JAIPUR. राजस्थान में मुस्लिम प्रभाव वाली 40 सीटों पर बीते 3 विधानसभा चुनाव से यह ट्रेंड चला आ रहा है कि ये 40 सीटें सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। इन 40 सीटों पर जब-जब कांग्रेस ने कब्जा किया है तब-तब उसकी सरकार बनी है। साल 2013 में बीजेपी ने इन 40 सीटों में से 30 पर कब्जा कर लिया था। राजस्थान में मुस्लिमों की आबादी करीब 11-12 फीसदी है। विधानसभा की 40 सीटों पर वे निर्णायक तादाद में हैं।
बीजेपी को ध्रुवीकरण से आस, कांग्रेस के सामने कई रोड़े
बीजेपी को हमेशा से ही इन 40 सीटों पर ध्रुवीकरण से आस रहती है, यदि यह फॉर्मूला काम कर जाता है तो वह सत्ता में काबिज हो जाती है नहीं तो कांग्रेस की झोली में जीत आती है। वैसे इस बार कांग्रेस को यहां एआईएमआईएम समेत बसपा के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
ये है पिछले 3 चुनावों का ट्रेंड
साल 2008 में इन 40 सीटों में से 21 सीटें कांग्रेस ने हासिल की थीं, वहीं साल 2018 के चुनावों में मुस्लिम बहुल 30 सीटों पर अधिकार जमा लिया था। दोनों बार उसकी सरकार भी बनी। वहीं साल 2013 की बात की जाए तो बीजेपी ने इस मर्तबा 30 सीटें जीतकर अपनी सरकार बना ली थी। इन चुनावों की बात की जाए तो कांग्रेस ने इन सीटों पर 6 मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार चुकी है। वहीं बीजेपी ने अब तक जितनी भी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं उनमें एक भी मुस्लिम का नाम नहीं है। इन 40 सीटों में सीकर की लक्ष्मणगढ़, नवलगढ़ और झुंझुनूं की सीट भी शामिल है।
ईआरसीपी से जुड़े जिलों की हैं 15 सीटें
बता दें कि मुस्लिम बहुल इन 40 सीटों में से 15 सीटें पूर्वी राजस्थान में हैं जहां ईआरसीपी का मुद्दा हावी है। जिनमें ज्यादातर बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर हैं। अलवर, भरतपुर, बारां, सवाई माधोपुर, करौली, कोटा और धौलपुर जिले की हैं। साथ ही इन सीटों पर मुस्लिम वोटर्स के साथ-साथ मेव, गुर्जर, मीणा और दलित वोटर्स का भी अच्छा खासा प्रभाव रहता है।
यह है मुस्लिम बहुल सीटों का गणित
16 फीसदी वोटर्स वाली 4 सीटें अलवर और जैसलमेर की 2 सीटें हैं। 12.5 फीसदी मुस्लिम वोटर्स जयपुर की 3 सीटों में रहते हैं। 20 सीटों में 10 फीसदी के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि सबसे कम 7 परसेंट मुस्लिम वोटर्स धौलपुर की सीट में निवासरत हैं।