संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में शनिवार (30 सितंबर) को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शाम पांच बजे से रात 12 बजे तक विविध आयोजनों में रहे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और कहा कि जब कमलनाथ सीएम थे तो विकास के काम ठप कर दिए थे, कहते थे कि मेरे पास पैसे नहीं है, मामा सब खत्म कर गए, जैसे मामा नहीं कोई औरंगजेब था। वह हमेशा पैसों के लिए रोते रहते थे, उनके उलट मैं कहता हूं मेरे पास पैसे की कोई कमी नहीं है। क्या ऐसा रोने वाला सीएम चाहिए? नहीं तो फिर बीजेपी की ही सरकार बनाओ।
मुझे घोषणावीर कहते हैं, हां हूं, वीर ही घोषणा करते हैं
सीएम चौहान ने यह भी कहा कि कांग्रेस कहती है कि मामा तो केवल घोषणा करते हैं, घोषणा मशीन हीं घोषणा वीर भर हूं। हां हूं घोषणा वही वीर करते हैं जो काम करना जानते हैं, जिनके मन में जनता के लिए तड़प होती है। विकास के लिए ललक होती है। वह उनके पास नहीं है। मैं घोषणा करता हूं और एक-एक वादा पूरा भी करता हूं।
सिलावट बोले मैं वहीं से आया हूं, उन्हें जानता हूं कांग्रेस आई तो बंद हो जाएगी लाड़ली बहना योजना। वहीं मंत्री सिलावट ने लव-कुश चौराहे पर हुए भूमिपूजन कार्यक्रम में कहा कि मैं उन्हें जानता हूं, वहीं से आया हूं, कांग्रेस केवल बाधाएं डालने का काम करती है। यदि वह सरकार में आई तो जैसे पहले संबल योजना बंद कर दी थी, अब वह लाड़ली बहना योजना को भी बंद कर देंगे।
सीएम ने मेंदोला को दादा दयालु, मधु को आदर्श कार्यकर्ता बताया
सीएम चौहान ने विधानसभा दो में कनकेश्वरी कॉलेज के मौके पर स्थानीय विधायक रमेश मेंदोला की जमकर तारीफ की और कहा कि सेवा करना उनसे सीखना चाहिए, वह दादा दयालु है। 24 घंटे किस तरह सेवा की जाती है यह सीखने वाली बात है। वह जो ठान लेते हैं करते दिखाते हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने भी कि कहा कि मेंदोला को सैल्यूट वह दिलों में राज करते है। वहीं सीएम ने राऊ में हुए आयोजन में यहां से घोषित बीजेपी प्रत्याशी मधु वर्मा के लिए कहा कि वह जब आईडीए में तो आदर्श काम किया था, वह आदर्श कार्यकर्ता है। इस बार देखना वह पीछे नहीं रहें।
हुकमचंद मिल मजदूरों को उनके हिस्से की राशि मिलेगी- सीएम
वहीं राऊ में हुए कार्यक्रम में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सीएम के सामने मंच से ही हुकुमचंद मिल का मामला उठाया। इस पर सीएम ने कहा कि मिल मजदूर, गरीब परेशान है। जल्दी फैसला लाकर मजदूरों को उनके हिस्से की राशि का भुगतान किया जाएगा। दरअसल यह करीब पांच हजार मजूदरों की यह लड़ाई मिल बंद होने दिसंबर 1991 से ही चल रही है। शासन के हिसाब से मिल मजूदरों को 229 करोड़ के भुगतान का हिसाब बना। इसमें 50 करोड़ पहले दे चुके हैं, बाकि 179 करोड़ रुपए देना है। शासन इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड के प्रोजेक्ट के लिए दे रही है और मजदूरों को यह राशि देने को तैयार नहीं है, लेकिन मजदूरो की मांग है कि इस राशि पर ब्याज भी दिया जाए। वैसे ब्याज ज्यादा बनता है लेकिन शासन सैटलमेंट कर रहा है तो हम चाहते हैं कि कम से कम दिसंबर 2001 से परिसमापक को सौंपे जाने तक 2001 तक का ब्याज तो दिया जाए तो 88 करोड़ रुपए करीब बनता है। इसी बात को लेकर मामला अटका हुआ है, केस भी हाईकोर्ट में सालों से चल रहा है यहां शासन ने जवाब दिया है मप्र शासन इसपर फैसला ले रहा है।