GWALIOR. फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी पाने के मामले लगातार खुल रहे हैं। करीब दो महीने पहले पटवारी फर्जीवाड़ा सामने आया और इसके बाद स्कूली शिक्षक बनने में 68 लोगों पर एफआईआर हुई। अब इसी क्रम में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच मेडिकल बोर्ड से कराई जाएगी। यहां बता दें, शिक्षक भर्ती की तरह ही कॉलेजों में दिव्यांग कोटे से हुई 150 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियों में भी शिकायतें होने लगी हैं।
क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों
स्कूली शिक्षकों की तहर ही दिव्यांग असिस्टेंट प्रोफेसर्स की शिकायतों के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी ने सभी क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों को पत्र लिखा है कि अब वर्ष 2018 में आयोजित सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी की परीक्षा देकर दिव्यांग अथवा निशक्तता सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने वाले 150 लोगों की जांच नए सिरे से होगी। सर्टिफिकेट लगाने वाले सहायक प्राध्यापकों की निशक्तता की जांच संभागीय मेडिकल बोर्ड से कराई जाए।
नियमानुसार कम दिव्यांगता की शिकायतें
दिव्यांगता मामलों में नियम है कि जांच में 40 प्रतिशत से अधिक निशक्तता पाई जाती है तभी प्राचार्य द्वारा कार्यभार ग्रहण कराया जाए, लेकिन कई कॉलेजों में ऐसा नहीं किया गया। उच्च शिक्षा विभाग को शिकायत मिली है कई लोगों की निशक्तता 40% से कम है और बैरा टेस्ट भी नहीं कराया। इसके बाद विभाग हरकत में आया और अब दिव्यांग कोटे से बने 150 असिस्टेंट प्रोफेसर्स के सर्टिफिकेट्स की जांच होगी।
मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जा रही- प्रो. रत्नम
उच्च शिक्षा विभाग के संभागीय अतिरिक्त संचालक ग्वालियर प्रो. के रत्नम ने बताया कि वर्ष 2018 में हुई परीक्षा से नियुक्त सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी, जिन्होंने दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाया था, उनकी मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जा रही है। इस संबंध में अंचल के प्राचार्यों को निर्देश दिए हैं।