सपा नेता आजम खान, पत्नी और बेटे अब्दुल्ला को 7 साल की सजा, रामपुर कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जानें क्या है मामला

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Vikram Jain
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सपा नेता आजम खान, पत्नी और बेटे अब्दुल्ला को 7 साल की सजा, रामपुर कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जानें क्या है मामला

NEW DELHI. समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम खान को रामपुर कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। रामपुर की MP-MLA कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई है। सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। इससे पहले कोर्ट ने बुधवार को ही मामले में तीनों को दोषी करार दिया था।

जाने क्या है पूरा मामला

बता दें कि फेक बर्थ सर्टिफिकेट का यह मामला उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी, लेकिन चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाईकोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है।

बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने की थी मामले में शिकायत

साल 2019 में बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने गंज थाने में सपा नेता आजम खां के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था। जिसमें सपा नेता आजम खां और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा को भी आरोपी बनाया गया था। मामले में विवेचना के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट में पहुंचा था। आरोप था कि अब्दुल्ला ने अपने दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए है, जिनमें एक रामपुर नगरपालिका परिषद से, जबकि दूसरा प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से बनवाया। आरोप है कि उसका प्रयोग अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा चुनाव के दौरान किया।

11 अक्टूबर को इस मुकदमे में अब्दुल्ला आजम के वकीलों को बहस करनी थी, लेकिन उनके द्वारा प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला को आदेश दिया था कि वह 16 अक्टूबर तक लिखित बहस दाखिल कर सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दायर की गई थी, जिसे एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था। मंगलवार को अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ताओं ने लिखित बहस दाखिल की। इसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया।

गवाहों और सबूत के आधार पर कोर्ट का फैसला

सपा के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले में अदालत ने 30 गवाहों और दस्तावेज सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाया है। दोनों ओर से 15-15 गवाह सुनवाई के दौरान पेश किए गए। कोर्ट में अभियोजन की ओर से बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना समेत 15 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जबकि अब्दुल्ला आजम, आजम खां व डॉ. तंजीन फात्मा की ओर से अपने बचाव में 15 गवाहों के बयान कराए। इसके साथ ही अभियोजन की ओर से विधि व्यवस्थाओं के साथ ही हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित निर्णय का भी हवाला दिया गया। इन 30 गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

जन्म प्रमाण पत्र के फर्जी होने पर गई विधायकी

अब्दुल्ला पर आरोप था कि वे विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं। उस समय उनके निकटतम प्रतिद्धंदी रहे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि 2017 में चुनाव के समय अब्दुल्ला आजम की उम्र 25 साल से कम थी, जबकि चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने फर्जी कागजात और हलफनामा दाखिल किया था। शिक्षा से जुड़े प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 है, वहीं जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को बताया गया है। इस मामले में हाईस्कूल की मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को आधार बनाया गया था। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी और अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था। इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था।

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