संजय गुप्ता, INDORE. कलेक्टोरोट में सोमवार को एक चार लाइन का आदेश निकला है, जिसमें अपर कलेक्टर सपना लोवंशी को झटका देते हुए उनसे कॉलोनी सेल का प्रभार वापस ले लिया गया है। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा जारी आदेश में यह प्रभार गौरव बैनल (आईएएस) को सौंपा गया है और लोवंशी को मुक्त किया गया है। कलेक्टर सिंह ने इसे सामान्य प्रशासनिक कार्यविभाजन आदेश बताया है।
कॉलोनी सेल की कार्यशैली को लगातार आ रही थी शिकायतें
कलेक्टर सिंह के प्रभार संभालने के बाद से ही कॉलोनी सेल की शिकायतें मिलना शुरू हो गई थी। एक ही तरह के मामले में किसी कॉलोनी को विकास मंजूरी, कार्यपूर्णता जारी हो रही थी तो उसी तरह के दूसरे मामले में यह फाइल रूक रही थी। सूत्रों को इन शिकायतों को परखने के बाद कलेक्टर ने यह फैसला लिया है।
वन विभाग और तालाब के पास वाली कॉलोनी में हुई गड़बड़ी
खासकर देखने में आया कि वन विभाग के दायरे में आ रही कॉलोनियों को लेकर खासी समस्या थी। वन विभाग अपने पत्राचार में एक बार लिख भी चुका था कि कॉलोनी से जुलाई 2023 में दिए प्रतिवेदन पर और सुप्रीम कोर्ट व अन्य निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करें, लेकिन इसके बाद भी लगातार वन विभाग को पत्र लिखे जा रहे थे औऱ् अनापत्ति के नाम पर कॉलोनियों के काम रोके जा रहे थे। एक ही तरह के पत्र में दो-चार लाइन कम-ज्यादा होने पर भी किसी की मंजूरी दे दी गई तो किसी की रोक दी गई। वही देपालपुर में तालाब के पास कटी सैफी कॉलोनी को लेकर भी मामला उठा था जिसमें पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह और कॉलोनी सेल के तत्कालीन प्रभारी अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने नामंजूर कर दिया था। लेकिन बाद में इसे पुरानी आपत्तियों को दरकिनार कर मंजूर कर लिया गया।
कॉलोन सेल के स्टॉफ पर भी कलेक्टर की नजर
कॉलोनी सेल के स्टॉफ के कुछ सदस्यों की भी जानकारी कलेक्टर के पास पहुंची है और उनकी पूरी नजर है। कलेक्टर सिंह ने संकुल में दो बाबुओं को सस्पेंड करने, तहसीलदारों को नोटिस जारी करने जैसे कामों से सख्त कार्यशैली का पहले ही नमूना दे दिया है। कलेक्टर ने साफ कर दिया कि कलेक्टोरेट में किसी तरह की एजेंटशिप नहीं चलेंगी, कोई दलाल नहीं घूमेंगे और ना ही सुविधा शुल्क जैसी कोई मांग होगी। फाइल जो पहले आई वह पहले होगी और क्रम से फाइल का मूवमेंट बिना लेटलतीफी के किया जाएगा।