BHOPAL. एमपी में दोबारा सरकार बनाने में सफल रही बीजेपी भले ही बंपर जीत के लिए लाड़ली बहना योजना को पूरा श्रेय न दे रही हो, लेकिन मंत्री मंडल में शामिल मंत्रियों पर नजर ड़ाली जाए तो कुछ और ही कहानी बयां हो रही है। मध्यप्रदेश में सोमवार को मोहन यादव के मंत्री मंडल का विस्तार हुआ। इसमें 28 मंत्रियों ने शपथ ली है। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी मंत्रिमंडल में 5 महिलाओं को स्थान मिला है। ये हैं- निर्मला भूरिया, कृष्णा गौर, सम्पतिया उइके, प्रतिमा बागरी और राधा सिंह। ये सभी पहली बार मंत्री बनी हैं। इससे पहले शिवराज सरकार में 3 महिला मंत्रियों को जगह मिली थी।
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ दो उपमुख्यंमत्री हैं। सोमवार को हुए विस्तार के बाद राज्य में मंत्रियों की संख्या 31 हो गई है। मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी ने लाडली बहनों का ख्याल रखा। मोहन यादव के मंत्रिमंडल में पांच महिला विधायकों को जगह मिली है। आदिवासी समुदाय की संपतिया उइके और निर्मला भूरिया को कैबिनेट और ओबीसी नेता कृष्णा गौर को राज्यमंत्री बनाया गया है। कृष्णा गौर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्रवधू हैं। इसके अलावा राधा सिंह और प्रतिमा बागरी को राज्य मंत्री बनाया गया है। मोहन यादव के इस मंत्रीमंडल में करण सिंह वर्मा सबसे अधिक 68 साल की उम्र के वहीं प्रतिमा बागरी सबसे कम 35 साल की हैं।
शिवराज सरकार में ये थीं मंत्री
गौरतलब है कि शिवराज के मंत्रिमंडल में सिर्फ 3 महिला विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इसमें यशोधरा राजे सिंधिया को खेल और युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास रोजगार मंत्री थीं। दूसरी महिला मंत्री कुमारी मीना सिंह मांडवे थीं। इन्हें आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण का मंत्री पद सौंपा गया था। वहीं, तीसरी महिला मंत्री ऊषा ठाकुर थीं। इनको पर्यटन, संस्कृति, आध्यात्म मंत्री बनाया गया था।
शिवराज और मोहन बराबर
मोहन यादव के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब कुल 31 मंत्री हो गए हैं। शिवराज सरकार में भी मंत्रियों की संख्या 31 ही थी। हम कह सकते हैं कि दोनों मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्रियों की संख्या समान है। महिला मंत्रियों की संख्या मोहन सरकार में शिवराज सरकार से 2 अधिक है। अगर हम शिवराज सरकार और मोहन सरकार में कुल महिला विधायकों की बात करें तो शिवराज सरकार में कुल महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व 9.6 फीसदी था। वहीं मोहन सरकार में यह बढ़कर 16 फीसदी हो गया है।