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गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. विधानसभा चुनाव के दूसरा चरण में कांग्रेस को 13 और बीजेपी को 4 जगह पर बागियों का सामना करना पड़ेगा। टिकट कटने से नाराज इन नेताओं के मैदान में डटने से निश्चित तौर पर पार्टी के उम्मीदवार को नुकसान होगा। वहीं तीसरा मोर्चा भी तेजी से सक्रिय हुआ है। कांग्रेस और बीजेपी के लिए तीसरे मोर्चे की पार्टी आम आदमी पार्टी, जेसीसी (जे), बसपा, गोंगपा के अलावा सर्व आदिवासी समाज की हमर राज पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी पहले ही मुसीबत बनती नजर आ रही है, वहीं बागियों के आने से मामला इन सीटों पर ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
मनाने उतरे थे बड़े नेता पर नहीं आया परिणाम
बागियों से ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होता दिख रहा है। इन्हें मनाने की जिम्मेदारी कांग्रेस ने बड़े नेताओं को दी थी। सीएम भूपेश बघेल, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और चरणदास महंत बागियों को मनाने में जुटे रहे। इन नेताओं की तमाम कोशिशों के बाद भी बागी प्रत्याशी नहीं माने और चुनावी मैदान में डट गए हैं। इसी तरह बीजेपी ने बागियों को मनाने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर और केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को दी थी। दोनों ही तरफ से कोशिशें हुईं, लेकिन बागियों को रोकने में खास सफलता नहीं मिली।
रायपुर उत्तर से दोनों पार्टियों के बागी अजीत और सावित्री मैदान में
कांग्रेस पार्षद और एमआईसी सदस्य अजीत कुकरेजा रायपुर उत्तर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। इस सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक कुलदीप जुनेजा को टिकट दिया है। दूसरी तरफ, इसी सीट से बीजेपी की उत्कल समाज की नेत्री सावित्री जगत निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। सिंधी समाज पहले ही दोनों पार्टियों से टिकट नहीं मिलने के कारण खासा नाराज चल रहा है। ऐसे में अजीत कुकरेजा के आने से समाज के वोटों का ध्रुवीकरण होगा। यहां सिंधी समाज के 15 हजार से ज्यादा वोट हैं। वहीं व्यापारी वर्ग और उत्कल समाज में अजीत की अच्छी छवि है। अजीत निश्चित रूप से कुलदीप जुनेजा के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। बीजेपी से उत्कल समाज की बागी सावत्री जगत के मैदान में आने से बीजेपी उम्मीदवार पुरंदर मिश्रा की मुसीबत बढ़ गई है। पुरंदर मिश्रा भी उत्कल समाज से हैं और उनकी राजनीति भी इसी समाज के इर्द-गिर्द है। वहीं उनकी तैयारी बसना से थी। ऐन चुनाव के वक्त पार्टी ने उन्हें रायपुर उत्तर से लड़ा दिया है। ऐसे में उत्कल वोट बैंक में सावित्री सेंध लगाएगी।
लोरमी में ऊंट किस करवट बैठेगा तय नहीं
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सागर सिंह बैस यहां से टिकट मांग रहे थे। कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू को टिकट दे दिया। इससे नाराज होकर बैस ने बगावत का बिगुल फूंक दिया। अब वे जनता कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। लोरमी विधानसभा से सैकड़ों कांग्रेसियों ने भी सागर के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, इसका नुकसान सीधे कांग्रेस को होगा। गौरतलब है कि यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव चुनाव लड़ रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सागर बैस या तो बीजेपी और कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगाड़ देंगे, या फिर वे खुद भी चुनाव में बाजी मार सकते हैं, क्योंकि लोगों के बीच उनकी अच्छी साख बताई जा रही है। लोरमी से बिंदु यादव भी कांग्रेस से बागी होकर मैदान में हैं।
अंतागढ़ में मुकाबला चतुष्कोणीय
