आईडीए में कपड़े उतार प्रदर्शन की खबर के बाद चेयरमैन-सीईओ हुए गायब; पीड़ितों ने जूनियर अधिकारियों के सामने उतारे कपड़े

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BP Shrivastava
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आईडीए में कपड़े उतार प्रदर्शन की खबर के बाद चेयरमैन-सीईओ हुए गायब; पीड़ितों ने जूनियर अधिकारियों के सामने उतारे कपड़े

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की हठधर्मिता और बेशर्मी का पर्दाफाश करने के लिए कालिंदी सोसायटी के पीड़ित प्लाटधारकों ने मंगलवार, 26 सितंबर को कपड़े उतारने वाला प्रदर्शन किया। करीब 30 पीड़ित आईडीए में सुबह जमा हुए, लेकिन आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा, उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला और सीईओ आरपी अहिरवार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकार नदारद मिले। लेकिन पीड़ित नहीं रूके और जूनियर अधिकारियों के चेंबर में पहुंचे और कपड़े उतारने लगे। इस पर एक अधिकारी ने कहा कि मेरे सामने करके क्या होगा? यह तो वरिष्ठ के सामने बात रखिए, लेकिन पीड़ित बोले सभी के सामने सालों से परेशानी रख रहे हैं, कोई सुनने को तैयार नहीं है। हम आए हैं तो प्रदर्शन करते हुए बात रखेंगे। इसके बाद सभी ने कपड़े उतारे और अर्धनग्न होकर आईडीए पर जमकर आरोप लगाए। 

हर सप्ताह दान देंगे अपने वस्त्र, महिलाएं चुनरी, चूड़ियां देंगी

सदस्य अनुराग अग्रवाल ने द सूत्र से कहा कि अभी तो हम कुछ ही सदस्य ही आईडीए आएं और यह प्रदर्शन किया। बार-बार इसे दोहराया जाएगा। इसके बाद भी यह नहीं मानते हैं तो इसमें पीड़ित महिलाएं भी शामिल होंगी और अपनी ओर से आईडीए में चुनरी फैंकेंगी और चूड़ियां भी वहां भेंट करेंगी।

इस बार वोट बीजेपी नहीं नोटा को

अग्रवाल ने कहा कि कोर्ट ने जब साफ कह दिया कि स्कीम खत्म कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी यह लोग अड़े हुए हैं। बोर्ड संकल्प पास हो चुका है। कौन है जो एनओसी रोककर रखे हुए हैं? यह तो भूमाफिया जैसा रवैया है, जो कब्जे करके बैठा रहता है। हमे सरकारों से मतलब नहीं है, राजनीति से हमे मतलब नहीं है हम तो नोटा को वोट देंगे। हमार तरह कई सोसायटी आईडीए से परेशान है। विकास अरोड़ा ने कहा कि आईडीए नहीं माना जो प्रदर्शन और बड़ा, उग्र होता जाएगा।

साल 1998 में हुए हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा आईडीए

सदस्यों ने बताया कि आईडीए ने एमआर 9 के पास यह स्कीम लांच की थी। इसमें रघुवीर गृह निर्माण संस्था की जमीन जिसमें कालिंदी आती है, उसकी जमीन भी चिन्हित की। हाईकोर्ट में सदस्य सदाशिव जोशी और अन्य गए और इस पर 1996 और 1998 में हाईकोर्ट ने फैसला करते हुए स्कीम को खारिज कर दिया। लेकिन जब भी आईडीए से एनओसी लेने जाने पर वह इसे अपनी स्कीम 53 का हिस्सा बताते हुए मना कर देता है। आईडीए के चलते ना हमे यहां मकान बनाने की मंजूरी मिल रही है और ना ही आईडीए ने कभी कोई मुआवजा ही दिया। साल 2019 में हमने अवमानना याचिका भी दायर की हुई है। साथ ही अब जिला कोर्ट में केस लगाया जा रहा है कि वह हाईकोर्ट में झूठे शपथपत्र देकर बरगला रहे हैं।

14 अगस्त 2013 को आईडीए खुद ही पास कर चुका प्रस्ताव

आईडीए 1998 में हाईकोर्ट के आदेश के तहत स्कीम को लैप्स भी कर चुका है। इस संबंध में 14 अगस्त 2013 में प्रस्ताव पास हुआ था- इसमें तत्कालीन सीईओ के हस्ताक्ष भी है। इसमें कहा गया कि रघुवंशी गृह निर्माण सहकारी संस्था की भूमि चूंकि योजना क्रमांक 53 में समाविष्ट है। प्राधिकारी द्वाराइस योजना को समाप्त किया जा चुका है। इसलिए संस्था के साथ किया गया अनुबंध समाप्तकरन के लिए वैधानिक कार्रवाई की जाए। एक अन्य जगह आईडीए ने यह भी माना है कि योजना 53 में किसी तरह के खर्च की कोई प्रशासकीय स्वीकृति नहीं ली गई है यानि कोई खर्च इस योजना के लिए आईडीए ने खर्च नहीं किया है।

अयोध्यापुरी से लेकर पुष्पविहार सभी आईडीए से परेशान

आईडीए से कई संस्थाएं और हजारों प्लॉटधारक परेशान है। हाल ही में 20 सितंबर को इंदौर में सीएम के दौरे के दौरान भी अयोध्यापुरी (देवी अहिल्या सोसायटी) और पुष्पविहार (मजूदर पंचायत) सोसायटी के सदस्यों ने सीएम से भी आईडीए के रवैए की शिकायत की थी। यह भी 20 साल से ज्यादा समय से परेशान है। इन्हें भी आईडीए स्कीम मुक्ति का एनओसी नहीं दे रहा है।

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