मनीष गोधा, JAIPUR. नई सरकार के गठन के लिए राजस्थान में चार दिन बाद होने वाले मतदान से पहले राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने आज अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। कांग्रेस का घोषणा पत्र ना सिर्फ रंग बल्कि, घोषणाओं के मामले में भी बीजेपी से ज्यादा चमकीला दिख रहा है। पार्टी ने जातिगत जनगणना, किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर अनिवार्य खरीद का कानून और राजस्थान में विधान परिषद के गठन जैसे बड़े वादे किए हैं। चूंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सात गारंटियां के रूप में कई लोक लुभावन पहले ही घोषित कर चुके थे। इसलिए घोषणा पत्र में ज्यादा कुछ देने के लिए बचा नहीं था, फिर भी पार्टी ने कुछ बड़े वादे और कानून लागू करने की बात कहकर पार्टी की सोच बताने की कोशिश की है।
पहले रंग की बात
रंग की तो हालत यह है कि राजस्थान में पार्टी अपनी पहचान तिरंगा रंग ही भूल गई। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में यह कार्यक्रम हुआ था, लेकिन तिरंगा कहीं नजर नहीं आ रहा था। पूरा आयोजन और घोषणा पत्र राजस्थान में कांग्रेस का प्रचार अभियान सम्भाल रही एक निजी इवेंट कम्पनी की ओर से सरकार और पार्टी की ब्रांडिंग के लिए तय किए गए गुलाबी और पीले रंग में रंगा नजर आया। जबकि बीजेपी ने अपना भगवा रंग छोड़ा नहीं था, बल्कि कमल के निशान और नेताओं के फोटो हटा दिए जाएं तो भाजपा का घोषणा पत्र ज्यादा तिरंगा दिख रहा था।
अब घोषणाओं की बात
घोषणाओं की बात की जाए तो कांग्रेस के घोषणा पत्र में गहलोत की पापुलिस्ट घोषणाओं का असर साफ दिखता है। वहीं भाजपा के घोषणा पत्र बहुत बड़े वादे नहीं है, बल्कि उन मुद्दों से जुडी घोषणाओं पर फोकस किया गया है, जिन्हें पार्टी ने चुनाव में मुद्दा बना रखा है।
अब इसे क्षेत्रवार देखें तो तस्वीर कुछ ऐसी दिखती है...
किसानों के लिए
कांग्रेस ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनिवार्य खरीद का कानून लाने का वादा किया है। इसके साथ ही सहकारी बैंकों से सभी किसानों को 2 लाख रुपए तक के ब्याज मुक्त कृषि ऋण की सुविधा का वादा भी है। बीजेपी ने गेहूं की फसल समर्थन मूल्य पर बोनस देकर खरीदने और किसानों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा और राजस्थान की प्रमुख फसलें ज्वार और बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का वादा किया है।
गैस सिलेण्डर के दाम कम करने की होड़
दोनों दलों में गैस सिलेण्डर के दाम कम करने की होड़ दिखी है। कांग्रेस सरकार यहां पहले ही उज्जवला लाभार्थियों को 500 रुपए में सिलेण्डर दे रही थी और अब इसका दायरा बढ़ाकर इसे 400 रुपए में देने का वादा किया गया है। वहीं बीजेपी ने गरीब परिवारों को 450 रुपए में सिलेण्डर देने की घोषणा की थी।
युवाओं के लिए नौकरियां ज्यादा
कांग्रेस ने पांच साल में चार लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है। इसके साथ ही पंचायत स्तर पर सरकारी कर्मचारियों का अलग काडर बनाने की बात भी कही है, जबकि बीजेपी ने ढाई लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था। इसके साथ ही युवाओं की भर्ती परीक्षाओं के लिए अलग एजेंसी बनाने और पेपर लीक जैसे मामलों की जांच कराने का वादा किया गया था।
महिलाओं के लिए
कांग्रेस ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और प्रत्येक गांव और वार्ड में सुरक्षा प्रहरी की नियुक्ति करने, यौन उत्पीड़न के मामले में तुरंत न्याय दिलाने के लिए जांच में लगने वाले
समय को कम करने का वादा किया है।
महिला सुरक्षा बीजेपी के लिए भी चुनाव में बड़ा मुद्दा है, इसलिए इसके घोषणा पत्र में हर जिले में महिला थाना और हर थाने में अलग महिला डेस्क की बात भी है। एंटी रोमियो स्क्वाड की बात भी कही गई है।
