वेंकटेश कोरी, JABALPUR. विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पांचवीं लिस्ट जारी होते ही जिस तरह से प्रदेशभर में बवाल मचा हुआ है, उसने भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन और पार्टी विद डिफरेंट के नारे को तार-तार कर दिया है। जबलपुर के संभागीय कार्यालय में घुसकर नाराज कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से हंगामा मचाया, वो अचानक नहीं हुआ बल्कि इसकी तैयारी पिछले कई दिनों से की जा रही थी।
क्यों फूटा कार्यकर्ताओं का गुस्सा
जबलपुर के उत्तर मध्य क्षेत्र से अचानक नए चेहरे के रूप में अभिलाष पांडे को उम्मीदवार बनाए जाने से कार्यकर्ताओं के अंदर का गुस्सा फूट पड़ा और सैकड़ों की तादाद में कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के संभागीय कार्यालय को घेर लिया और अंदर जाकर उसी वक्त जबरदस्त नारेबाजी शुरू कर दी। जब पार्टी के कई दिग्गज नेता बीजेपी की जीत के लिए बैठक कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में दावेदारों के समर्थकों ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उसकी 5 वजह क्या हैं ?
पहली वजह
अभिलाष पांडे जबलपुर के पश्चिम विधानसभा सीट से साल 2018 के चुनाव से ही दावेदारी कर रहे थे। इस बार भी उनके दावे को काफी मजबूत माना जा रहा था, लेकिन सांसद राकेश सिंह को पश्चिम क्षेत्र से मैदान में उतारने के बाद ये माना जाने लगा था कि अभिलाष पांडे को इस बार के चुनाव में भी निराशा हाथ लगेगी और उन्हें पार्टी की मजबूती और पश्चिम क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए गए राकेश सिंह को जिताने की जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन अचानक उन्हें उत्तर मध्य से प्रत्याशी बनाने की घोषणा की गई।
दूसरी वजह
भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे धीरज पटेरिया पिछले 2 दशक से उत्तर मध्य क्षेत्र से दावेदारी करते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें हर बार निराश ही होना पड़ा। 2018 के विधानसभा के चुनाव में उन्हें जब टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर आए। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी, जिसके चलते बीजेपी के परंपरागत वोट डायवर्ट हो गए और जीत कांग्रेस के विनय सक्सेना की हुई।
तीसरी वजह
2018 के चुनाव में मिली हार के पहले इस क्षेत्र से शरद जैन 2 बार लगातार विधायक चुने गए। एक बार उन्हें शिवराज सरकार में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी, आयुष जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी दी गई और राज्यमंत्री बनाया गया, लेकिन 2018 के चुनाव में एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर के चलते उन्हें सफलता हासिल नहीं हो पाई। 2023 के चुनाव के लिए भी 584 वोटों से अपनी हर को आधार बनाकर वे फिर से विधानसभा की टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे।
चौथी वजह
जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल भी उत्तर मध्य क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। कैंट विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले सिविल लाइन इलाके से 2 बार पार्षद रहे कमलेश अग्रवाल को नगर निगम के चुनाव में महाराजा अग्रसेन वार्ड से चुनाव लड़ाया गया। अपने घर और कार्यालय से काफी दूर होने के बावजूद भी उन्होंने जिस महाराज अग्रसेन वार्ड से जीत हासिल की, वो उत्तर मध्य क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है। लिहाजा कमलेश अग्रवाल भी उत्तर मध्य क्षेत्र से विधायक की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन बीजेपी की उम्मीदवारों की लिस्ट में अभिलाष पांडे को प्रत्याशी बनाने की घोषणा से कमलेश अग्रवाल के समर्थक भी भड़क गए।
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पांचवीं वजह
एक तो पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी करने वाले अभिलाष पांडे को उत्तर मध्य से उम्मीदवार बनाए जाने का गुस्सा और ऊपर से क्षेत्र के पुराने नेताओं की अपेक्षा के चलते कार्यकर्ता गुस्से से तमतमा उठे और वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे। हालात इतने बेकाबू हो गए कि नाराज कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में घुसकर प्रदर्शन किया। हंगामा और मारपीट के बाद हालात इस कदर बिगड़े कि बीजेपी को अपने ही कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस थाने में FIR दर्ज करानी पड़ी।