INDORE/ BHOPAL. तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में जगतगुरु आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा "स्टेच्यू ऑफ वननेस" लगभग बन कर तैयार है। इसका लोकार्पण 21 सितंबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान करेंगे। ओंकारेश्वर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक 'ओंकारेश्वर-ममलेश्वर' ज्योतिर्लिंग यहां स्थित है, जो इंदौर शहर के पास स्थित है। यहां से नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी के बहने से यहां ऊँ का आकार बनता है। ऊॅं का आकार होने के कारण ही इसे ओंकारेश्वर नाम से पुकारा जाता है। यह जगतगुरु आदि शंकराचार्य की दीक्षा और शिक्षा स्थली रहा है। यहां पर उन्होंने अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से रहकर विद्या अध्ययन किया था।
जगतगुरु आदि शंकराचार्य
आदि शंकराचार्य का जन्म एक गरीब मलयाली ब्राह्मण परिवार में सन 788 ई में वर्तमान केरल के आधुनिक एर्नाकुल्लम जिले में कलादी नामक एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु था, जो शास्त्रों के ज्ञाता थे और माता का नाम आर्यम्बा था। आदि शंकराचार्य बहुत कम उम्र में 'संन्यासी' बनने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से दीक्षा ली और चार साल तक रहकर विद्या अध्ययन किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्होंने 12 साल की उम्र में ओंकारेश्वर छोड़ दिया और पूरे देश में यात्रा करके अद्वैत वेदांत दर्शन का प्रसार किया था। लोगों को इसके सिद्धांतों को समझाया। शंकराचार्य ने नर्मदाष्टकम की रचना भी ओंकारेश्वर में ही रहकर की थी।
"स्टेच्यू ऑफ वननेस" की खासियत
- अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) लगभग 11.5 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित किया जा रहा है, इसी के मध्य "स्टेच्यू ऑफ वननेस" प्रतिमा स्थापित की गई है।
- यह प्रतिमा 108 फीट ऊंची है। जो बहुधातु से निर्मित हैं। जिसमें 12 वर्ष के बालक के स्वरूप में आदि शंकराचार्य को दिखाया गया है।
- यह प्रतिमा पत्थर से निर्मित 16 फीट के कमल पर स्थापित की गई है।
- इसका स्वरूप विख्यात चित्रकार वासुदेव कामत द्वारा बनाए चित्र के आधार पर बनाया गया है।
- इस प्रतिमा का वजन 100 टन है। इसे 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक और 8 प्रतिशत टिन के मिश्रण से बनाया गया है।
- "स्टेच्यू ऑफ वननेस" को कुल 290 पैनल से जोड़कर बनाया गया है।
- प्रतिमा का रंग "प्रो यूरो" है, जो इसे धूप-बारिश के प्रभाव से बचाएगी ।
- शंकराचार्य की प्रतिमा के हाथ में दंड रखा गया हैं। यह दंड अद्वैत संन्यासी अपने हाथों में रखते हैं, जो व्यक्तिगत आत्मा की सर्वोच्चता को दिखाता है।
धातुओं का एकत्रीकरण
इस प्रतिमा के लिए मध्यप्रदेश की 23 हजार पंचायतों से तांबा, टिन, जिंक धातुओं का एकत्रीकरण किया गया था। इनके मिश्रण से बनी मिश्रधातु से इस प्रतिमा को बनाया गया है।
अलग अलग जगह तैयार हुए प्रतिमा के हिस्से
प्रतिमा के पार्ट्स निर्माणस्थल पर अलग-अलग जगहों से लाए गए थे। जैसे-हाथ, पैर, सिर। फिर इनको जोड़कर मूर्ति का स्वरूप दिया गया है। इसको बनाने में 150 से ज्यादा कर्मचारीयों द्वारा, बड़ी-बड़ी अत्याधुनिक मशीनों और क्रेनों के सहयोग से प्रतिमा के पार्ट्स को जोड़कर स्वरूप दिया गया है।
भगवा चोले में आईआईटी-आईआईएम पासआउट संभाल रहे मोर्चा
ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति के प्रबंधन के लिए भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित मप्र जन अभियान परिषद कार्यालय को मुख्यालय बनाया है। 21 सितंबर को होने वाले अनावरण कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए यहां 300 शंकरदूत डटे हैं। इनमें आईआईटी और आईआईएम पासआउट प्रोफेशनल्स भी हैं। उन्होंने भगवा चोला धारण कर 10 दिन से मोर्चा संभाल रखा है। पूरे कार्यक्रम पर नजर माउंट आबू से आए स्वामी समानंद गिरी रख रहे हैं। वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। वे कंट्रोल रूम से कार्यक्रम की रूपरेखा पर नजर रख रहे हैं। मसलन, संत कहां से आएंगे। कार्यक्रम स्थल कैसे पहुंचेंगे, ट्रैकिंग कर रहे हैं। आईआईटी धनबाद से पढ़े प्रवीण पोरवाल ने बताया कि मैं छुट्टी लेकर आया हूं। मैंने शंकरदूत बनकर खुद को जाना है। हिमाचल में अद्वैत शिविर में तत्व बोध को जाना।
