JAIPUR. राजस्थान में एक अजब हालात सामने आए हैं, यहां राजस्थान यूनिवर्सिटी के 70 प्रोफेसर इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि इनमें से सभी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा है, बल्कि चुनाव में ड्यूटी लगाए जाने से नाराज होकर इनमें से कई ने यह फैसला लिया है। दरअसल आरयू एक्ट में यह प्रावधान है कि एक्ट के अध्यादेश 384-ए के तहत आरयू के शिक्षक राजनैतिक पार्टियों और विचारधाराओं में सक्रिय रह सकते हैं और चुनाव भी लड़ सकते हैं। इसी एक्ट के आधार पर प्रोफेसरों ने कुलपति से चुनाव लड़ने एनओसी देने आवेदन भी दिया है।
चुनाव ड्यूटी लगाए जाने से नाराज
दरअसल जिला प्रशासन ने चुनाव के काम के लिए इन सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। वे इसका विरोध कर रहे हैं, कई शिक्षक वाकई में राजनैतिक दलों में सक्रिय भी हैं। उनका कहना है कि वे बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे, लेकिन चुनाव ड्यूटी नहीं करेंगे। शिक्षक संघ भी एक्ट का हवाला देते हुए चुनाव ड्यूटी का विरोध कर रहा है। उनका तर्क यह भी है कि इससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होंगे। प्रशासन ने 70 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है, पहले तो सभी ने प्रशासन के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया और अब चुनाव मैदान में उतरने की भी बात कही है।
जिला प्रशासन का यह तर्क
जिला प्रशासन का तर्क है कि चुनाव राष्ट्रीय कार्यक्रम है, ऐसे में अधिकारियों-कर्मचारियों को इसमें ड्यूटी लगाई जा सकती है। कलेक्टर प्रकाश राज पुरोहित का भी साफ कहना है कि जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी लगाई गई है उनको तय समय पर चुनाव ड्यूटी के लिए उपस्थिति देनी ही होगी।
70 शिक्षकों ने दिया है आवेदन
राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अल्पना कटेजा ने बताया कि करीब 70 शिक्षकों ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एनओसी के लिए आवेदन दिया है। उनके आवेदन पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।