संजय गुप्ता, INDORE. देश-विदेश में प्रसिद्ध इंदौर के 150 साल पुराने डेली कॉलेज 17 करोड़ के अतिरिक्त खर्चे के द सूत्र के खुलासे के बाद विवादों में घिर गया है। 'द सूत्र' के एक के बाद एक नए खुलासे के बाद अब और नई बात सामने आई है कि डेली कॉलेज फर्म्स एंड सोसायटी में रजिस्टर्ड है और हर रजिस्टर्ड संस्था को एजीएम (वार्षिक साधारण सभा) करना जरूरी होता है, लेकिन डेली कॉलेज में यह होती ही नहीं है। अपने हर काम को गोपनीयता की आड़ में करने के लिए बोर्ड ने कभी एजीएम बुलाई ही नहीं। जबकि नियमों के मुताबिक एजीएम में ही खर्चे, बजट को पास किया जाता है। लेकिन डेली कॉलेज का नौ सदस्यी बोर्ड, सचिव प्रिंसीपल को साथ में रखकर सब चुपचाप करता है।
हाईकोर्ट में एजीएम बुलाने के लिए लगी है याचिका
डेली कॉलेज द्वारा एजीएम नहीं करने को लेकर फर्म्स एंड सोसायटी में असिस्टेंट रजिस्ट्रार और फिर रजिस्ट्रार भोपाल के पास शिकायत हो भी चुकी है, लेकिन इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। इसके बाद अगस्त 2023 में ही इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगी है, जिसमें याचिकाकर्ता दीपक कासलीवाल ने बोर्ड को पार्टी बनाया है और एजीएम की मांग की गई है। इसमें फर्म्स एंड सोसायटी रजिस्ट्रार और असिस्टेंट रजिस्ट्रार के साथ ही डेली कॉलेज सोसासटी, बोर्ड प्रेसीडेंट विक्रम सिंह पंवार, उपाध्यक्ष राजवर्धन सिंह नरसिंहगढ़, प्रिंसीपल गुनमीत कौर बिंद्रा, बोर्ड सदस्य नरेंद्र सिंह झाबुआ, प्रियवत सिंह, हरपाल उर्फ मोनू भाटिया, संदीप पारिख, सुमित चंडोक, संजय पाहवा, धीरज लुल्ला के साथ ओल्ड डेलियंस एसोसिएशन के प्रेसीडेंट को भी पार्टी बनाया गया है।
बिना एजीएम के यह खर्चे पास करना ही गलत
कासलीवाल का कहना है कि बिना एजीएम किसी भी तरह के खर्चें करना, पास करना गलत है। इसकी लगातार हम मांग कर रहे हैं, एजीएम होगी तो सभी सही होगा। ओल्ड डेलियंस सदस्य रोहन जैन भी कहते हैं कि एजीएम होना चाहिए, जिस तरह ओल्ड डेलियंस एसोसिएशन (ओडीए) के हर काम का ब्यौरा एजीएम में आता है, डेली कॉलेज का भी आना चाहिए, आखिर पारदर्शिता रखने में बुराई ही क्या है? यह होना चाहिए। ओल्ड डेलियन सदस्य सुनील बजाज कहते हैं कि यह सारे सवाल उठ ही इसलिए रहे हैं क्योंकि सोसासयटी रूल के मुताबिक एजीएम नहीं हो रही है। वह हो तो यह सभी मुद्दे वहीं चर्चा में आए जाएं। इसी तरह एक अन्य ओल्ड डेलियन सदस्य डॉ. सुमित शुक्ला ने भी कहा कि सवाल उठा रहे हैं तो इसके जवाब और स्पष्टीकरण भी बोर्ड द्वारा सामने आना चाहिए। किसी गलत आरोपों के कारण संस्था खबरों में आ रही है तो यह सही नहीं है।
सदस्य अब मुखर होकर आ रहे सामने
'द सूत्र' द्वारा मुद्दा उठाए जाने और खुलासा करने के बाद ओल्ड डेलियन सदस्य अजय बागडिया सामने आए और इसे गंभीर बताया साथ ही यह भी जानकारी दी कि यहां शराब पार्टियों में बेजा खर्चा होता है। पारदर्शिता के साथ बोर्ड सदस्यों को इसमें स्पष्टीकरण देना चाहिए। ओडीए सदस्य रोहन जैन ने भी इस तरह खर्चे के चलते भ्रष्टाचार की आशंका होने की बात कही और कहा कि कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार तो है ही।
बोर्ड उपाध्यक्ष राजवर्धन सिंह बोले- जांच कराने की बात करेंगे
उधर बोर्ड के उपाध्यक्ष राजवर्धन सिंह नरसिंहगढ़ ने 'द सूत्र' से चर्चा में कहा कि 'द सूत्र' द्वारा उठाया गया यह मुद्दा मेरे संज्ञान में आया है। मैं चार-पांच बैठकों में नहीं गया हूं, इसलिए अभी कुछ नहीं कह सकता हूं, लेकिन यदि सवाल उठ रहे हैं तो मैं अगली बैठक में यह जरूर कहूंगा कि इसमें जांच करा ली जाए और स्पष्टीकरण किया जाए कि आखिर कहां कैसे खर्च हुआ और क्यों किए गए हैं। इसमें बुराई नहीं है। 'द सूत्र' ने बोर्ड प्रेसीडेंट विक्रम सिंह पंवार को भी फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।