दोनों टीमों के कैप्टन टेंशन में, 'ड्रेसिंग रूम' में डेटा एनालिसिस और आखिरी ओवर में बड़े साहब की धुआंधार बल्लेबाजी

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Harish Divekar
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दोनों टीमों के कैप्टन टेंशन में, 'ड्रेसिंग रूम' में डेटा एनालिसिस और आखिरी ओवर में बड़े साहब की धुआंधार बल्लेबाजी

हरीश दिवेकर @ Bhopal

विधानसभा चुनाव की मेजबानी कर रहे मध्यप्रदेश में मौसम और सियासत का मिजाज थोड़ा सुस्त सा हो गया है। राजनीतिक खिलाड़ियों को टीमों ने 'आराम' दे दिया है। हो भी क्यों न, अब तैयारी फाइनल की जो करनी है। हालांकि दोनों प्रमुख 'टीमें' यानी बीजेपी और कांग्रेस के 'रिजर्व' खिलाड़ी डेटा एनालिसिस में जुटे हैं। देखना होगा कि लाड़ली बहना का शॉट काम आया या नारी सम्मान योजना की गुगली!

आज पूरा देश क्रिकेटिंग मूड में है तो 'बोल हरि बोल' कॉलम भी क्रिकेटिया अंदाज में पढ़िए। नीचे आपको मिलेगी सत्ता और शासन के 'ड्रेसिंग रूम' की मारक गॉसिप… बड़े साहब की अंडर प्रेशर बल्लेबाजी और कांग्रेस के 'सर जड़ेजा' सरीखे भैया की पक्की खबर...।

आप क्रिकेट के खुमार के बाद फिर राजनीति के खेल में उतरेंगे तो 1 दिसंबर को 'द-सूत्र' पर आपको मिलेगा कुछ खास। सियासी खेल का प्रिडिक्शन यानी एक्जिट पोल। परिणामों की हमारी सटीक राजनीतिक 'कमेंट्री' का बस थोड़ा इंतजार कीजिए।

देश-दुनिया में खबरें और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल-हरि-बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

डेटा बढ़ा रहा बीपी

विधानसभा चुनाव का डेटा (आंकड़ा) किसी को राहत की सांस नहीं लेने दे रहा है। मतदान शुरू होने के बाद से अब तक बार- बार रूप बदलने वाले डेटा ने दोनों टीमों के कप्तान और उपकप्तानों के साथ टीम मेट्स और कोच का ब्लड प्रेशर बढ़ा रखा है। वोटिंग के शुरू के दो घंटे में मतदाताओं ने धीमी बल्लेबाजी की तो टीम बीजेपी का बीपी बढ़ गया। शाम तक वोटिंग में एकदम उछाल आने पर कांग्रेस नेता अवाक रह गए। देर रात डस्ट सेटल होते-होते डेटा ने फिर रुख बदला और बाउंड्री पर आकर टिक गया, जिसमें न तो कांग्रेस कुछ कह पाने की स्थिति में दिखी और न ही बीजेपी। इसके बाद महिला वोटर्स के डेटा की खोज शुरू हो गई। 35 जिलों में महिलाओं की धुआंधार बल्लेबाजी से कांग्रेस टेंशन में आ गई। खासतौर से विंध्य की उन 24 सीटों पर जहां कांग्रेस एंटीइन्कम्बेंसी के बल पर ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद लगाई हुई थी।

क्या बड़े साहब कर रहे खेला

चुनाव आचार संहिता लगते ही सीएम सहित सभी मंत्रियों ने जहां मैदान संभाल रखा था, वहीं बड़े साहब मंत्रालय या क्रिकेटिया भाषा में कहें तो ड्रेसिंग में थे। बड़े साहब की चला चली की बेला है तो ऐसे में आखिरी ओवर में ज्यादा से ज्यादा 'रन' बटोरने की कोशिश की, कितने छक्के लगा पाए, इसका सटीक हिसाब तो साहब के जाने के बाद पता लगेगा, लेकिन साहब की बेटिंग के चर्चे हर ओर हैं। आचार संहिता में इस बड़े खिलाड़ी ने हाई पॉवर कमेटी की बैठकें कर जिन टेंडर्स को मंजूरी दी, उनमें से एक टेंडर का ऑडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है, जिनमें पैसे वाले विभाग के मुखिया खुले आम 'मैच फिक्सिंग' करते दिख रहे हैं। इनमें से अधिकतर टेंडर लालाजी के विभाग के हैं, जो दिल्ली उड़ान भरने की फिराक में लगे हुए हैं। सरकार बनी रही तो आखिरी ओवर में हुई इस बल्लेबाजी का हिसाब-किताब नहीं मिल पाएगा, लेकिन सरकार बदली तो भैया चौंकाने वाले खुलासे के लिए तैयार रहिए। साहब कहीं बोल्ड न हो जाएं।

