INDORE. इंदौर पुलिस और आईआईएम के प्रयासों से तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कम उम्र की लड़कियां बाहरी चकाचौंध से प्रभावित नहीं हो रही हैं। बल्कि, अधिकतर मामलों में मुख्य कारण परिवार में होने वाली रोक-टोक, झगड़े और समस्याएं हैं। इस स्टडी में 5 साल के डेटा का एनालिसिस किया गया है। इंदौर में हर साल घरों से गायब होने वाली लड़कियों पर IIM की रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है।
घर से गायब बच्चों के केस की रिसर्च
5 जुलाई 2023 को इंदौर पुलिस और आईआईएम इंदौर के बीच यह एमओयू हुआ था। जिसमें आईआईएम ने घर से गुम या गायब होने वाले बच्चों के केस की रिसर्च की। इसके साथ इसमें कुछ समाधान भी बताए गए। शनिवार, 3 फरवरी को आईआईएम ने 6 महीने की स्टडी के बाद अपनी रिपोर्ट पुलिस को सौंपी।
गायब बच्चों में 75 प्रतिशत सिर्फ लड़कियां
आईआईएम के डायरेक्टर हिमांशु राय ने बताया कि स्टडी में पता चला है कि गुमशुदगी वाले बच्चों में 13 से 17 साल की लड़कियां सबसे ज्यादा होती है। इसमें हमें इंदौर के कई क्षेत्र भी पता चले हैं जहां से लड़कियां ज्यादा गायब होती हैं। इनमें चंदन नगर, आजाद नगर, लसूड़िया, द्वारकापुरी और भंवरकुआं शामिल हैं। यह सभी वह क्षेत्र हैं जिनके आसपास अर्बन स्लम एरिया है। जो बच्चे गुम होते हैं उनमें 75 प्रतिशत लड़कियां होती हैं।
रिसर्च के दौरान 70 से ज्यादा केस को देखा
आईआईएम की रिपोर्ट यह भी कहती है कि घर से गुम होने वाली हर दूसरी लड़की वापस घर नहीं लौटना चाहतीं। उन्हें ये भी लगता है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। लड़कियां जिन लड़कों के साथ जाती हैं उनमें से अधिकतर लड़कों की उम्र 18 से 23 साल है। इनमें भी ज्यादातर मामलों में लड़के इन लड़कियों के परिचित, रिश्तेदार या आस पड़ोस के रहने वाले ही होते हैं। रिसर्च के दौरान 70 से ज्यादा केस को देखा गया। इनमें सभी पक्षों के इंटरव्यू लिए गए। 50 सवालों के जवाब अलग-अलग लोगों से लिए गए।