ब्रॉन्ज जीतने के बाद सिंधु: रियो से मुश्किल था टोक्यो, ओलंपिक में तीसरे मेडल का टारगेट

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ब्रॉन्ज जीतने के बाद सिंधु: रियो से मुश्किल था टोक्यो, ओलंपिक में तीसरे मेडल का टारगेट

टोक्यो. पीवी सिंधु टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं, लेकिन वे रुकने वाली नहीं हैं। वर्ल्ड बैडमिंटन फेडरेशन (BWF) से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे 2024 में अगले ओलिंपिक में भारत के लिए तीसरा मेडल जीतना टारगेट है। टोक्यो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतना रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने से ज्यादा टफ था।

पिछली सारी बातें भूलकर खेली

सिंधु बोलीं कि मैच के बाद मेरे अंदर काफी कुछ चल रहा था। मैं सोच रही थी कि ब्रॉन्ज के लिए खुश होऊं या मैंने फाइनल में खेलने का मौका खो दिया, इसके लिए निराशा जताऊं। फिर मैंने इमोशन कंट्रोल किए। मेडल जीतकर बहुत खुश हूं। इसके लिए काफी मेहनत की थी। यह मैच मेरे और चीनी प्लेयर जियाओ बिंग के लिए फ्रेश गेम था। हम दोनों पिछला मैच हारकर आ रहे थे।

देश के लिए मेडल जीतने पर गर्व

सिंधु ने यह भी कहा कि मैंने इस पल के लिए काफी साल कड़ी मेहनत की। देश के लिए मेडल जीतना गर्व का पल है। मेरे परिवार ने भी मेरे लिए कई त्याग किए। ये जीत देश के लिए है। उन्होंने मुझे काफी प्यार दिया है। मैं सभी को थैंक यू कहती हूं।

सिंधु ने 52 मिनट में जीत अपने नाम की

सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल के मैच में चीन की जियाओ बिंग को 21-13, 21-15 से हराया। उन्होंने सिर्फ 52 मिनट में मैच जीत लिया था। सिंधु ओलिंपिक में लगातार 2 मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। सिंधु ने इससे पहले 2016 रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। सुशील ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज और 2012 लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। ये बैडमिंटन में ओलिंपिक में भारत का ओवरऑल तीसरा मेडल रहा। साइना नेहवाल ने 2012 लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

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