इस सीट पर टिकट कटने के बाद वर्तमान विधायक अनूप नाग निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वे थानेदार के पद से सेवानिवृत्त होकर विधायक बने थे। वहीं पूर्व कांग्रेस विधायक मंतुराम टेप कांड से चर्चा में रहे। दोनों पूर्व विधायकों को कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। कांग्रेस से रूप सिंह पोटाई को टिकट दिया गया है तो बीजेपी से विक्रम उसेंडी मैदान हैं। रूप सिंह पोटाई को छोड़कर बाकी 3 प्रत्याशी अलग-अलग समय पर इस सीट से विधायक रह चुके हैं। इनके अपने समर्थकों की फौज है। इस वजह से ये सीट बेहद दिलचस्प और चतुष्कोणीय मुकाबले वाली हो गई है।
मान गए गणेश राम भगत
पूर्व मंत्री रहे गणेश राम भगत जशपुर सीट से दावेदारी कर रहे थे। रायमुनि भगत को टिकट देने से नाराज गणेश राम भगत के समर्थक रायपुर पहुंच गए। बर्तन, चूल्हा और राशन के साथ रायपुर पहुंचे इन समर्थकों ने बीजेपी कार्यालय के गेट पर धरना दे दिया। प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय द्वारा समझाने पर सभी वापस चले गए। वैशाली नगर में बीजेपी मछुआ प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष छोटेलाल चौधरी भी वरिष्ठ नेताओं के कहने पर मान गए हैं।
पामगढ़ में गोरेलाल बर्मन हुए बागी
पामगढ़ सीट से कांग्रेस के पिछले प्रत्याशी गोरेलाल बर्मन ने बगावत करके जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से मैदान में ताल ठोक दी है। इनके आने से मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से बहुजन समाज पार्टी की इंदू बंजारे ने जीत दर्ज की थी। गोरेलाल बर्मन कांग्रेस के प्रत्याशी थे और केवल 3061 वोटों से पराजित हुए थे। इस बार कांग्रेस ने उनकी जगह शेषराज हरवंश को टिकट दिया तो गोरेलाल ने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। यहां से बीजेपी ने संतोष कुमार लहरे को टिकट दिया है। मुकाबले में गोरेलाल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे।
सराईपाली में कांग्रेस का नुकसान
किस्मत लाल पहली बार 2018 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट से जीतकर विधायक बने थे। इस बार टिकट कटने पर वे बागी होकर जेसीसी (जे) की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस ने उनकी टिकट काटकर चातुरी नंद को प्रत्याशी बनाया है तो बीजेपी ने सरला कोसरिया को टिकट दिया है। सरला कोसरिया का भी काफी विरोध हुआ, लेकिन बीजेपी ने अपने यहां के बागियों को मनाने में सफलता हासिल की। किस्मत के आने से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। हालांकि इस सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का कब्जा रहा है। किस्मत लाल के आने से कांग्रेस को खासा नुकसान होगा।
सामरी में भितरघात के आसार
सामरी सीट में कांग्रेस ने पिछले विधायक चिंतामणि महाराज की टिकट काट दी तो उन्होंने पार्टी छोड़कर बीजेपी में प्रवेश कर लिया। हालांकि वे चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन संत गहिरा गुरू के बेटे होने के नाते उनका प्रभाव न केवल सामरी में बल्कि आसपास की 6 विधानसभा क्षेत्रों में माना जाता है। ऐसे में कांग्रेस की प्रत्याशी विजय पैकरा को भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह बीजेपी से सिद्धनाथ पैकरा का टिकट काटकर उद्धेश्वरी पैकरा को दिया गया है। सिद्धनाथ ने बागी होकर नामांकन भर दिया था, लेकिन बाद में समझाबुझाकर नाम वापस कराया गया। बताते हैं कि इसके बावजूद उनकी नाराजगी कम नहीं हुई है, जिसका नुकसान बीजेपी प्रत्याशी को हो सकता है। वहीं आम आदमी पार्टी, हमर राज पार्टी, बसपा, जेसीसी (जे) से भी उम्मीदवार यहां मैदान में हैं। इनकी मौजूदगी से समीकरण गड़बड़ाने के आसार इस सीट पर हैं।
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यहां भी कांग्रेस को नुकसान
दंतेवाड़ा से अमूलकर नाग, रायगढ़ से शंकर अग्रवाल निर्दलीय, जगदलपुर से टीवी रवि को सीएम ने मना लिया। धमतरी से लोकेश्वरी साहू, जशपुर से प्रदीप खेक्सा, लैलूंगा से महेंद्र सिदार, भाटापारा से मनोहर साहू और लोरमी से बिंदु यादव बागी होकर मैदान में हैं।