अरुण तिवारी, BHOPAL. लोकसभा चुनाव पास आते ही राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठने लगे हैं। बीजेपी में एक मुद्दा गरमाया हुआ है। और इसकी ठोस वजह भी है। बीजेपी ने सात सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा। पांच जीते और दो हारे। पांच में से चार मंत्री बने, लेकिन एक नाम ऐसा है जिसने सांसदी छोड़ विधायकी अपनाई और उसे मंत्री पद भी नहीं मिला। यही कारण है कि ये कयास लगने लगे हैं कि सांसदी छोड़ने वाली माननीय फिर लोकसभा की सीधी राह पर चल सकती हैं। क्योंकि हो सकता है उनके लिए दिल्ली में किसी खास और बड़ी जिम्मेदारी की तैयारी की जा रही हो।
सीधी राह की रीति
रीति पाठक सीधी से दो बार की सांसद रही हैं और अब पहली बार की विधायक भी बन गई हैं। ऐसा माना जा रहा था कि उनकी सीनियरटी, युवा और प्रभावी व्यक्तित्व को देखते हुए उनको नई सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब उनके फिर से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा चलने लगी है। ब्राह्मण बाहुल्य सीधी लोकसभा सीट पर फिर से रीति पाठक उम्मीदवार के रुप में नजर आ सकती हैं। माना ये भी जा रहा है कि उनको मंत्री न बनाने के पीछे की बड़ी वजह है कि पार्टी उनको दिल्ली में ही रखना चाहती है। यदि तीसरी बार मोदी सरकार बनती है तो रीति पाठक को केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है।
विधानसभा चुनाव में बनाया उम्मीदवार
बीजेपी ने खास रणनीति के तहत मध्यप्रदेश में 7 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक, गणेश सिंह को टिकट दिया था। काफी हद तक बीजेपी की ये रणनीति काम आई। इसमें बीजेपी के 7 सांसदों में से 5 सांसदों को विधानसभा चुनाव जीत मिली।
इन सांसदों को विधानसभा जीतने पर मिला मंत्री पद...
सांसद विधानसभा सीट नतीजे ये मिला पद
नरेंद्र सिंह दिमनी जीते विधानसभा अध्यक्ष
प्रह्लाद पटेल नरसिंहपुर जीते कैबिनेट मंत्री
राकेश सिंह जबलपुर पश्चिम जीते कैबिनेट मंत्री
राव उदय प्रताप गाडरवाड़ा जीते कैबिनेट मंत्री
रीति पाठक सीधी जीती विधायक
केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट BJP ने इन्हें दिया सीधी से टिकट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 से पहले बीजेपी ने सीधी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक केदारनाथ शुक्ला का इस बार टिकट काटकर उनकी जगह सीधी से सांसद रीति पाठक को उम्मीदवार बनाया था। रीति पाठक के मैदान में आने से सीधी में बीजेपी दो भागों में बंट गई थी, लेकिन नतीजे रीति पाठक के पक्ष में आए हैं। निर्दलीय मैदान में उतरे बीजेपी के बागी केदार शुक्ला को जन समर्थन नहीं मिला है। उन्हें बस 13856 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के ज्ञान सिंह को 53246 वोट मिले। सांसद रीति पाठक को 88664 वोट मिले हैं। वह 35 हजार वोटों से चुनाव जीती हैं।
रीति पाठक का जीवन परिचय
रीति पाठक का पालन-पोषण रीवा में हुआ था। उन्होंने इतिहास और हिंदी साहित्य में स्नातक की डिग्री (बीए) ली और उसके बाद इतिहास में मास्टर डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने एलएलबी भी किया। उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई तक अपने सभी तीन एनसीसी प्रमाणपत्र पूरे कर लिए थे। वह 1994-95 में जीडीसी में संयुक्त सचिव थीं। साल 1997 में उन्होंने रजनीश पाठक से शादी की।
पहली बार साल 2014 में लड़ा चुनाव
अपने परिवार की प्रेरणा और समर्थन से रीति पाठक ने अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र में महिलाओं के लिए सामाजिक कार्य शुरू किए। राजनीति से उनका परिचय तब हुआ जब उन्होंने सीधी के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 में उन्होंने मध्य प्रदेश के सीधी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 1,08, 046 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। वह 2019 में लोकसभा के लिए फिर से चुनी गईं। वर्तमान में रीति 17वीं लोकसभा की मौजूदा सदस्य हैं। रीति पाठक सितंबर 2014 में ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के तहत परामर्श समिति की सदस्या चुनी गईं। सितंबर 2014 में ही वह कोयला और इस्पात संबंधी स्थायी समिति की सदस्या बनीं। 2014 में रीति पाठक सीधी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के इंद्रजीत कुमार को पराजित करने के बाद 16वीं लोक सभा के लिए चुनी गई। फरवरी 2015 में वह महिलाओं को शक्ति प्रदान करने संबंधी समिति की सदस्या बनीं। मई 2016 में रीति लोक लेखा समिति की सदस्या चुनी गईं। 2019 में वह 17वीं लोकसभा के लिए फिर से चुनी गईं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह को 2 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराकर सीधी सीट जीती।