BHOPAL. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की तरह इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बागियों की बगावत का फैक्टर सिर चढ़कर बोलने जा रहा है। खास तौर पर विंध्य और चंबल अंचल की बात की जाए तो यहां बीजेपी-कांग्रेस के इतर बसपा भी तीसरे मोर्चे के रूप में स्थाई वोटबैंक रखती है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस में मची बगावत की हलचल के बीच बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी भी यहां मौके पर चौका लगाने की क्षमता रखती है।
यहां-यहां बागी तनकर खड़े हैं
इस बार की विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो नागौद से पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह यादव, लहार से बीजेपी के पूर्व विधायक रसाल सिंह, सतना से रत्नाकर चतुर्वेदी, मुंगावली से मोहन सिंह यादव, मुरैना से रूस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह और पूर्व मंत्री लाखनसिंह यादव सेवड़ा से ताल ठोंक रहे हैं। विंध्य में विधायक केदारनाथ शुक्ला बागी तेवर अख्तियार किए हुए हैं तो मैहर से नारायण त्रिपाठी मोर्चा खोले बैठे हैं।
बागी आवत देखकर पार्टियां कहें पुकार
ऐसे में बागियों पर बसपा और सपा की पैनी नजर है। बसपा तो ऐसे बागियों को पलक पांवड़े बिछाए स्वागत कर रही है। उधर विंध्य में फोकस कर रही आम आदमी पार्टी भी बागियों पर नजर गड़ाए बैठी है, हालांकि अभी तक पार्टी ने किसी ऐसे बागी को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है। मगर चंबल अंचल में पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह और विधायक अजब सिंह कुशवाह ने बीएसपी का दामन थाम लिया है।
यहां है बसपा का अहम रोल
बता दें कि साल 2018 के चुनाव में बीएसपी भिंड और पथरिया सीट से जीती थी। भिंड से चौधरी राकेश सिंह तो पथरिया से रामबाई सिंह ने जीत हासिल की थी। वहीं सबलगढ़, जौरा, ग्वालियर ग्रामीण, पोहरी, रामपुर बघेलान समेत देवतालाब में बहुजन समाज पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। उधर समाजवादी पार्टी भी उन 6 सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है, जहां से उसके प्रत्याशी जीते थे या फिर दूसरे नंबर पर रहे थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि विंध्य और चंबल अंचल में बागी ही सत्ता के बाग का माली कौन बनेगा यह डिसाइड करेंगे।