RAIPUR. धान के मुद्दे पर 2018 के चुनाव में बुरी तरह मात खाई भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले घोषणाएं करने में इस बार कहीं चूक नहीं की। किसानों के लिए घोषणाओं की होड़ दिखी तो आधी से अधिक आबादी की वंदना में जुटकर भाजपा ने पहले चरण में कांग्रेस की तुलना में लीड किया। वहीं युवाओं के लिए भी घोषणा करने में भाजपा आगे दिखी। इधर कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी, महिला स्वसहायता समूहों की कर्जमाफी, केजी टू पीजी मुफ्त शिक्षा, 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त जैसी योजनाओं की घोषणा कर भाजपा को फिर से चारों खाने चित करने का प्रयास किया।
कर्ज माफी के मुकाबले दो साल का धान बोनस
छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहा जाता है। 90 में 64 सीटों पर खेती से संबंधित घोषणाएं बड़ा असर करती हैं। पिछली बार कांग्रेस से मातखाई भाजपा, जो 2018 चुनाव से पहले 2100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से एमएसपी नहीं दे पाई थी, इस बार 3100 प्रति क्विंटल की दर से किसानों को एक मुश्त भुगतान करने की घोषणा की साथ ही प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने की गारंटी भी किसानों को दी। वहीं पिछले कार्यकाल में(2018 से पहले) रुके हुए दो साल के धान बोनस यानी 600 रुपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त राशि देने की बात कहकर किसानों का मत पलटने का प्रयास किया। जबकि कांग्रेस ने लगातार पांच साल तक 2500 रुपए और अधिक एमएसपी पर धान खरीदी करके वादा निभाने का दावा किसानों के सामने रखा और इस बार 3200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करने और 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का वादा किया। वहीं किसान भाजपा के बोनस के मुकाबले कर्जमाफी ले आई। इस होड़ में आमआदमी पार्टी (आप) भी शामिल हो गई। आप ने 3600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा की। जेसीसीजे भी इस मामले में एक कदम बढ़कर 4000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को धान की कीमत देने का हलफनामा दे डाला। कहीं रेस में पीछे न छूट जाएं इसलिए बीजेपी ने आखिर में कांग्रेस के मुकाबले 1100 रुपए अधिक देने का गुणाभाग किसानों को समझाने की प्रयास किया।
आधी से अधिक आबादी की वंदना में लगी पार्टियां
छत्तीसगढ़ में 90 में से 57 सीटों पर महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से अधिक निकली। यानि 63 फीसदी से अधिक सीटों पर भाग्य विधान बनी इस आधी से अधिक आबादी की वंदना में कांग्रेस भाजपा ने जमकर घोषणाएं की। भाजपा ने 3 नवंबर को अपने घोषणापत्र में महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को 1 हजार रुपए महीने यानि 12 हजार साल के देने का न केवल वादा किया बल्कि इससे जुड़ी महिलाओं के लिए घोषित की गई केंद्र की योजनाओं सहित 9 योजनाओं पर घर-घर जाकर फार्म भरवाना शुरू कर दिया। कांग्रेस जब तक भाजपा के इस दांव को समझ पाई तब तक 7 नवंबर को पहले चरण का मतदान हो चुका था, और मैदानी इलाकों से प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं ने इस योजना में पिछड़ने की रिपोर्ट भेजनी शुरू की। लिहाजा घोषणापत्र आने के काफी दिनों बाद दिवाली के दिन कांग्रेस ने इससे बेहतर गृहलक्ष्मी योजना की घोषणा की। इसमें हर महिला को वह विवाहित हो या नही 15 हजार रुपए साल के देने की घोषणा की। लेकिन जब यह घोषणा हुई तो त्योहार का माहौल था। प्रत्याशी और कार्यकर्ताओं को नई घोषणा का पांप्लेट छपवाने का भी समय नहीं मिला और मतदान की दिन आ गया।
इसके अलावा भाजपा ने रानी दुर्गावती योजना के तहत BPL वर्ग की बालिकाओं के जन्म पर 1 लाख बाजार का आश्वासन प्रमाण पत्र जारी करने तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने फिर से सरकार बनते ही महिला स्व-सहायता समूहों और महिलाओं द्वारा सक्षम योजना के अंतर्गत लिए गए कर्ज माफ किए जाने की घोषणा की थी। भाजपा ने 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया तो कांग्रेस ने सिलेंडर में 500 रुपए की सब्सिडी देने की घोषणा की।
यूथ को लुभाने भाजपा ने लगाई योजनाओं की झड़ी
भाजपा ने इस बार को यूथ को लुभाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पीएससी परीक्षा की धांधली की निष्पक्ष जांच के साथ इनोवेशन हब बनाकर 6 लाख रोजगार, छात्रों को मासिक ट्रैवल अलाउंस, एम्स और आईआईटी की तरह सीआईएमएस और सीआईटी जैसी घोषणांए की तो वहीं कांग्रेस ने भी युवाओं को कर्ज में 50 प्रतिशत छूट की घोषणा की।
बड़ा सवालः किस पर भरोसा करेगी जनता?
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में किसान कर्ज माफी का ऐलान किया था, जिसका उसे जबरदस्त फायदा हुआ था और 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में बंपर सीटें हासिल की थी। वहीं भाजपा केवल 15 सीटों में सिमट गई थी। इस बार बीजेपी भी घोषणाओं में कहीं पीछे नहीं है। अब देखना ये है कि इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के किस मुफ्त चुनावी वादे पर जनता अपनी मुहर लगाती है।