टोक्यो. पैरालंपिक में भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन बरकरार है। बैडमिंटन में SH-6 कैटेगरी में कृष्णा ने भारत को पांचवा गोल्ड दिलाया। उन्होंने फाइनल में हॉन्गकॉन्ग के चू मान केई को हराया। इससे पहले, SL-4 कैटेगरी में भारत के सुहास एल यतिराज ने सिल्वर मेडल जीता है। सुहास नोएडा की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) भी हैं। फाइनल में सुहास फ्रांस के लुकास मजूर से हार गए। मुकाबला तीन सेट तक चला। पहला सेट सुहास ने जीता, लेकिन लुकास ने दो सेट जीतकर मैच अपने नाम कर लिया। इस पैरालंपिक में भारत के अब तक 19 मेडल हो गए हैं। एसएल-4 वे पैरा एथलीट शामिल होते हैं, जिन्हें चलने-दौड़ने में थोड़ी परेशानी होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत की बधाई दी है।
2007 में आईएएस अफसर बने
कर्नाटक के शिमोगा से आने वाले सुहास ने बेंगलुरु में नौकरी शुरू की थी। लेकिन उनके दिल में यही मलाल रहा कि अपनी जिंदगी में समाज के लिए कुछ नहीं किया तो क्या फायदा। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी शुरू की और 2007 में IAS अधिकारी बन गए। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला।
ड्यूटी के बाद खेला बैडमिंटन
सुहास की पहली पोस्टिंग आगरा में हुई थी। अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद वे वक्त निकालकर बैडमिंडन खेलने जाया करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया। इसके बाद कई नेशनल, इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मेडल जीते।
पैरालंपिक में बैडमिंटन में भारत को तीन मेडल
सुहास से पहले पैरालंपिक में भारत के लिए बैडमिंटन में SL-3 कैटेगरी में प्रमोद भगत ने गोल्ड जीता था। इसी कैटेगरी में मनोज सरकार ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज अपने नाम किया था। यानी सुहास को मिलाकर बैडमिंटन में भारत को 3 मेडल (1 गोल्ड, 1 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज) मिल चुके हैं।
पैरालंपिक में भारत के 18 मेडल
अब तक टोक्यो पैरालंपिक में भारत के 18 मेडल हो चुके हैं। 1960 से पैरालंपिक हो रहे हैं। भारत ने पहली बार 1968 में हिस्सा लिया। तब से 2016 तक सिर्फ 12 मेडल आए। 1976 और 1980 पैरालंपिक में भारत ने भाग नहीं लिया था। टोक्यो में अब तक 4 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल मिले हैं।