महिलाओं को पैसा दोनों से मिलेगा
महिलााओं को पैसे देना का वादा दोनों दलों ने किया है, हालांकि, तरीका अलग-अलग है। कांग्रेस हर वर्ष महिला मुखिया के खाते में सीधे 10 हजार रुपए डलवाएगी, वहीं बीजेपी हर लड़की के लिए दो लाख रुपए का सेविंग्स बांड देगी जिसमें चरणबद्ध तरीके से पैसा डाला जाएगा।
जातिगत जनगणना
चूंकि कांग्रेस इसे राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बनाए हुए हैं और जातिगत सर्वे के आदेश आचार संहिता लागू होने से पहले ही जारी भी किए गए थे, इसलिए जातिगत जनगणना का वादा किया गया है।
बीजेपी चूंकि इसका समर्थन नहीं कर रही है, इसलिए जातिगत जनगणना का वादा नहीं है, हालांकि, ओबीसी समुदाय के लिए प्रमाण पत्र, 15 लााख तक का ऋण और कल्याण बोर्ड के गठन का वादा जरूर है।
स्वास्थ्य पर फोकस
स्वास्थ्य क्षेत्र पर फोकस दोनों दलों का है। हालांकि, स्वास्थ्य बीमा के मामले में कांग्रेस ने चिरंजीवी योजना में बीमा राशि 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए करने का ऐलान किया है और संतान सुख से वंचित दंपतियों को राहत देने के लिए आईवीएफ पैकेज निशुल्क देने का वादा भी किया है।
जबकि बीजेपी मौजूदा पांच लाख तक के आयुष्मान बीमा पर ही टिकी हुई है। हालांकि, हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 40 हजार करोड़ के निवेश की बात जरूर कही गई है।
बच्चों के लिए
कांग्रेस ने शिक्षा की गारंटी कानून लाकर 12वीं तक की शिक्षा दिलाने का वादा किया है।
वहीं बीजेपी ने यह वादा किसानों के बच्चों के लिए किया है, वहीं लड़कियों के लिए पीजी तक की फ्री शिक्षा का वादा किया गया है।
छोटे कामगार
कंग्रेस ने मनरेगा और इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में 150 दिन का रोजगार देने और व्यापारी क्रेडिट कार्ड योजना लाकर 5 लाख का ब्याज मुक्त ऋण देने का वादा किया है। ऑटो-टैक्सी चालकों को गिग वर्कर्स कल्याण अधिनियम में शामिल के लिए कानून में संशोधन।
बीजेपी ने छोटे व्यापारियों के लिए स्ट्रीट हॉकर कल्याण बोर्ड बनाने का वादा किया है। वहीं ऑटो रिक्शा चालकों को आसान कर्ज उपलब्ध कराने की बात भी कही है।
राज्य कर्मचारी
यहां दोनों पार्टियों के घोषणा पत्र में बड़ा अंतर है। कांग्रेस चूंकि राजस्थान में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर चुकी है, इसलिए अब इसके कानून का वादा किया गया है।
वहीं बीजेपी का घोषणा पत्र इस मामले में पूरी तरह शांत है। हालांकि, पार्टी ने कर्मचारियों की बड़ी समस्या तबादलों के हल के लिए तबादला नीति लाने का वादा जरूर किया है।
विधान परिषद
कांग्रेस ने राजस्थान में विधान परिषद बनाने का बड़ा वादा भी किया है। अभी राजस्थान में सिर्फ विधानसभा है। इसके जरिए पार्टी ने कहीं ना कहीं उन कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने की कोशिश की है, जिन्हें सरकार में रहते हुए मौके नहीं मिले। वहीं बीजेपी ने ऐसा कोई वादा नहीं किया है। हालांकि, राजस्थान में विधान परिषद का सबसे पहले वादा 2008 में वसुंधरा राजे ने ही किया था, लेकिन बाद में केन्द्र की संसदीय समिति ने इसे राज्य के लिए उपयुक्त नहीं मानते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया था।
कला और संस्कृति
कांग्रेस ने घोषणा पत्र में राजस्थान में एक फिल्म सिटी स्थापित करने का वादा भी किया है। घोषणा पत्र में कहा गया है कि सरकार के कार्यकाल के पहले साल में ही फिल्म सिटी का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। वहीं बीजेपी ने राजस्थान में कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए कई घोषणाएं की हैं। पर्यटन चूंकि राजस्थान का बड़ा उद्योग है इसलिए इससे जुड़े वादे दोनों ही दलों ने किए हैं।