संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में साल 2021 फरवरी में हुए भूमाफिया अभियान के दौरान आरोपी बने केशव नाचानी उर्फ हनी एक नए केस में उलझ गए हैं। ईओडब्ल्यू ने उन पर 28 करोड़ के घोटाले के मामले में केस दर्ज कर लिया है। उनके साथ कुल 10 आरोपी बनाए गए हैं। मामला सहकारी समिति की जमीन का ही है। नाचानी पर ईडी ने भी भूमाफिया अभियान में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया हुआ है। संपत्ति भी अटैच की है। इसके साथ ही इस मामले में टीएंडसीपी के तत्कालीन संयुक्त संचालक वीपी कुलश्रेष्ठ, इंडसइंड बैंक के तत्कालीन मैनेजर और अन्य अधिकारियों, वैल्यूअर पर भी केस हुआ है।
इन पर केस दर्ज
समीर मूसा खान (अध्यक्ष, महिराज संस्था), केशव कुमार नाचानी, टीएनसीपी के पूर्व संयुक्त संचालक वीपी कुलश्रेष्ठ, इंडसइंड बैंक के मैनेजर राजेश पिता बीसी मंगल, बैंक के जोन प्रबंधक धर्मेंद्र जाखोड़िया, प्रदीप भावे, टाइटल सर्च करने वाला रमेशचंद्र माहेश्वरी, राजेश फारख्या मूल्यांकनकर्ता राजेंद्र गुप्ता और पेगासस असेस्टस रिकंस्ट्रक्शन प्रालि।
जमीन लेकर बैंक में गिरवी रख ले लिया लोन
नोबल रियल एस्टेट प्रालि के केशव कुमार नाचानी और महिराज गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष समीर पिता मूसा खान सहित 10 के खिलाफ ईओडब्लयू ने धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है। महिराज गृह निर्माण संस्था की जमीन नाचानी ने डेवलपमेंट के लिए ली थी। बाद में इस जमीन को गिरवी रखकर बैंक से लोन ले लिया। बैंक ने ऋण अदायगी न होने पर कुछ दिन पहले ही 28 करोड़ में जमीन नीलाम कर दी, जबकि मौजूदा बाजार कीमत से जमीन तकरीबन 300 करोड़ रुपए की है।
इस तरह किया गया पूरा खेल
1989 में पंजीबद्ध हुई महिराज संस्था के नाम पर ग्राम खजराना के सर्वे नंबर 122/1 की 1.639 हेक्टेयर (4.05 एकड़) जमीन है जो संस्था ने दिसंबर 1997 में खरीदी थी। संस्था यहां राधे विहार के नाम से कॉलोनी काटने वाली थी, जहां सदस्यों को प्लॉट दिए जा सके। 1999 से 2005 के बीच संस्था ने 45 प्लॉट की रजिस्ट्री 45 सदस्यों को की। 2006 में समीर खान अध्यक्ष बना। वह भी बिना किसी चुनाव और संचालक मंडल की बैठक के समीर ने पलासिया स्थित इंदौर स्वयं सिद्ध महिला को-ऑपरेटिव बैंक में खाता खुलवाया। फरवरी 2006 में समीर ने जमीन पर नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में वाणिज्यिक उपयोग के लिए भू-अभिन्यास मंजूरी का आवेदन दिया। जुलाई में नक्शा मंजूर हो गया। अगस्त 2006 में समीर ने सहकारिता विभाग के तमाम प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जमीन 2 करोड़ रुपए में नोबल रियल एस्टेट प्रालि को बेच दी। इसके संचालक केशव नाचानी और उनकी पत्नी रेणू नाचानी रहे। दोनों का पता 614 उषा नगर है। समीर ने जो ठहराव प्रस्ताव रजिस्ट्री में बताया वो ईओडब्ल्यू की जांच में फर्जी निकला। 2 करोड़ में से 58 लाख रुपए नाचानी ने चेक से दिए थे। जिसका समीर ने उपयोग कर लिया।
इस तरह गिरवी रखी गई जमीन
नाचानी ने अपनी दूसरी फर्म एमपी बुलियन को इंडसइंड बैंक से क्रेडिट लिमिट और ओवर ड्राफ्ट का कर्ज मंजूर कराने के लिए संस्था की जमीन सितंबर 2009 को 12 करोड़ में गिरवी रख दी। बैंक के अधिकारियों ने भी वेरिफिकेशन के दौरान 45 प्लॉट और रजिस्ट्री का उल्लेख न करके नाचानी के फर्जीवाड़े में साथ दिया शिकायत के बाद बैंक ने नवंबर 2009 में फर्जीवाड़ा पकड़ा। कहा कि बैंक गारंटी और ओवर ड्राफ्ट की सुविधा निरस्त की जाती है, क्योंकि जमीन पर बिके प्लॉट के साक्ष्य हमें मिले हैं। इसके बाद भी 2017 तक बैंक के स्थानीय अधिकारियों ने सुविधाएं जारी रखी। 2017 में बैंक गारंटी 9 करोड़ और ड्राफ्ट 14 करोड़ और ड्राफ्ट क्रेडिट 2.50 करोड़ कर दी। मतलब 12 करोड़ का लोन बढ़कर 25.50 करोड़ तक पहुंच गया।
जमीन की कीमत ज्यादा आंकी गई
2008-09 में गाइडलाइन 1.31 करोड़ रुपए थी। जबकि राजेंद्र गुप्ता वेल्युअर ने जमीन कीमत 44.10 करोड़ रुपए आंक दी थी। 2018 में बैंक ने फर्म को एनपीए घोषित कर दिया। पेगासस असेट्स ने दिसंबर 2018 को एमपी बुलियन को दिवालिया करार दिया और जमीन की निलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी। मार्च 2022 में कान इंटरप्राइजेस नाम की कंपनी ने पेगासस से यह जमीन 36.11 करोड़ रुपए में खरीद ली। पुरानी टीएनसी के आधार पर 28 मार्च 2003 को कान ने का डावर्शन कराया। 7.21 लाख रुपए का डायवर्शन टैक्स भी चुकाया।