BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने के मामले में पिछड़ गई है, जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को 4 फीसदी और महंगाई भत्ता मिलना तय हो गया है। अब इसे लेकर मप्र के साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों में असंतोष है। फिलहाल मप्र में इन कर्मचारियों को 42 प्रतिशत डीए मिल रहा है। कर्मचारियों को 46 फीसदी डीए भुगतान से मप्र सरकार पर 350 करोड़ सालाना का वित्तीय भार आएगा।
यहां बता दें, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं और आचार संहिता के दौरान डीए के आदेश हुए हैं जबकि मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है और कर्मचारियों को डीए के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
जानबूझकर सरकार ने देरी की
मप्र के कर्मचारी-अधिककारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों के पेमेंट में देरी की है। जहां तक चुनावों को सवाल है तो चुनाव आयोग ने मतदान के दिन तक भत्ते के भुगतान पर अस्थाई रोक लगाई थी, लेकिन सरकार ने इसके बाद डीए भुगतान के लिए कोई प्रयास ही नहीं किए। आयोग की अस्थाई रोक के बाद अब सरकार भत्ते के भुगतान के लिए खुद आदेश कर सकती है।
संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि मप्र में वोटिंग हो चुकी है, इसलिए सरकार चुनाव आयोग को दोबारा मार्गदर्शन ले सकती है। सरकार के वित्त विभाग ने दोनों ही काम नहीं किए हैं। इससे कर्मचारियों में निराशा है। पहले भी सरकार डीए की पूरी राशि का पेमेंट नहीं करती रही है।
मप्र में कर्मचारियों को मिल रहा 42 प्रतिशत डीए
मप्र के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह डीए मिलने के आदेश 20 अक्टूबर को हुए थे। जिसके तहत मप्र के कर्मचारियों को 46 फीसदी महंगाई भत्ता मिलना है। वर्तमान में सातवें वेतनमान के अनुसार मप्र के कर्मचारियों को 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। अभी इसमें 4 फीसदी डीए और जुड़ना है। इसके लिए कर्मचारी एक महीने से इंतजार कर रहे हैं।
आयोग ने वोटिंग होने तक लगाई थी रोक
जानकारी के अनुसार शिवराज सरकार ने चुनाव आयोग से धनतेरस के दिन प्रस्ताव भेजकर प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों को महंगाई भत्ता देने के लिए अनुमति मांगी थी। उस समय तक मप्र में वोटिंग नहीं हुई थी। लिहाजा, आयोग ने भत्ते का भुगतान करने पर रोक लगाई थी और कहा था कि मतदान दिवस तक महंगाई भत्ते का भुगतान स्थगित रखा जाए। अब मतदान हो गया है पर महंगाई भत्ते को लेकर सरकार और शासन स्तर पर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
राजस्थान, छत्तीसगढ़ में डीए भुगतान की आयोग से मंजूरी
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों को डीए का भुगतान करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी। जिसके तहत राजस्थान में मतदान से पहले और छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले आयोग ने डीए भुगतान की मंजूरी दी है।