सीएम शिवराज सिंह कर रहे मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इसे मॉनिटर कर रहे थे। उनकी चार सदस्यीय टीम भी यहां मौजूद है, जो पल-पल की अपडेट्स सीएम तक पहुंचाती थी। यही कारण रहा कि काम समय पर पूरा हुआ।
PM मोदी के हाथों होना था उद्घाटन
सितंबर के शुरुआत में तैयारियां प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उद्घाटन को लेकर हो रही थी, पर सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर तक बुलाए गए संसदीय विशेष सत्र के कारण पीएम मोदी उपलब्ध नहीं हो सकेंगे।
2017 में हुई थी घोषणा
9 फरवरी 2017 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा, संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना की घोषणा की थी। सरकार का कहना था कि जगतगुरु आदि शंकराचार्य की ज्ञान भूमि ओंकारेश्वर का प्रकल्प अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए, इस प्रोजेक्ट पर करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया था।
एकात्म धाम में संग्रहालय और वन भी विकसित किया जा रहा
ओंकारेश्वर में "अद्वैत लोक" नामक संग्रहालय और एक अंतरराष्ट्रीय वेदांत संस्थान की स्थापना करना,इसके अलावा शहर में एक 36 हेक्टेयर भूमी में "अद्वैत वन" भी विकसित किया जा रहा है। एकात्म धाम में अन्नपूर्णा भोजनालय भी होगा, जहाँ 500 लोगों के बैठकर खाने की व्यवस्था होगी।
प्रतिमा अनावरण और संत समागम में सैकड़ों साधु होंगे शामिल
सीएम शिवराज सिंह चौहान वैदिक रीति से देश के प्रमुख साधु-संतों की उपस्थिति में 21 सितंबर को प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इस मौके पर यज्ञ, हवन, पूजन, पारायण, संत समागम समेत कई कार्यक्रम होंगे। कार्यक्रम के लिए सिद्धवरकूट जैन मंदिर और गया शिला के पास संत सम्मेलन के लिए विशाल वाटरप्रूफ डोम बनाया गया है। समारोह में महाकालेश्वर, काशी विश्वनाथ, हरिद्वार समेत देशभर से पीठाधीश्वर और साधु-संत भी आएंगे। सभी पीठों के शंकराचार्य को भी आमंत्रित किया गया हैं। लगभग 3000 साधु-संतों के ठहरने की व्यवस्था की गई हैं। आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, पुणे से स्वामी गोविंदगिरि समेत गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पांडेय, चिन्मय आश्रम समेत विभिन्न मठों के प्रमुख शामिल होंने वाले हैं।
सरकार का उद्देश्य
एकात्म धाम को अध्यात्म और पर्यटन का केंद्र बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करना है और आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपरा की ओर वैश्विक ध्यान को आकर्षित कर पर्यटन को बढ़ावा देना है।
यहां तक कैसे पहुंचें
इंदौर से खंडवा रोड पर बड़वाह, मोरटक्का होते हुए लगभग ढाई घंटे में ओंकारेश्वर पहुंच सकते हैं। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 80 किमी है। उज्जैन शहर से 140 किलोमीटर की दूरी पर है। इन सभी मार्गों पर पर्याप्त बसें चलती हैं। इंदौर शहर में स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट ओंकारेश्वर मंदिर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है।
संग्रहालय में वर्चुअल नाव की सवारी, 3D गैलरी
'स्टैच्यू ऑफ वननेस' को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और MPSTDC(मध्यप्रदेश स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के मार्गदर्शन में आकार दिया जा रहा है। एकात्मधाम में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ एक संग्रहालय परिसर भी होगा। यह पारंपरिक मंदिर स्थापत्य शैली के अनुरूप होगा। संग्रहालय में 3D होलोग्राम प्रोजेक्शन गैलरी, कलाकृतियां, स्क्रीन थिएटर और 'अद्वैत नर्मदा विहार' नाम से वर्चुअल नाव की सवारी होगी। इसमें लोग आचार्य शंकर की महान शिक्षाओं का ऑडियो-विजुअल यात्रा के जरिए आनंद ले सकेंगे। यहां लेजर लाइट वाटर एंड साउंड शो, नौका विहार, विविध भाषाओं में मेडिटेशन सेंटर भी होंगे। इसके अलावा धर्म, आध्यात्म से जुड़ी गतिविधियां भी होंगी।