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Rio De Generio. दुनिया के महानताम ब्राजीली फुटबॉलर पेले (एडसन एरेंटेस डो नासिमेंटो) का 29 दिसंबर को 82 साल की उम्र में निधन हो गया। पूरे फुटबॉल वर्ल्ड में शोक की लहर है। फुटबॉल के तमाम दिग्गजों ने पेले को श्रद्धांजलि दी है। पेले ने चमत्कारिक रूप से ब्राजील को 3 वर्ल्ड कप (1958, 1962 और 1970) जिताए थे। उनकी जिंदगी की कई कहानियां हैं। भारत से भी रिश्ता रहा है। उनका पेले नाम कैसे पड़ा, इसकी भी दिलचस्प कहानी है। आज हम आपको इन्हीं सबके बारे में बताने जा रहे हैं...
कई सारे नाम मिले, पर डिको बिले होते-होते पेले बन गया
पेले को 'ब्लैक पर्ल', 'किंग ऑफ फुटबॉल', 'किंग पेले' जैसे कई सारे नाम मिले। पेले का जन्म 23 अक्टूबर सन 1940 को ब्राजील के मिनास गेराइस में हुआ। पेले के पिता का नाम डोनडिन्हो और मां का नाम सेलेस्टी अरांटेस था। पेले अपने मां-बाप के दो बच्चों में सबसे बड़े थे। पिता डोनडिन्हो भी क्लब लेवल के फुटबॉल प्लेयर थे। पहले पेले का निकनेम डिको था, लेकिन लोकल फुटबॉल क्लब के एक गोलकीपर बिले की वजह से वह पेले के नाम से जाने-जाने लगे। बचपन में डिको को कई मैचों में गोलकीपर भी बनना पड़ता था। जब वे शानदार डिफेंड करते थे, तो उन्हें फैन्स दूसरा बिले कहते थे। देखते-देखते ये बिले कब पेले में बदल गया है, पता नहीं चला।
चाय की दुकान पर भी काम किया और बन गए दिग्गज फुटबॉलर
साओ पाउलो में बड़े होने के दौरान पेले ने गरीबी के काफी दिन देखे। फुटबॉल की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें पिता डोनडिन्हो से ही मिली। पेले फुटबॉल नहीं खरीद सकते थे इसलिए वे कई बार कागज से भरे मोजे से खेलते थे। पैसे के लिए पेले ने चाय की दुकानों में वेटर के रूप में भी काम किया था। पेले युवावस्था में इनडोर लीग में खेले और 15 साल की उम्र में सैंटोस एफसी ने उनके साथ करार कर लिया। इसके बाद पेले ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
16 साल की उम्र में ही पेले ने ब्राजील लीग में टॉप स्कोरर बनकर तहलका मचा दिया। इसके बाद पेले को ब्राजील की नेशनल टीम से खेलने का न्योता मिला। ब्राजील के राष्ट्रपति ने पेले को एक राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया था, ताकि वे मैनचेस्टर यूनाइटेड जैसे विदेशी क्लब के साथ करार ना कर पाएं।
पहले मैच में अर्जेंटीना से हारे, पर तीन वर्ल्ड कप पर कब्जा जमा लिया
पेले ने पहला इंटरनेशनल मैच 7 जुलाई 1957 को माराकाना स्टेडियम में अर्जेंटीना के खिलाफ खेला, जहां ब्राजील को 1-2 से हार मिसी। उस मैच में उन्होंने 16 साल और नौ महीने की उम्र में ब्राजील के लिए अपना पहला गोल किया। इसके साथ ही वह अपने देश के लिए सबसे कम उम्र के गोल करने वाले खिलाड़ी बने गए। इसके बाद फीफा वर्ल्ड कप 1958 की बारी आई, जहां पेले ने कमाल किया और ब्राजील को पहला वर्ल्ड कप दिलाया।
पेले ने 1958 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में फ्रांस के खिलाफ 5-2 की शानदार जीत में हैट्रिक बनाई। फिर फाइनल में स्वीडन के खिलाफ उन्होंने दो गोल दागे। कुल मिलाकर पेले ने उस वर्ल्ड कप में 6 गोल किए, जिसके लिए उन्हें बेस्ट यंग प्लेयर का अवॉर्ड मिला। पेले ने इसके बाद 1962 और 1970 में भी ब्राजील के लिए वर्ल्ड कप जीता।
1200 से ज्यादा गोल, पेले डे मनाया जाता है
