इंदौर प्रशासन की खनन माफिया पर 13.40 करोड़ की पेनॉल्टी, मंत्री सिलावट और मंत्री ठाकुर के बीच इसी मामले में चला था विवाद

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर प्रशासन की खनन माफिया पर 13.40 करोड़ की पेनॉल्टी, मंत्री सिलावट और मंत्री ठाकुर के बीच इसी मामले में चला था विवाद

संजय गुप्ता, INDORE. सारे दबाव, प्रभाव को ताक पर रखते हुए इंदौर जिला प्रशासन ने दमदार कार्रवाई करते हुए अवैध खनन करने वाले माफियाओं पर 13.40 करोड़ रुपए की पेनॉल्टी लगा दी है। यह वही मामला है जिसे लेकर मंत्री ऊषा ठाकुर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर वाहनों को राजसाज करने और बड़ी कार्रवाई के लिए कहा था। वहीं मंत्री तुलसी सिलावट पर आरोप लग रहे थे कि वह खनन करने वालों को राहत देने की बात कह रहे हैं। लेकिन दोनों ही मंत्रियों की बातों अलग रखते हुए मप्र अवैध खनन परिवहन व भंडारण नियम 2022 के तहत जिला प्रशासन ने हाल के सालों की सबसे बड़ी खनन पेनॉल्टी ठोंक दी है। 



इन पर लगाई गई है यह पेनॉल्टी



यह पेनॉल्टी जमीन के स्वामी संजय शुक्ला के साथ ही मौके पर खनन करते हुए मिले वाहनों के मालिक वीरसिंह नरवरिया, प्रतीक कौशल, हरिनारायण नरवरिया, प्रदीप चौहान और शुभम ठाकुर पर लगाई है। अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर की कोर्ट ने यह आदेश औपचारिक तौर पर जारी कर दिया है। 



यह लिखा गया है आदेश में



खनिज विभाग ने सभी आरोपियों को छह करोड़ 69 लाख की पेनॉल्टी लगाने का नोटिस जारी किया था, लेकिन आरोपियों द्वारा इस मामले में अवैध खनन के आरोपों के प्रतिवाद में कोई बात नहीं रखी और ना ही दस्तावेज और सबूत कोर्ट के सामने रखे। आरोपों को प्रतिवाद नहीं करने के चलते अवैध खनन एक्ट के तहत लगी हुई पेनॉल्टी दोगुनी हो जाती है। इसी के तहत यह पेनॉल्टी दोगुनी होकर 13 करोड़ 40 लाख हो गई। 



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खनन माफियाओं ने रोकने के लिए कीलें तक फैंकी थी



जिला प्रशासन द्वारा मंत्री तुलसी सिलावट की विधानसभा सांवेर के गांव बारोली में अवैध खनन की शिकायत मिलने पर रात को ही टीम भेजकर दबिश दी थी। इस दौरान माफियाओं ने खनिज टीम को ही घेर लिया था और पुलिस मौके पर नहीं पहुंच सके, इसके लिए रास्ते में कीलें तक डलवा दी थी। लेकिन आखिरकार पुलिस के पहुंचने के बाद मौके से कई वाहन जब्त किए गए और फिर खनिज विभाग ने मौके की जांच कर अवैध खनन का हिसाब लगाया जो 6.69 करोड़ रुपए का बना। अपर कलेक्टर कोर्ट में इसे पेश किया गया जिसके बाद यह पेनॉल्टी दोगुनी होकर रोपित हो गई।


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