BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं बीजेपी ने 228 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सिर्फ गुना और विदिशा ही बाकी हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस, इन दोनों ने ही अभी से आपके साथ वादाखिलाफी शुरू कर दी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस ने चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन के जो वादे किए थे, वे लिस्ट जारी होने के बाद धरे के धरे रह गए।
बीजेपी ने की वादाखिलाफी
खराब छवि वाले नेताओं को टिकट
बीजेपी ने वादा किया था कि चुनाव में खराब छवि वाले नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय, शेहरा मसूद हत्याकांड में घिर चुके ध्रुवनारायण सिंह और विवादों में रहे महेंद्र सिंह समेत कई नेताओं को टिकट दे दिया। आपको बता दें कि 2021 में कैलाश विजयवर्गीय पर पश्चिम बंगाल की एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया था, बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दोबारा सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेज दिया था।
परिवारवाद से दूर नहीं रह पाई बीजेपी
बीजेपी ने वादा किया था कि टिकट वितरण में परिवारवाद नहीं चलेगा, एक परिवार से एक ही को टिकट मिलेगा, लेकिन मंत्री विजय शाह और उनके भाई संजय शाह को टिकट दिया गया है। हालांकि कैलाश विजयवर्गीय को टिकट देने के बाद उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय का टिकट बीजेपी ने जरूर काट दिया। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आईं जोबट विधायक सुलोचना रावत की जगह उनके बेटे विशाल रावत को भी टिकट दिया गया है।
खराब फीडबैक वाले नेताओं का नहीं काटा टिकट
बीजेपी ने मध्यप्रदेश में गुजरात फॉर्मूले के तहत बड़ी संख्या में टिकट काटने की बात कही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। खराब फीडबैक वाले नेताओं का पत्ता काटने का भी वादा किया था, लेकिन उन सबका टिकट नहीं काटा गया। बीजेपी ने सर्वे भी खारिज करते हुए जिताऊ प्रत्याशियों पर ही दांव खेला है।
कांग्रेस ने भी की वादाखिलाफी
पैनल के नाम वाला वादा नहीं निभाया
कांग्रेस ने तय किया था कि पैनल में जिसका नाम होगा, उसे ही टिकट देंगे, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकी।
20 हजार से ज्यादा वोटों से हारे नेताओं को नहीं देंगे टिकट
कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन को लेकर किए वादे में ये भी कहा था कि वे पिछले चुनाव में 20 हजार से ज्यादा वोटों से हारे नेताओं को टिकट नहीं देंगे, लेकिन कई ऐसे नेताओं को भी टिकट मिला है।
दल-बदलुओं को भी दिया टिकट
दल-बदलुओं को टिकट नहीं देने की बात भी धरी की धरी रह गई। कुछ दिनों पहले कांग्रेस में शामिल हुए दीपक जोशी, भंवर सिंह शेखावत और समंदर पटेल को टिकट दिया गया है।
अभी से ये आलम, तो बाद में क्या होगा ?
कांग्रेस हो या बीजेपी, किसी पार्टी ने प्रत्याशी चयन को लेकर किए वादे नहीं निभाए। अब बड़ा सवाल ये उठता है कि अभी से पार्टियां जनता के साथ वादाखिलाफी करने लगी हैं, तो इस बात की क्या गारंटी है कि सरकार में आने के बाद वचन पत्र के वादों पर वादाखिलाफी नहीं होगी ? अगर चुनाव से पहले वादे निभाने में आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा, ये मध्यप्रदेश के हर वोटर के लिए चिंताजनक बात है।