पेले ने प्रोफेशनल करियर में 1363 मैच खेलकर 1279 गोल दागे। इस दौरान ब्राजील के लिए उन्होंने 92 मैचों में 77 गोल किए। 19 नवंबर 1969 को जब पेले ने अपना 1000वां गोल दागा था तो हजारों लोग पेले से मिलने के लिए मैदान में पहुंच गए थे। गेम को काफी देर तक रोकना पड़ गया था। पेले के एक हजारवें गोल की याद में सैंटोस शहर में 19 नवंबर को 'पेले डे' मनाया जाता है। पेले 1995 से 1998 तक ब्राजील के खेल मंत्री भी रहे थे। पेले को 1999 में इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने सदी का बेस्ट एथलीट चुना था।
पर्सनल लाइफ को लेकर भी काफी चर्चा में रहे
पेले ने 3 शादियां की थी। उनकी पहली शादी रोजमेरी डोस रईस चोल्बी के साथ 1966 में हुई। इससे उन्हें 2 बेटियां भी हुई, लेकिन 1982 में उनका तलाक हो गया। 1981 से 1986 तक वे मारिया दा ग्रासा मेनेघेल के साथ रिलेशनशिप में रहे। जब पेले ने उनके साथ डेटिंग शुरू की तो मेनेघेल सिर्फ 17 साल की थीं। इसके बाद पेले ने 1991 में मनोवैज्ञानिक असीरिया लेमोस सेइक्सास के साथ शादी की। सेइक्सास और पेले के जुड़वां बच्चे हुए। 2008 में दोनों ने अलग होने का फैसला किया। इसके बाद 2016 में पेले ने मर्सिया ओकी से शादी की।
नेमार का भावुक पोस्ट, लिखा- फुटबॉल को आर्ट में बदल दिया
ब्राजीलियन सुपरस्टार नेमार ने अपने देश के फुटबॉल आइकन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा- पेले से पहले, '10' सिर्फ एक संख्या थी, लेकिन यह सुंदर वाक्य अधूरा है। मैं कहूंगा कि पेले से पहले फुटबॉल सिर्फ एक खेल था। उन्होंने फुटबॉल को एक कला में बदल दिया, मनोरंजन से भर दिया... फुटबॉल और ब्राजील को नाम मिला और इसके लिए किंग (पेले) को धन्यवाद। वे चले गए, लेकिन उनका जादू जिंदा रहेगा। पेले शाश्वत हैं।
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दो बार भारत आए थे पेले, पश्चिम बंगाल में मैच खेले, दुर्गा पूजा में भी शामिल हुए
पेले का भारत से भी गहरा कनेक्शन रहा है। वे दो बार भारत दौरे पर आए थे। एक बार पेले ने कोलकाता में मोहन बागान के खिलाफ मैच खेला था। दूसरी बार भी पेले पश्चिम बंगाल ही आए थे और यहां दुर्गा पूजा में शामिल हुए थे। पेले ने 24 सितंबर 1977 को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में मोहन बागान के खिलाफ मैच खेला था। तब पेले न्यूयॉर्क कॉस्मोस टीम के लिए खेल रहे थे। दर्शकों से खचाखच भरे ईडन गार्डन्स के मैदान पर यह मुकाबला बेहद ही रोमांचक था। पेले ने अपना जादू दिखाना शुरू ही किया था कि मोहन बागान के खिलाड़ियों ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया। इस पूरी आपाधापी में मोहन बागान के खिलाड़ियों को कामयाबी मिली और उन्होंने पेले को गोल नहीं करने दिया। एक समय मोहन बागान ने यह मैच 2-1 से करीब-करीब जीत ही लिया था, लेकिन विवादित पेनल्टी से कॉस्मोस टीम ने गोल दागकर मैच 2-2 से ड्रॉ करा दिया। यह मैच कोलकाता मैदान के मशहूर फुटबॉल प्रशासक धीरेन डे के प्रयासों का नतीजा था, जो उस समय मोहन बागान के महासचिव थे।
पेले का जादू ऐसा था कि एक फिल्म में भी जिक्र हुआ था
पेले की दीवानगी भारत में इस कदर थी कि इसका जिक्र फिल्मों में तक हुआ। 1977 के मैच के दो साल बाद यानी 1979 में अमोल पालेकर की फिल्म 'गोलमाल' रिलीज हुई थी। फिल्म में अमोल पालेकर जब उत्पल दत्त के पास नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाते हैं तो उत्पल दत्त पूछते हैं कि आप 'ब्लैक पर्ल' के बारे जानते हैं। राम प्रसाद शर्मा के रोल में अमोल पालेकर कहते हैं कि मैं ब्लैक पर्ल को नहीं जानता। हां, सुना है कलकत्ता (कोलकाता) में करीब 30-40 हजार पागल उनके दर्शन करने आधी रात को दमदम हवाई अड्डे पहुंच गए थे।
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