मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान को शिक्षा और जागरूकता के लिहाज से भले ही रूढ़िवादी और सामंती प्रदेश माना जाता रहा हो, लेकिन राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के मामले में राजस्थान पीछे नहीं रहा है। राजस्थान के गठन के बाद 1952 के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2018 के आखिरी विधानसभा चुनाव तक हर चुनाव में महिला प्रत्याशी मैदान में उतरती रही हैं। 1957 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में ही नौ महिलाएं जीत कर विधानसभा में पहुंच भी गई थी। चार महिला प्रत्याशियों से शुरू हुआ यह सफर हर चुनाव में बढ़ा और पिछले चुनाव में 189 तक पहुंच गया। वहीं जीतने वाली महिलाओं का आंकड़ा भी 9 से शुरू हो कर 28 तक पहुंच चुका है।
महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का आंकड़ा
देश की संसद विधायिका में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की तैयारी कर रही है और यह कानून लागू होता है तो राजस्थान की विधानसभा की 200 में से 66 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। वहीं लोकसभा की बात करें तो आठ सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। सीटें किस तरह आरक्षित होंगी यह तो जब बिल पारित होगा तब स्पष्ट होगा, लेकिन राजस्थान में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का आंकड़ा देखा जाए तो यह बहुत निराशाजनक नहीं है। राजस्थान के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर पिछले विधानसभा चुनाव तक हर बार चुनाव लडने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है। जीतने वाली महिलाओं का आंकड़ा कम ज्यादा होता रहा है, लेकिन आमतौर पर बढ़त का ट्रेंड ही रहा है।
पहली सांसद थी राजमाता गायत्री देवी
इसी तरह लोकसभा चुनाव में भी 1952 के पहले चुनाव मे ही दो महिला प्रत्याशी मैदान में थी। वहीं 2019 के आखिी लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 23 तक जा पहुंचा। हालांकि इसी बीच 2009 के चुनाव में तो 31 महिलाओं ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। राजस्थान की पहली सांसद जयपुर राजघराने की गायत्री देवी थी, जिन्होंने 1962 में पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे 1967 और 1971 में भी सांसद बनीं। उन्होंने उस दौर में राजा-महाराजाओं और पूजीपतियों की पार्टी माने जाने वाली स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी।
राजस्थान में पंचायतों और नगरीय निकायों में लागू है 50 प्रतिशत आरक्षण
राजस्थान उन प्रदेशों में है, जहां पंचायतों और नगरीय निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं और बड़ी संख्या में महिलाएं चुन कर पंचायतों और नगरीय निकायों में पहुंच रही हैं। हालांकि इसके चलते सरपंच पति, प्रधान पति और पार्षद और महापौर पति जैसे पद भी अपने आप बन गए हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि इस आरक्षण ने महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ाई है।
पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस ने दिए महिलाओं को ज्यादा टिकट
राजस्थान के पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात करें तो महिलाओं को टिकट देने के मामले में कांग्रेस भाजपा से आगे रही है। 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने कुल 73 टिकट महिलाओं को दिए। वहीं भाजपा ने कुल 58 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा। वहीं जीत का आंकड़ा भाजपा का ज्यादा है। भाजपा की 34 महिला प्रत्याशी चुनाव में जीती हैं, जबकि कांग्रेस की 27 महिला प्रत्याशी विधायक बन पाई हैं।
2008
पार्टी प्रत्याशी विजयी
- भाजपा- 22 10
- कांग्रेस- 22 12
2013
- भाजपा- 19 16
- कांग्रेस- 22 00
2018
- भाजपा-17 08
- कांग्रेस- 29 15
2003-2008 के बीच था अदभुत संयोग
राजस्थान में 2003-2008 के बीच एक अद्भुत संयोग भी बना, जब प्रदेश के तीन प्रमुख पदों पर महिलाएं विराजमान थी। इस अवधि में राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा देवी सिंह पाटील थीं। वहीं मुख्यमंत्री के पद पर वसुंध्रा राजे थी। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष का पद सुमित्रा सिंह सुशोभित कर रही थी। यह भी संयोग था कि तीनों पद पहली ही बार महिलाओं के पास गए थे। यानी प्रतिभादेवी सिंह पाटील राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल थीं, वसुंधरा राजे पहली महिला सीएम और सुमित्रा सिंह पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनी थीं।
बिल पारित हुआ और इसी बार लागू हुआ तो बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
संसद यह बिल पारित हुआ और इसी बार के विधानसभा चुनाव से लागू हुआ तो जो सीटें महिलाओं के आरक्षित होंगी, उन के समीकरण निश्चित रूप से बदलेंगे और कई नेताओं को घर बैठना पड़ जाएगा। वहीं यहां भी विधायक पति और सांसद पति जैसे पद बन जाएंगे।
विधानसभा चुनाव में ऐसे बढ़ी महिलाओं की भागीदारी
वर्ष प्रत्याशी विजयी
- 1952- 04 00
- 1957- 21 09
- 1962- 15 08
- 1967- 19 06
- 1972- 17 13
- 1977- 31 08
- 1980- 31 10
- 1985- 45 17
- 1990- 93 11
- 1993- 97 10
- 1998- 69 14
- 2003- 118 12
- 2008- 154 28
- 2013- 166 28
- 2018- 189 24 (बाद में तीन और जुड़ीं। अभी 27 हैं।)
लोकसभा चुनाव में यूं बढ़ी महिलाओ की भागीदारी
वर्ष प्रत्याशी विजयी
- 1952- 02 00
- 1962- 06 01
- 1967- 02 01
- 1971- 04 02
- 1980- 05 01
- 1984- 06 02
- 1989- 06 01
- 1991- 14 04
- 1996- 25 04
- 1998- 20 03
- 1999- 15 03
- 2009- 31 03
- 2014- 27 01
- 2019- 23 03