भोपाल. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। टीम की 4 खिलाड़ियों ने मध्यप्रदेश में हॉकी की बारीकियां सीखीं। ये खिलाड़ी सुशीला चानू, मोनिका और रीना खोखर ( ग्वालियर राज्य महिला हॉकी अकादमी), वंदना कटारिया (भोपाल) हैं। वंदना ने तो साउथ अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक लगाकर भारत का सेमीफाइनल का रास्ता पक्का किया। एक अखबार से बातचीत में ग्वालियर की राज्य हॉकी अकादमी के चीफ कोच परमजीत सिंह खिलाड़ियों की खासियत बताईं। जानें, इन खिलाड़ी ट्रेनिंग में कैसे निखरती चली गईं...
वंदना कई बार पास देती हैं, दूसरी खिलाड़ी समझ नहीं पाती
वंदना कटारिया मध्यप्रदेश हॉकी की स्टार खिलाड़ी रही हैं। वंदना की बड़ी बहन ग्वालियर अकादमी की खिलाड़ी हैं। वे अपने खेल को लेकर काफी सजग हैं। तेज- तर्रार खिलाड़ी हैं। हमेशा गोल के बारे में ही सोचती हैं। कई बार वह इस तरह बॉल को पास करती हैं कि आसपास की खिलाड़ी समझ नहीं पातीं। बचपन से ही वह हॉकी में भारत को लीड करने को लेकर बात करती थीं। इसी वजह से साउथ अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक करने में कामयाब रहीं।
प्रैक्टिस शुरू होने से एक घंटे पहले ही ग्राउंड पहुंचती थीं सुशीला
सुशीला मणिपुर की रहने वाली हैं। उनका सिलेक्शन 2006 में राज्य महिला हॉकी अकादमी खुलने के साथ ही हुआ था। 2012 तक वो यहां रहीं। जब वह आई थीं, तो 13 साल की थी, पर खेल को लेकर काफी फोकस्ड थीं। मिड फील्ड पोजिशन पर खेलने का जुनून था। सुबह 6 बजे प्रैक्टिस शुरू होती थी, पर वह 5 बजे ग्राउंड पर दिखाई देती थी। नियमों का पालन करना और तेज-तर्रार हॉकी खेलना ही उसे आता था। कभी किसी दूसरी ओर उसका ध्यान ही नहीं गया।
मोनिका के घर में किसी ने हॉकी नहीं पकड़ी, खेल में एग्रेसिव
मोनिका हरियाणा की हैं। राज्य महिला हॉकी अकादमी ग्वालियर में 2010 से 2012 तक रहीं। सामान्य परिवार है। घर में किसी ने हॉकी नहीं पकड़ी। मोनिका ऊपर से जितनी शांत दिखती हैं, खेल में उससे कहीं ज्यादा एग्रेसिव हैं। वह भी मिडफील्डर हैं। उनके एग्रेसिव खेल के चलते ही अकादमी के कई मैच में सबसे ज्यादा यलो और रेड कार्ड उन्हें ही दिखाए जाते थे। वह कहती थीं, सर देखना, एक दिन हम इंटरनेशनल लेवल पर नाम करेंगे।
मिडफील्ड पर खेलते-खेलते फॉरवर्ड में पहुंचकर गोल कर देती हैं रीना
पंजाब की खिलाड़ी रीना खोखर भी मिडिल क्लास फैमिली से आती हैं। 2010 से लेकर 2018 तक वे राज्य महिला हॉकी अकादमी में रहीं। मिडफील्ड पोजीशन पर खेलती हैं। अकादमी में सबसे नियम वाली खिलाड़ी थीं। खेल को लेकर जुनून था। जब यह खेलती हैं, तो दूसरी टीम के 10 खिलाड़ियों पर भारी पड़ जाती हैं। मिड फील्ड पर खेलते-खेलते कब फॉरवर्ड पहुंचकर गोल कर आती है, पता भी नहीं चलता। दूसरी टीम वाले कहते थे कि पता ही नहीं चलता, मिडफील्डर हैं या फॉरवर्ड।