इंदौर में गौड़ परिवार के हिंद रक्षक संगठन ने आकाश, कविता, गोलू और मनोज के वंशवाद पर उठाए सवाल, फिर विधानसभा चार में ही सवाल क्यों?

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BP Shrivastava
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इंदौर में गौड़ परिवार के हिंद रक्षक संगठन ने आकाश, कविता, गोलू और मनोज के वंशवाद पर उठाए सवाल, फिर विधानसभा चार में ही सवाल क्यों?

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विधानसभा चार में विधायक मालिनी गौड़ और उनके बेटे एकलव्य गौड़ को लगातार राजनीतिक निशाने पर लिया जा रहा है। इसके बाद हिंद रक्षक संगठन के सोशल मीडिया एकाउंट से एक पोस्ट होने से हलचल मच गई। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय महासाचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश के साथ ही महू से बीजेपी के धाकड़ नेता रहे भेरूलाल पाटीदार की राज्यसभा सांसद बेटी कविता पाटीदार, देपालपुर से बीजेपी के नेता रहे और पूर्व मंत्री निर्भय सिंह पटेल के बेटे मनोज पटेल के साथ ही विष्णप्रसाद शुक्ला के भतीजे गोलू शुक्ला पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही पूछा गया है कि यह वंशवाद नहीं है क्या? हालांकि एकलव्य गौड़ का कहना है कि जो पोस्ट हुई वह हिंद रक्षक के नाम का फर्जी एकाउंट है, उससे हमारा लेना-देना नहीं है, लेकिन इस पेज पर हिंद रक्षक वालों ने ही लाइक किए हैं और बाद में पोस्ट डिलीट कर दी गई।

यह पोस्ट हुई और फिर डिलीट कर दी गई

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जो षडयंत्रकारी वंशवाद की दुहाई देकर इंदौर में मायाजाल बुनने का कुत्सित कृत्य कर रहे हैं, उनसे मेरा प्रश्न है कि क्या- सुश्री कविता पाटीदार जी पिता स्वर्गीय भेरूलाल पाटीदार जी, श्री सावन सोनकर जी पिता स्वर्गीय प्रकाश सोनकर जी, राजेश सोनकर पिता प्रकाश सोनकर जी, मनोज पटेल पिता निर्भयसिहं पटेल जी, गोलू शुक्ला पिता विष्णुप्रसाद शुक्लाजी और आकाश विजयवर्गीय पिता कैलाश विजयवर्गीय जी से यह प्रश्न किया है? या सिर्फ विधानसभा क्रमांच चार के लिए ही अपनी विकृत मानसकिता की गंदगी फैला रहे हैं? ( हालांकि, पोस्ट में सावन सोनकर के पिता प्रकाश सोनकर और गोलू के पिता विष्णुप्रसाद शुक्ला, गलत बताए गए हैं यह दोनों ही संबंधित के चाचा हैं)

इंदौर में लंबी है वंशवाद की परंपरा, कहीं 30 तो कहीं 50 साल से चल रही

  • देपालपुर विधानसभा: यहां से तो बीजेपी हो या कांग्रेस पिता-पुत्र ही लड़ते आए हैं। बीजेपी से निर्भय सिंह पटेल लड़े तो फिर साल 2003 से उनके पुत्र मनोज पटेल को ही टिकट मिल रहा है। वहीं कांग्रेस से रामेश्वर पटेल, फिर उनके बेटे सत्यानारायण पटेल और जगदीश पटेल और उनके बेटे विशाल पटेल (जो अभी विधायक हैं), इनके सिवा किसी को टिकट ही नहीं मिला।
  • इंदौर विधानसभा-1: यहां से वंशवाद जैसी बात नहीं रही लेकिन विष्णुप्रसाद शुक्ला के भतीजे गोलू शुक्ला को बीजेपी ने कई पद दिए, वर्तमान में आईडीए के उपाध्यक्ष है। स्व. विष्णुप्रसाद शुक्ला (बड़े भैया) जनसंघ के नेता रहे। साल 1985 और 1990 में चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद 2003 में उनके एक बेटे राजेंद्र शुक्ला को बीजेपी ने इंदौर 3 से टिकट दिया लेकिन हार गए। दूसरे बेटे संजय शुक्ला कांग्रेस से विधायक है।
  • विधानसभा-2 : यहां से वंशवाद तो नहीं रहा लेकिन साल 1993 से 2003 तक कैलाश विजयवर्गीय विधायक रहे फिर 2008, 2013 और 2018 में उनके खास रमेश मेंदोला को सीट मिल गई।
  • विधानसभा-3 : यहां पहले कांग्रेस से वंशवाद चला यहां कांग्रेस विधायक रहे महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी को पहले टिकट मिले, फिर अब महेश जोशी के बेटे पिंटू जोशी टिकट की मांग कर रहे हैं। यहां से लगातार टिकट जोशी परिवार से ही कांग्रेस को मिला है। वहीं बीजेपी के वंशवाद की शाखा यहां पहुंची और विजयवर्गीय ने अपने पुत्र आकाश को यहां से 2018 में टिकट दिलाया और वह जीते।
  • विधानसभा-4 : यहां साल 1993 में लक्ष्मणसिंह गौड़ विधायक बने, 1998 औऱ् 2003 में वह जीते, फिर उनके निधन के बाद पत्नी मालिनी गौड 2008, 2013 और 2018 में विधायक रही, महापौर भी बनी और अब 2023 में भी वही दावेदार है और एकलव्य के लिए टिकट मांगा जा रहा है।
  • विधानसभा-5: यहां से वंशवाद की बात नहीं रही लेकिन साल 2003 से महेंद्र हार्डिया ही विधायक है।
  • विधानसभा राउ: यह सीट 2008 में ही बनी, यहां पहले खाती समाज के जीतू जिराती दो बार लड़े एक बार जीते और एक बार हारे, वहीं कांग्रेस से लगातार जीतू पटवारी लड रहे हैं, एक बार हारे और दो बार से लगातार विधायक है।
  • विधानसभा महू: यहां से कांग्रेस की बात करें तो लगातार अंतरसिंह दरबार ही लड़ रहे हैं। वहीं बीजेपी से पहले भेरूलाल पाटीदार लड़े और चुनाव जीते इसके बाद उनकी बेटी कविता पाटीदार पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनी और फिर अब राज्य सभा सांसद भी बन गई है।
  • विधानसभा सांवेर: यहां से बीजेपी की ओर से लगातार प्रकाश सोनकर लड़ते रहे और कांग्रेस की ओर से तुलसी सिलावट। सोनकर के निधन के बाद निशान सोनकर को टिकट मिला, फिर उनके रिश्तेदार राजेश सोनकर को टिकट मिला, एक बार विधायक बने और एक बार हारे, अब उन्हें सोनकच्छ से टिकट मिला है, वहीं सावन सोनकर को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं कांग्रेस से बीजेपी में आए सिलावट यहां से 1985 से चुनाव लड़ रहे हैं और फिर इस बार टिकट उन्हें ही होगा, उनका बेटा भी अब सक्रिय हो गए हैं।
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