BIRMINGHAM. टीम इंडिया, इंग्लैंड के साथ पांचवां टेस्ट मैच जीतते-जीतते ड्रॉ करा गई। मैच के पहले 3 दिन भारतीय टीम जीत की दावेदार थी, लेकिन इसके बाद इंग्लैंड ने बाजी पलट दी। भारत मैच अपने पक्ष में कर सकता था, अगर विराट कोहली बेहतरीन बैटिंग कर जाते कर जाते। वे दोनों पारियों में फ्लॉप रहे। विराट का ऐसा करना लगातार चौंका रहा है। वे करीब 3 साल से इसी तरह एक के बाद एक नाकामियों की नई-नई परिभाषाएं गढ़ रहे हैं। विराट खुद उस कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे, जो उन्होंने बतौर कैप्टन अपने खिलाड़ियों के लिए तय की थी। कोहली ने इंग्लैंड में 5 मैचों की सीरीज में 27.66 की औसत से 249 रन बनाए।
कोहली हमेशा कहते रहे कि वे खुद को बेस्ट मानकर क्रिकेट खेलते हैं। अपनी परफॉर्मेंस से उन्होंने लंबे समय तक खुद को बेस्ट साबित भी किया, लेकिन 23 नवंबर 2019 (विराट के आखिरी शतक की तारीख) के बाद से उनका प्रदर्शन देखिए। 18 टेस्ट मैचों में 27.25 की औसत से सिर्फ 872 रन। एक भी सेंचुरी उनके बल्ले से नहीं निकली। वे दुनियाभर में सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में टॉप-30 में भी नहीं हैं। वे इस लिस्ट में 34वें नंबर पर हैं। सिर्फ भारतीय बल्लेबाजों की बात करें तो भी विराट का नंबर चौथा है। सवाल यह है कि अगर विराट खुद कप्तान होते तो क्या वे इतना साधारण खेल दिखाने वाले बल्लेबाज को प्लेइंग-11 में शामिल करते?इसका जवाब विराट तो देने नहीं जा रहे, लेकिन बतौर कप्तान उनके फैसले बहुत कुछ बयान करते हैं।
विराट की कैप्टेंसी...4 खिलाड़ी सिर्फ एक मैच खेल सके
विराट खिलाड़ियों को ड्रॉप करने और प्लेइंग-11 में बदलाव करने में माहिर कप्तान माने जाते थे। उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कमान संभाली और 64 में उन्होंने प्लेइंग-11 में बदलाव किए। उनकी कप्तानी में 41 खिलाड़ियों ने टेस्ट मैच खेला। इनमें से 4 को सिर्फ 1-1 टेस्ट में मौका दिया गया। 5 खिलाड़ी 2-2 टेस्ट ही खेल पाए। 9 खिलाड़ी ऐसे रहे, जिन्हें सिर्फ 3 से 5 टेस्ट में ही चांस मिला। कैप्टन विराट हर चेंज के पीछे टीम की भलाई का तर्क देते थे। क्या यह तर्क अब बैट्समैन विराट पर भी लागू होगा?
ट्रिपल सेंचुरी जमाने के बाद अगले टेस्ट से बाहर हुए थे करुण नायर
कर्नाटक के बल्लेबाज करुण नायर ने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ ट्रिपल सेंचुरी जमाई। वीरेंद्र सहवाग के बाद ये कारनामा करने वाले नायर भारत के दूसरे बैट्समैन थे। इसके बावजूद जब भारतीय टीम अगला टेस्ट मैच खेलने उतरी तो प्लेइंग-11 में नायर को जगह नहीं मिली। विराट ने ट्रिपल सेंचुरी जमाने वाले बल्लेबाज को बाहर कर दिया, लेकिन अब खुद तीन साल से एक भी सेंचुरी नहीं जमा पाए, पर लगातार टीम में हैं।
कैप्टेंसी में ही रन बनाए
विराट के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि बतौर बैट्समैन उनका बेस्ट तभी सामने आया, जब वे टीम के कप्तान थे। कप्तान के तौर पर उन्होंने 68 टेस्ट की 113 पारियों में 54.80 की औसत से 5864 रन बना दिए। दूसरी ओर बगैर कप्तानी सिर्फ खिलाड़ी के तौर पर अब तक 34 टेस्ट खेले हैं और 60 पारियों में 39.46 की औसत से महज 2210 रन बना पाए। सेंचुरी भी सिर्फ 7। तो क्या विराट तभी रन बनाएंगे, जब उन्हें फिर से कैप्टन बना दिया जाए?
मैच जिताऊ, पर ट्रॉफी नहीं ला पाते
विराट बतौर कप्तान अपने हर फैसले को इसलिए डिफेंड कर पाते थे, क्योंकि उनकी अगुआई में टीम मैच खूब जीतती थी। विराट की कप्तानी में भारत ने 68 में से 40 टेस्ट जीते। किसी और कप्तान की तुलना में ज्यादा, लेकिन ट्रॉफी जीतने के मामले में वे फेल हो जाते थे। वनडे और टी-20 में वे कोई वर्ल्ड कप नहीं जीत सके, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतने का मौका भी उन्होंने गंवाया। न्यूजीलैंड के खिलाफ WTC फाइनल को भारत आसानी से ड्रॉ करा सकता था, लेकिन गैर-जरूरी आक्रामकता टीम पर भारी पड़ी।