कांग्रेस को लाड़ले भैया से उम्मीद

बीजेपी जहां आज भी लाड़ली बहनों से उम्मीद लगाए बैठी है, वहीं कांग्रेस लाड़ले भैया के भरोसे है। अरे समझे नहीं, हां भाई OPS पेंशन की बात कर रहे हैं। लाड़ले भाइयों ने पोस्टल बैलेट में मुहर लगाकर अपनी मंशा तो कांग्रेस को जता दी, लेकिन लाड़ली बहनों के आंकड़ों ने बीजेपी को उतना खुश नहीं किया, जितना टीम मानकर चल रही थी। हालांकि सब कुछ ईवीएम में बंंद है, सबको इंतजार है… देखना ये है कि क्या बीजेपी लाड़ली बहनों के आशीर्वाद से सत्ता में आती है या फिर कांग्रेस लाड़ले भैया के कंधों पर सवार होकर सत्ता की ट्रॉफी उठाएगी।

खुफिया तंत्र ने ये क्या कर दिया

बीजेपी अभी सत्ता में वापसी के लिए पूरी तरह आशान्वित है, लेकिन उसका खुफिया तंत्र है कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की बात कर रहा है। हां, ये पक्की खबर है। खुफिया तंत्र की रिपोर्ट ने प्रदेश के कप्तान या कहें अपने मामा की नींद उड़ा दी है। सीधे- सीधे कह दिया गया कि कांग्रेस 133 सीटें ला रही है। हालांकि अब बीजेपी के खिलाड़ी ही कह रहे हैं कि खुफिया तंत्र की रिपोर्ट हवा- हवाई होती हैं, इस पर लोड लेने की जरूरत नहीं। बड़ा सवाल है कि क्या खुफिया तंत्र के प्लेयर्स सत्ता को हवा- हवाई रिपोर्ट देने की जहमत उठा सकते हैं, वो भी सीधे 133 का फिगर। खैर धुंआ उठा है तो कहीं न कहीं आग जरूर होगी। ये अलग है कि किसी चिंगारी के धुंए को खुफिया तंत्र ने आग का धुंआ समझ लिया है तो 4 दिसंबर के बाद उनके कैप्टन का धुंआ निकलना तय है।

सत्ता के खिलाफ अफसर

ऐसा पहली बार दिख रहा है कि चुनाव में अफसरों ने खुलकर अफसरी की है। हालांकि ये बात अलग है कि इन खिलाड़ियों के 'डीआरएस' जैसे नियम कायदों की भेंट चढ़ने वालों में सबसे ज्यादा संख्या सत्ता पक्ष के लोगों की रही है। प्रदेश बीजेपी के मुखिया अरे अपने पंडितजी ने तो सीधे-सीधे छतरपुर कलेक्टर-एसपी पर पक्षपात का आरोप लगा दिया। इसके अलावा चुनाव आयोग में सबसे ज्यादा कलेक्टर्स के खिलाफ शिकायतें भी बीजेपी ने की हैं। कांग्रेस के कैप्टन यानी अपने कमलनाथ तो केवल मीडिया में पक्षपात का आरोप लगाते दिखे। सवाल यह है कि क्या अफसर सत्ता के खिलाफ मुखर हुए हैं? क्या ग्राउंड पर कांग्रेस की टीम अच्छा खेली?

प्रशासनिक खिलाड़ी कहां गए…

प्रदेश का सबसे हाईप्रोफाइल इलाका चार इमली फिलवक्त मतदान को लेकर चर्चाओं में है। बड़े खिलाड़ी मतदान करने में पीछे रह गए हैं। यहां 200 से ज्यादा आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहते हैं। यहां के दो पोलिंग बूथ पर सिर्फ 57 प्रतिशत वोटिंग हुई है। प्रश्न यह है कि क्या आमजन से अधिक से अधिक मतदान की पैरवी करने वाले ये अफसर वोट डालने नहीं गए, या चुनावी ड्यूटी आड़े आ गई! रोचक फैक्ट यह भी है कि यहीं पास में लगी ऋषिनगर की झुग्गी बस्ती के दो बूथ पर 69 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ। जनता ने जबरस्त बल्लेबाजी और गेंदबाजी की।

सेल्फी वाले कलेक्टर साहब

नर्मदा किनारे के एक जिले के कलेक्टर साहब आत्ममुग्ध हैं। इनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। मानो ये अपने जिले में बीसीसीआई जैसी भूमिका में नजर आते हैं। जो भी होगा, यही तय करेंगे। मातहतों को छोटी से छोटी बात कलेक्टर साहेब को बतानी ही पड़ती है। न बताओ तो साहब की डांट फटकार लगना तय है। ऊपर से साहब की चर्चा इन दिनों मीडिया में आने की भी है। वे फोटू खिंचाने से पीछे नहीं हटते। कलेक्टर का चुनाव प्रंबधन से ज्यादा फोकस फोटों खिंचाने और इवेंट बनाने पर रहा। अब तो जिले के अधिकारी भी बोलने लगे हैं कि कलेक्टर सारा क्रेडिट खुद ही लेना चाहते हैं। विभाग कोई भी हो, उपब्लिध कलेक्टर साहब को ही चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसी जिले के मंत्री जी भी अपने बड़े-बोलेपन के लिए सुर्खियों में रहते हैं।


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