ कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सम्मानित भी किया था। इस बार भारत को दोनों से काफी उम्मीद है। कॉमनवेल्थ गेम्स 28 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसके लिए भारत के ज्यादातर एथलीट्स 2022 के कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के बर्मिंघम रवाना हो चुके हैं। 2022 में 215 एथलीट्स कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय दल का हिस्सा होंगे। इनमें 108 पुरुष और 107 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इससे पहले 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत से 9 साइकिलिस्ट ने हिस्सा लिया था। इनमें से कोई भी मेडल हासिल नहीं कर पाया था। इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स में साइकिलिंग टीम से भारत को काफी उम्मीदें होंगी। खास कर रोनाल्डो और बेकहम से। आइए इनके बारें में विस्तार में बात करते हैं.....
डेविड बेकहम
डेविड बेकहम नाम हर किसी ने सुना होगा। ये फुटबॉल में बहुत पॉपुलर है। इंग्लैंड के कैप्टन भी रह चुके हैं, लेकिन हम आपको बता दें कि भारत की तरफ से जो डेविड बेकहम,कॉमनवेल्थ गेम्स में साइकिलिंग में हिस्सा लेंगे ये वो नहीं है। जिस डेविड बेकहम की हम ऊपर बात कर रहे हैं वो भारत के है,जो साइकिलिंग में अपने देश को ही रिप्रजेंट करेंगे। पहले भारत के इस डेविड बेकहम को कोई भी नहीं जानता था, लेकिन 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जनवरी को 'मन की बात' समारोह में इनकी बात की थी। तब से उन्हें दुनिया पहचान रही है।
यहां हुआ था जन्म
बेकहम का जन्म निकोबार के पार्का गांव में हुआ था। वहां वो अपने मामाजी और नानाजी के साथ रहते हैं। बताया जाता है कि उनक् घर के आस-पास रोडस्टर साइकिल मिलती है। इस साइकिल का उन्होंने मडगार्ड और टॉप ट्यूब निकाल दिया है। ताकि वह गांव में इस साइकिल से प्रैक्टिस कर सकें।
इसलिए मिला बेकहम नाम
सूत्रों के मुताबिक साइकिलिस्ट डेविड के मामा फुटबॉलर बेकहम के बहुत बड़े फैन हैं। वो उनके मैच हमेशा देखते थे। 2002 में वो फीफा वर्ल्ड कप में इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच मैच देख रहे थे। इस मैच में फुटबॉलर बेकहम ने फ्री-किक पर एक गोल किया था। इस गोल की सहायता से इंग्लैंड ने मैच में 1-0 से जीता हासिल की थी। 2003 में साइकिलिस्ट बेकहम का जन्म हुआ था। उनकी पूरी इच्छा थी कि वो बच्चे का नाम नाम डेविड बेकहम रखेंगे। इसके बाद उनका नाम मामा ने डेविड बेकहम रख दिया। अब भारत उन्हें साइकिलिस्ट डेविड बेकहम के नाम से जानता है।
और ये हैं भारत के रोनाल्डो
साइकिलिस्ट रोनाल्डो के पिता रोबेन सिंह फीफा वर्ल्ड कप में ब्राजील और इंग्लैंड के बीच फुटबॉल मैच देख रहे थे। उस वक्त रोबेन ने अपने दोस्त के साथ शर्त लगाई थी कि रोनाल्डो गोल करेंगे और थोड़ी ही देर में रोनाल्डो ने गोल कर दिया। इस गोल पर रोबेन सिंह को रोनाल्डो पर इतना प्रेम उमड़ा कि उन्होंने अपने बेटे का नाम ही रोनाल्डो सिंह रख दिया। साइकिलिस्ट रोनाल्डो के पिता फुटबॉलर रोनाल्डो के बहुत बड़े फैन थे। वो उनका मैच हमेशा देखते थे। हालांकि 2017 में साइकिलिस्ट रोनाल्डो के पिता रोबेन का निधन हो चुका है। रोबेन सिंह चाहते थे कि उनका बेटा रोनाल्डो भी फुटबॉलर बने, लेकिन रोनाल्डो अपने परिवार के खिलाफ गए और उन्होंने साइकिलिंग को अपना करियर चुना। हालांकि इसमें भी उनके परिवार वालों ने उनका पूरा साथ दिया।
जूनियर विश्व चैंपियन भी है हमारे रोनाल्डो
रोनाल्डो ने 2019 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में आयोजित जूनियर विश्व चैंपियनशिप में टीम स्प्रिंट में गोल्ड मेडल हासिल किया और जूनियर विश्व चैंपियन बन गए। 2019 में उन्होंने 200 मीटर टाइम ट्रायल स्प्रिंट के क्वालिफाइंग राउंड में सर्फ 10.065 सेकंड का समय निकालकर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया। 2022 में एशियाई ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप में रोनाल्डो ने 3 मेडल अपने नाम किए। रोनाल्डो एक चैंपियनशिप में तीन मेडल जीतने वाले भारत के पहले साइकिलिस्ट है।