रायपुर की 4 में से 3 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतार सकती है कांग्रेस, सोशल इंजीनियरिंग पर भारी पड़ रही नेताओं की छवि

author-image
Vikram Jain
एडिट
New Update
रायपुर की 4 में से 3 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतार सकती है कांग्रेस, सोशल इंजीनियरिंग पर भारी पड़ रही नेताओं की छवि

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस रायपुर की 4 विधानसभा सीटों में से 3 पर ब्राह्मण चेहरा उतार सकती है। इन सीटों से ब्राह्मण प्रत्याशियों का नाम तय माना जा रहा है। सोशल इंजीनियरिंग को किनारे कर कांग्रेस इन नामों पर इसलिए मुहर लगा रही है क्‍योंकि इन प्रत्‍याशियों की छवि जातिगत समीकरण पर भारी पड़ रही है।

राजधानी रायपुर के तहत 4 विधानसभा सीटें आती हैं। ये सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 3 सीटों पर कब्‍जा कर प्रभाव क्षेत्र बढ़ा लिया। वहीं चौथी सीट रायपुर दक्षिण अब भी अभेद किला बनी हुई है। यहां से पांच बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। इन सीटों से बीजेपी ने अपने प्रत्‍याशी घोषित कर द‍िये हैं। उनके मुकाबले पहले ही दो ब्राह्मण विधायक हैं। तीसरे ब्राह्मण चेहरे रामसुंदर दास की टिकट फाइनल होती है तो यह मुकाबला बेहद दि‍लचस्‍प हो जाएगा।

हिंदुत्‍व कार्ड बन सकते हैं महंत रामसुंदर दास

रायपुर दक्षिण से महंत रामसुंदर दास का नाम लगभग तय माना जा रहा है। इस सीट से बीजेपी ने 5 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल को फिर टिकट दि‍या है। उनके मुकाबले में महंत रामसुंदर दास को मैदान में उतारने की तैयारी है। रामसुंदर दास वर्तमान में जांजगीर चांपा जिले की जैजैपुर सीट से विधायक हैं। दास सरकार में गौसेवा आयोग के अध्‍यक्ष हैं, साथ ही उन्हे कैबिनेट मंत्री का दर्जा दि‍या है। उनके आने से इस हाइप्रोफाइल सीट पर मुकाबला ज्यादा रोचक हो जाएगा। खास बात रहेगी कि इस सीट पर कांग्रेस बीजेपी के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल को हिंदुत्‍व कार्ड खेलकर परास्‍त करने की कोशिश करेगी।

रायपुर दक्षिण से क्‍यों आया महंत का नाम, जानें इसके कारण

1. महंत रामसुंदर दास रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में स्थित दूधाधारी मठ के महंत हैं। इस मठ का इस क्षेत्र पर खासा प्रभाव है। मठ ने हजारों लोगों को बसने के लिए जमीन दी है, वहीं मठ ने अंतर्राज्‍यीय बस अड्डे के लिए 118 एकड़ जमीन भी दान में दी है, महंत का राजनीतिक क्षेत्र जांजगीर-चांपा जरूर रहा है लेकिन आध्‍यात्‍मिक क्षेत्र रायपुर दक्षिण है। इस क्षेत्र के अलावा प्रदेश भर से अनुयायी उनसे यहीं आकर मुलाकात करते हैं।

2. रायपुर में बड़ी आबादी ब्राह्मण वोटर्स की हैं जिनके बीच महंत रामसुंदर दास की क्षवि साफ सुथरी और सकारात्‍मक है, उनके चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस के लिए ब्राह्मण वोटों का ध्रुवीकरण होगा।

3. 2021 में रायपुर में हुई धर्म संसद में राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के खिलाफ बोलने वाले महंत कालीचरण को उन्‍होंने चुप करा दिया था। तभी से रायपुर में खासे चर्चित रहे।

4. महंत रामसुंदर दास मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी है, ज्‍यादातर कार्यक्रमों में नजर आते हैं। कांग्रेस हिंदुत्‍व का एजेंडा लेकर चल रही है। अब उन्हे चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा हिंदूवादी चेहरा बनाकर पेश किया जा सकता है।

रायपुर पश्चिम सीट पर दो दिग्‍गजों के बीच मुकाबला

रायपुर पश्चिम सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्‍याय का नाम तय माना जा रहा। उनके मुकाबले में बीजेपी से पूर्व मंत्री राजेश मूणत फिर मैदान में हैं। विकास उपाध्‍याय ने पहली बार इसी सीट से 2013 में ताल ठोंकी थी। इस चुनाव में विकास उपाध्याय ने मूणत को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन उन्हे जीत नहीं मिली, इस चुनाव में राजेश मूणत ने 6 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। हार के बावजूद विकास उपाध्याय क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। विकास उपाध्याय जनता की मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे। यहीं वजह रही कि विधानसभा चुनाव 2018 में जनता ने विकास उपाध्याय को अपना प्रतिनिधि चुना।अब इस 2023 के चुनाव में फिर दोनों आमने- सामने हैं।

रायपुर पश्चिम में नहीं चलता जातिगत समीकरण

रायपुर पश्चिम में सा‍हू समाज की बहुलता हैं लेकिन राज्‍य बनने के बाद से आज तक इस समाज का उम्‍मीदवार मैदान में नहीं उतरा, मारवाड़ी समाज के राजेश मूणत बीजेपी की टिकट पर लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में विधायक चुने गए और मंत्री भी बने। 2018 में ब्राह्मण चेहरे विकास उपाध्‍याय ने जीत हासिल कर अपना लोहा मनवाया। इस बार भी मुकाबला मारवाड़ी बनाम ब्राह्मण होने की उम्‍मीद है।

