संजय गुप्ता, INDORE. लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और कांग्रेस इसे लेकर शनिवार को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक कर रही है ताकि उम्मीदवारों के लिए पैनल बनाई जा सके। इंदौर लोकसभा की बात करें तो 1989 से ही यह सीट बीजेपी के पास है और यह इस बार भी बीजेपी के लिए केक की तरह ही है। इसके चलते कांग्रेस में दावेदारी ही सामने नहीं आ रही है। वहीं पार्टी की समस्या एक और है, पार्टी फंड की कमी से जूझ रही है। ऐसे में उम्मीदवार को चुनाव खुद ही लड़ना है और इसके लिए कांग्रेस को चाहिए करोड़पति उम्मीदवार जो इंदौर चुनाव का खर्चा खुद उठा सके। यानी टिकाऊ चेहरा नहीं, कमाऊ चेहरे की तलाश है।
इंदौर में यह है कांग्रेस के अमीर नेता
करोड़पति दावेदारों की बात करें तो इंदौर में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले संजय शुक्ला सबसे ज्यादा संपत्ति वाले है। उनके पास विशाल पटेल और फिर सत्तू पटेल की संपत्ति है।
- संजय शुक्ला- 216 करोड़ की संपत्ति के मालिक है। लेकिन यह महापौर चुनाव में लड़ चुके हैं, उसमें भी जमकर खर्चा किया और फिर महापौर चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव के लिए एक साल तक जमकर खर्चा किया। ऐसे में वह अब लोकसभा के लिए बिल्कुल इच्छुक नहीं है।
- सत्यनारायण पटेल- इनकी संपत्ति 73 करोड़ रुपए है। यह दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन दोनों ही चुनाव में हार चुके हैं। वहीं इस दौरान वह लगातार विधानसभा चुनाव भी 1998 से लड़ रहे हैं। इंदौर विधानसभा पांच से ही दो बार लगातार चुनाव हार गए। अभी जीत उनके नसीब नहीं आ रही। ऐसे में वह भी लोकसभा का खर्चा उठाने को राजी नहीं है।
संजय, सत्तू की मनाही के बाद विशाल ही बचते हैं करोड़पति उम्मीदवार
संजय और सत्तू की मनाही के बाद सबसे मजबूत और करोड़पति नेता विशाल पटेल ही बचते हैं। उनकी संपत्ति 142 करोड़ रुपए है। उन्हीं की हैसियत है कि वह इंदौर लोकसभा चुनाव के दौरान जमकर खर्च कर सकें। लेकिन सूत्रों के अनुसार वह भी जानते हैं कि चुनाव में उतरना मतलब हार और खर्चा। ऐसे में वह लड़ने के मूड़ में नहीं है। अपनी विधानसभा में ही वह कमजोर माने जा रहे बीजेपी के मनोज पटेल से चुनाव हार गए।
स्वप्निल और अक्षय बम, ये दो भी कर सकते हैं खर्च
वहीं कांग्रेस के अन्य करोड़पति दावेदारों की बात करें तो एक समय विधानसभा पांच से चुनाव लड़ने के इच्छुक शिक्षाविद् स्वप्निल कोठारी का नाम भी प्रमुखता से है। वह भी चुनाव में खर्च करने में सक्षम हैं। लेकिन विधानसभा में कांग्रेस की करारी हार, खासकर इंदौर की सभी नौ सीट हारने के बाद उनकी भी इस ओर रूचि अब कम ही है। वहीं उन्हीं की तरह विधानसभा चार से टिकट के दावेदारी करने वाले शिक्षाविद् अक्षय कांति बम भी हैं, जो चुनाव खर्च उठाने में सक्षम हैं। लेकिन समस्या वही है कांग्रेस की विधानसभा हार के बाद वह भी ज्यादा इच्छुक होंगे, इसकी उम्मीद कम ही है।
चेहरे पर जाएंगे तो एक नाम शेखावत का
कांग्रेस यदि खर्चा छोड़कर चेहरे पर जाती है तो एक नाम धार की बदनावर सीट से चुनाव जीते भंवर सिंह शेखावत का है, जिसे इंदौर लोकसभा चुनाव के लिहाज से थोड़ा मजबूत माना जा सकता है। वह इंदौर के ही है और यहां विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं। लेकिन खर्चे की बात आएगी तो पार्टी को उनसे मायूस ही होना होगा, वह खर्च करने के लिए राजी नहीं होंगे। ऐसे में पार्टी को चुनाव में रुपए लगाने होंगे, जिस पर पार्टी राजी होगी ऐसा मुश्किल है।