राजस्थान में थमा चुनाव प्रचार का शोर, अब पोलिंग की रणनीति पर फोकस, मतदान 25 नवंबर को

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BP Shrivastava
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राजस्थान में थमा चुनाव प्रचार का शोर, अब पोलिंग की रणनीति पर फोकस, मतदान 25 नवंबर को

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है और इसके लिए प्रचार का हल्ला आज शाम यानी गुरुवार, 23 नवंबर की शाम 6:00 बजे शांत हो गया। अब सभी दल और प्रत्याशी शनिवार को होने वाले मतदान के रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

बीजेपी- कांग्रेस नेताओं ने जमकर किया प्रचार

राजस्थान में चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 9 नवंबर को पूरी हो गई थी और इसी के साथ प्रचार शुरू भी हो गया था, लेकिन बीच में दिवाली के कारण प्रचार को गति 15 नवंबर से मिली। पिछले 9 दिन के दौरान प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के सभी राष्ट्रीय नेताओं के दौरे हुए और इन नेताओं ने प्रदेश के लगभग हर हिस्से में जाकर सभाएं रोड शो और प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

मोदी ने पिछले 6 दिन रोजाना कीं दो सभाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले 15 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रचार समाप्त होने के साथ ही राजस्थान के उदयपुर में आए और सभा की और इसके बाद 18 नवंबर से 23 नवंबर तक हर रोज राजस्थान का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने प्रतिदिन औसतन दो सभाएं की और जयपुर में एक बड़ा रोड शो भी किया। प्रधानमंत्री किन सभाओं को सभी जगह जनता का अच्छा रिस्पॉन्स मिलता दिखा। आज प्रचार के अंतिम दिन भी वे राजसमंद जिले के देवगढ़ में पहुंचे और सभा को संबोधित किया।

अमित शाह लेते रहे फीडबैक

भाजपा के दूसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक गृहमंत्री अमित शाह भी इस दौरान लगातार राजस्थान बने रहे और 10 से ज्यादा सभाओं को संबोधित किया। चुनाव प्रचार के साथ ही अमित शाह राजस्थान में चुनाव की रणनीति पर भी लगातार नजर बनाए रहे और नेताओं के साथ बैठकों तथा फीडबैक का दौर जारी रहा।

यूपी के सीएम योगी की 20 से ज्यादा संभाएं हुईं

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के अलावा राजस्थान में सबसे ज्यादा सभाएं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हुई जिन्होंने 20 से ज्यादा सभाओं को संबोधित किया और पिछले दिनों में लगातार राजस्थान के दौरे किए। आज अंतिम दिन भी उनका जयपुर में एक रोड शो और भरतपुर में एक सभा थी। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद सबसे ज्यादा डिमांड योगी आदित्यनाथ की ही रही।

ये नेता भी दिखे चुनाव प्रचार में

इनके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, संजीव बालियान हरदीप पुरी, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा भी राजस्थान में चुनाव प्रचार करते दिखे।

राजे 40 चुनावी सभाएं कीं

राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के बाद प्रदेश स्तर के नेताओं की बात करें तो सबसे ज्यादा सभाएं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे करती नजर आईं। अपने विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन में नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद उन्होंने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 40 चुनावी सभाओं को संबोधित किया और लगभग पूरे प्रदेश का दौरा किया। वसुंधरा राजे के अलावा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने भी चुनावी सभा की।

सोनिया हफ्तेभर जयपुर में रहीं, राहुल ने यहीं से चुनाव अभियान को मूव किया

उधर, कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ही मुख्य तौर पर सभाएं करते नजर आए। दिल्ली में प्रदूषण के चलते कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी डॉक्टरों की सलाह पर 16 नवंबर की शाम जयपुर आ गईं थीं और उनके साथ राहुल गांधी भी जयपुर आ गए थे। इस दौरान यह दोनों लगभग एक सप्ताह जयपुर में ही रहे और यही से राहुल गांधी ने न सिर्फ चुनावी दौरे किए, बल्कि पार्टी के चुनाव अभियान पर नजर भी बनाए रखी।

राहुल, प्रियंका और खड़गे ने कीं 30 सभाएं

राजस्थान के चुनाव प्रचार में राहुल गांधी ने लगभग 15 सभाएं की। वहीं प्रियंका गांधी ने भी करीब 10 के आसपास सभाएं की हैं और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पांच सभाएं की। इन तीनों नेताओं के अलावा पार्टी के कई स्टार प्रचारक प्रदेश के दौरे पर रहे इनमें केंद्रीय नेता आनंद शर्मा, भूपेंद्र हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रवक्ता पवन खेड़ा, एनएसयूआई के प्रभारी कन्हैया कुमार शाहिद विभिन्न नेता शामिल थे, लेकिन यह ज्यादातर नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस तक ही सीमित रहे।

सीएम गहलोत ने हर रोज 3-4 सभाएं कीं

प्रदेश स्तरीय नेताओं की बात की जाए तो प्रचार की कमान मुख्य तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथ में ही रही और उन्होंने हर रोज औसतन 3 से 4 सभाओं को संबोधित किया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा स्वयं चुनाव लड़ने के कारण अपनी ही सीट पर फंसे रहे और एक-दो जगह को छोड़कर कहीं जा नहीं पाए। सरकार के ज्यादातर मंत्री भी चुकी स्वयं चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए उनके भी दौरे दूसरी सीटों पर नहीं हुए।

प्रचार में छाए रहे यह मुद्दे

राजस्थान के चुनाव प्रचार में मुख्य तौर पर धार्मिक तुष्टिकरण, प्रश्न पत्र लीक, महिलाओं के साथ अपराध, लाल डायरी, सरकार की गारंटियां, जातिगत जनगणना, प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपतियों के साथ उनके संबंध, केंद्र सरकार की पूंजीवादी नीतियां, योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर राज जैसे मुद्दे ही छाए रहे।

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