BHOPAL. मध्यप्रदेश चुनाव में अब बीजेपी ने अपना सबकुछ झोंक दिया है। विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी अबतक अपने सात सांसदों को टिकट दे चुकी है, इनमें से तीन तो केंद्रीय मंत्री हैं। बीजेपी अभी 79 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है। इस प्रयोग से क्या बीजेपी का एमपी चुनाव जीतने का ये फॉर्मूला कामयाब हो पाएगा या फिर बीजेपी का पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव जैसा ही हाल होगा जिसमें 5 सांसदों-मंत्रियों में से 3 के हारने के बाद पार्टी महज 77 सीटों पर सिमट गई थी। मध्यप्रदेश में बीजेपी के अभी और उम्मीदवार घोषित होने हैं, जिनमें और भी सांसदों और मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया जाए तो कोई हैरत नहीं होगी।
बंगाल के 2021 के विधानसभा चुनाव 3 सांसद हारे थे
2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने वाली बीजेपी बंगाल में विधानसभाओं में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही थी। इसी कोशिश में बीजेपी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में पांच-पांच सांसदों को टिकट दे दिया था। इसमें आसनसोल से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी, कूचबिहार से सांसद निसिथ प्रामाणिक, राणाघाट से सांसद जगन्नाथ सरकार और राज्यसभा से सांसद रहे स्वपन दासगुप्ता को टिकट दिया था। पता चला कि पांच में से तीन सांसद बाबुल सुप्रियो, लॉकेट चटर्जी और स्वपन दास गुप्ता जो खुद की ही सीट नहीं बचा पाए। और नतीजा ये हुआ कि बंगाल में सत्ता पाने का सपना देख रही बीजेपी 77 सीटों पर सिमट कर रह गई। हालांकि, तब भी यही कहा गया कि 3 से 77 सीटों पर बीजेपी को पहुंचाने में इन सांसदों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
केंद्रीय मंत्रियों से कमजोर सीटों पर बढ़त बनाने की कवायद
मध्यप्रदेश में बीजेपी करीब 19 साल से सत्ता में है तो ये तो नहीं कह सकते कि बीजेपी को मध्यप्रदेश में बंगाल जैसी मेहनत करनी है। फिर भी मध्यप्रदेश में आखिर ऐसा है क्यों हुआ कि बीजेपी को अपने तीन-तीन केंद्रीय मंत्री विधानसभा चुनाव में उतारने पड़े हैं। कुल सात सांसदों को विधायक के लिए पार्टी ने टिकट दिया है। बीजेपी को उम्मीद है कि जिन विधानसभा सीटों पर बीजेपी हमेशा कमजोर रही है, वहां सांसदों को उतारकर उस सीट के साथ ही आस-पास की सीटों पर भी बढ़त बनाई जा सकती है।
बीजेपी के 7 सांसदों की विधानसभा सीट पर एक नजर
बीजेपी की घोषित लिस्ट में नरेंद्र सिंह तोमर जो केंद्रीय कृषि मंत्री हैं उन्हें दिमनी से टिकट दिया गया है, यहां फिलहाल कांग्रेस के गिरराज दंडोतिया विधायक हैं। नरसिंहपुर विधानसभा से तो अभी बीजेपी के ही जालम सिंह पटेल विधायक हैं, अब इनके भाई प्रहलाद पटेल को बीजेपी ने उम्मीदवार बना दिया है। मांडला जिले की निवास सीट से 2018 में कांग्रेस के अशोक मार्सकोले ने जीत दर्ज की थी। इस बार निवास सीट से बीजेपी ने राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को उम्मीदवार बनाया है। जबलपुर पश्चिम में भी कांग्रेस के ही विधायक तरुण भनोट हैं। इस सीट पर जीत के लिए बीजेपी ने जबलपुर के सांसद राकेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। 2018 में सीधी से बीजेपी के केदार नाथ शुक्ला ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार पार्टी ने सीधी से सांसद रीति पाठक को विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं सतना के सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा से चुनाव लड़वाया जा रहा है, जहां 2018 में कांग्रेस के सिद्धार्थ शुक्ल कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी। होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह गाडरवारा से विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं। 2018 में यहां से कांग्रेस की सुनीता पटेल जीती थीं। इसी तरह इंदौर 1 सीट पर 2018 में कांग्रेस संजय शुक्ला करीब 8 हजार वोट के अंतर से बाजी मार ले गए थे, लेकिन अब इस सीट से बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय महासचिव और फायरब्रांड नेता कैलाश विजयवर्गीय को चुनावी मैदान में उतारा है।
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मध्यप्रदेश के दो मोदी कैबिनेट मंत्री अभी बाकी हैं
मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के पास न होकर उन बड़े चेहरों पर है, जिन्हें दिल्ली ने भेजा है। बाकी अब भी मध्यप्रदेश से दो मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरेंद्र खटीक हैं, जिन्हें विधानसभा में टिकट नहीं मिला है। अगर इन दोनों को भी बीजेपी आलाकमान विधानसभा का प्रत्याशी बना देता है, तो मोदी कैबिनेट का हर मंत्री जो मध्यप्रदेश से ताल्लुक रखता है, विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। ये बात किसी तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए सही नहीं रहने वाली है क्योंकि खुद गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से साफ किया जा चुका है कि एमपी चुनाव में कोई एक चेहरा नहीं होगा।
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बड़ा सवाल- क्या बंगाल का प्रयोग मप्र में भारी पड़ेगा
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर जो चेहरा 16 साल से लोगों की नजर में है और जिस पर वोट देते आए हैं उसे दरकिनार कितना आसान होगा। 2023 के विधानसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने मध्यप्रदेश में जिन 79 उम्मीदवारों की लिस्ट घोषित की है उनमें सात सांसदों में तीन केंद्रीय मंत्री भी हैं। इन क्षत्रपों के सहारे बीजेपी का चुनाव में उतरना वैसे ही उल्टा न पड़ जाए जैसे 2021 में बंगाल चुनाव में हुआ था। बीजेपी ने यहां भी प्रयोग करते हुए पांच सांसदों को विधानसभा के चुनाव में उतारा था इनमें तीन सांसद चुनाव हार गए थे।