दो बार से कांग्रेस जीत रही रायपुर ग्रामीण

कांग्रेस से पूर्व मंत्री एवं विधायक सत्‍यनारायण शर्मा के बेटे पंकज शर्मा का नाम रायपुर ग्रामीण से तय माना जा रहा हैं। राज्‍य बनने के बाद इसका बड़ा हिस्‍सा मंदिर हसौद विधानसभा के अंतर्गत आता था, लेकिन 2004 में हुए परिसीमन के बाद मंदिर हसौद विस क्षेत्र को विलोपित कर दिया गया और रायपुर की 4 विधानसभा सीटें बन गई। रायपुर ग्रामीण विधानसभा परिसीमन के बाद साल 2008 में यहां पहली बार बीजेपी को जीत हासिल हुई। इस सीट से बीजेपी के नंदे साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण शर्मा को हराया था। वहीं 2013 फिर चुनावी मैदान में सत्यनारायण शर्मा और बीजेपी के नंदे साहू का आमना सामना हुआ और शर्मा यह चुनाव जीत विधानसभा पहुंचे। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी सत्यनारायण शर्मा ने अपनी जीत को बरकरार रखते हुए नंदे साहू को फिर हराया। साहू समाज बाहुल्य इस सीट पर बीजेपी लगातार साहू समाज पर दांव लगाती रही है। इस बार भी में बीजेपी ने साहू समाज के राष्‍ट्रीय नेता मोतीलाल साहू को टिकट दि‍या है, साहू पिछली बार पाटन से भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके।

रायपुर उत्‍तर में फंसा पेंच

रायपुर उत्तर सीट के परिसीमन के बाद से ही बीजेपी और कांग्रेस प्रत्‍याशी अल्‍टरनेट पैटर्न पर जीतते आ रहे हैं। परिसीमन के बाद 2008 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष रहे कुलदीप जुनेजा को टिकट दिया गया था। वहीं बीजेपी ने चेंबर ऑफ कामर्स के अध्‍यक्ष श्रीचंद सुंदरानी को प्रत्याशी बनाया था। जिसके बाद इस सीट पर कांग्रेस के जुनेजा ने जीत दर्ज की, लेकिन 2013 में श्रीचंद सुंदरानी ने कुलदीप जुनेजा को हराकर विजय हासिल की। 2018 में फिर से यही प्रत्‍याशी मैदान में थे और कुलदीप जुनेजा के सर जीत का सेहरा बंधा। इस बार बीजेपी ने श्रीचंद सुंदरानी का टिकट काट कर ओडिया समाज के पुरंदर मिश्रा को टिकट दे दिया है, वहीं कांग्रेस से कुलदीप को टिकट दिए जाने को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। बताया जा रहा है कि जुनेजा की जगह कांग्रेस चिकित्‍सा प्रकोष्‍ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्‍ता को टिकट दिया जा सकता है। हालांकि डॉ, गुप्‍ता को विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है, लेकिन वे सीएम के दो सलाहकारों के भी करीबी माने जाते है। ऐसे में कुलदीप जुनेजा का टिकट खतरे में है।

क्‍या कहते हैं राजनीतिक जानकार

छत्तीसगढ़ के वरिष्‍ठ पत्रकार एवं राजनीति के विश्‍लेषक रामअवतार तिवारी का मानना है कि कांग्रेस के लिए महंत रामसुंदर दास हिंदुत्‍व का बड़ा चेहरा साबित हो सकते हैं। हालांकि उन्होने दक्षिण से टिकट नहीं मांगा था, लेकिन बृजमोहन अग्रवाल जैसे प्रभावशाली बीजेपी नेता को पराजित करने के लिहाज से देखा जाए तो सबसे मजबूत उम्‍मीदवार महंत ही माने जा सकते हैं। इसकी बड़ी वजह दूधाधारी मठ का इस क्षेत्र में बड़े प्रभाव का होना है। महंत रामसुंदर दास यहां के महंत हैं और उनका यहां की जनता के साथ संबंध सहृदयता का रहा है। बड़ी आबादी मठ की हजार एकड़ जमीन पर निवास कर रही हैं, वहीं सरकार की ओर से जमीन मांगने पर उदार मन से उन्‍होंने अंतर्राज्‍जीय बस अड्डे के लिए दान में दे दी। ब्राह्मण बहुलता के कारण इस समाज के वोट का भी ध्रुवीकरण बृजमोहन के लिए मुसीबतें खड़ी करेगा। रायपुर पश्चिम से विकास उपाध्‍याय और ग्रामीण से सत्‍यनारायण शर्मा के बेटे पंकज शर्मा का नाम फाइनल माना जा रहा है। वहीं उत्‍तर में विधायक कुलदीप जुनेजा और डॉ. राकेश गुप्‍ता के बीच पेंच फंसा है।

Raipur News रायपुर न्यूज Chhattisgarh Congress छत्तीसगढ़ कांग्रेस Chhattisgarh Assembly Elections 2023 Raipur South Assembly seat रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट Brahmin face Mahant Ramsundar Das Hindutva card of Congress छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव2023 ब्राह्मण चेहरा महंत रामसुंदर दास कांग्रेस का हिंदुत्‍व कार्ड