मां का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ होता है, फिर चाहे मां दुनिया में हो या ना हो। इसका अंदाजा ब्रॉन्ज विजेता पुरुष हॉकी टीम के सदस्य सुमित को देखकर लगाया जा सकता है। 40 साल बाद भारत ने हॉकी में ब्रॉन्ज जीता । इसके बाद पूरे देश में जश्न का माहौल छा गया। सुमित ने उस लॉकेट को देखा, जिसने उसे जीतने की हिम्मत दी।
मां के झुमके तुड़वाकर लॉकेट बनवाया
भारत के लिए हॉकी में मिल्डफील्डर सुमित की मां का 6 महीने पहले निधन हो गया था। तब सुमित ने अपनी मां के झूमके तुड़वाकर एक लॉकेट बनवाया था, जिसमें उसकी मां फोटो थी। हॉकी खेलने के दौरान उन्होंने यह लॉकेट पहना हुआ था। सुमित की जीत से न सिर्फ परिवार ब,ल्कि पूरे देश को गर्व है।
तीनों भाई पिता के साथ मजदूरी करते थे
सुमित की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। सुमित तीन भाई हैं। वे बचपन में होटलों में काम करते थे। महज 7 साल की उम्र में उन्होंने हॉकी खेलना शुरू कर दिया। परिवार और दोस्तों ने जमकर साथ दिया।
कहा- मां को साथ लेकर जा रहा हूं
मीडिया से बातचीत के दौरान उनके भाई ने बताया कि मां का सपना था कि सुमित ओलंपिक में जाए। वो वक्त भी आया जब सुमित ओलंपिक में तो गए लेकिन मां साथ नहीं थी। तब सुमित ने लॉकेट बनवाकर पहन लिया। कहा- मां उसके साथ है इस बार मेडल लेकर आऊंगा।