BHOPAL. चुनावी सरगर्मियां तेज हों तो गुलाबी सर्दियों में भी गर्मी का अहसास होता है। इस गुनगुनी धूप में चुनावी तापमान को महसूस करने द सूत्र के मैनेजिंग एडिटर हरीश दिवेकर भी पहुंच गए हैं, ऐसे ही क्षेत्र में जहां चुनावी गर्मी सबसे ज्यादा है, ये सियासत का वो अंचल है जिसने पिछले चुनाव में पूरी सत्ता के समीकरण हिला कर रख दिए थे और इस बार इस अंचल में जो उठा पटक जारी है उसका असर विधानसभा ही नहीं लोकसभा चुनाव तक पड़ सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी के दौरे के साथ प्रदेश में बीजेपी का प्रचार अभियान पुरजोर तरीके से जारी है। पीएम मोदी कभी एमपी, कभी छत्तीसगढ़ और कभी राजस्थान में दौरे कर रहे हैं। और, साथ में हर जगह की सियासत में कुछ नए रंग नजर आ रहे हैं।
इत्तेफाक कहें या टाइमिंग का खेल इसी बीच में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल महादेव एप मामले में उलझते हैं और कांकेर में रह कर पीएम भ्रष्टाचार और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हैं। इसके बाद घड़ी का कांटा फिर घूमता है टाइमिंग बदलती है भ्रष्टाचार के आरोप लग जाते हैं खुद बीजेपी पर, पीएम मोदी के खासमखास, सबसे भरोसेमंद और यूं कहें कि पीएम के राइट हैंड और हम नाम नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे का एक वीडियो लीक होता है और निशाना बीजेपी की ओर घूम जाता है। इस वीडियो के लीक होने के बाद से बीजेपी में सन्नाटा है, जिसके लंबा खिंचने के भी आसार हैं।
केंद्रीय मंत्री के बेटे का कथित वीडियो वायरल
तीन राज्यों का चुनाव प्रचार करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी पूरा दम भर रहे हैं कि वो भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर कोई नजरेइनायत नहीं करेंगे। उनकी हुंकार के बीच छत्तीसगढ़ के सीएम भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरते हैं तो ईडी के छापे राजस्थान में भी पड़ना शुरु हो जाते हैं, इन सारे घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह का एक वीडियो वायरल होता है। जिसमें करोड़ों रुपये के लेनदेन की बात होती है।
मामले में कांग्रेस के नेता फिलहाल चुप
वीडियो में करोड़ों के लेन देन की बात होने के बाद से मुद्दा गर्मा रहा है, हालांकि कांग्रेस के आला नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन प्रदेश से जुड़े नेता बुरी तरह हमलावर हैं, कांग्रेस ने अलग-अलग अंदाज में बीजेपी को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह भी दी और मुद्दे की तरफ ध्यान भी लेकर गए। इस मामले पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी ट्वीट किया। हालांकि खबर लिखे जाने तक अपनी किसी सभा में प्रियंका गांधी या राहुल गांधी इस ओर ध्यान नहीं खींचा।
ग्वालियर चंबल में गर्माया मामला
नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह के भ्रष्टाचार के आरोप में फंसने का मामला ग्वालियर चंबल में ही गर्माया है। इसी अंचल में माई का लाल वाला बयान देकर सीएम शिवराज सिंह चौहान पिछले चुनाव में सत्ता गंवा बैठे थे। एक बार फिर यही अंचल चुनावी फोकस में है। अंचल की सियासत से भी ज्यादा सवाल नरेंद्र सिंह तोमर पर हैं, जिनकी वजह से चुनाव का एंटी करप्शन रथ सवालों के घेरे में आ गया है। अब नरेंद्र सिंह तोमर पर बीजेपी क्या एक्शन लेगी, फिलहाल एक्शन लेगी या शांति से उनका कद घटा दिया जाएगा।
कर्नाटक की हार की बाद अलर्ट पर बीजेपी
नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह का वीडियो ऐसे समय वायरल हुआ है जब मध्यप्रदेश में चुनाव तो पूरे शबाब पर हैं ही बीजेपी जोरदार तरीके से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा भी रही है, इसी मुद्दे के चलते बीजेपी को कर्नाटक की सरकार गंवानी पड़ी। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस ने कर्नाटक वाला पैंतरा आजमाते हुए कमिश्नखोरी का आरोप लगाना शुरु कर दिया था, लेकिन कांग्रेस इस पर ज्यादा मुखर हो सके उससे पहले ही बीजेपी ने करप्शननाथ, मिस्टर बंटाधार के जुमले उछालना शुरू किए और दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के मामले पर कांग्रेस को घेरना शुरु कर दिया।
सब कुछ सिलेसिलेवार तरीके से आगे बढ़ रहा था। इधर भ्रष्टाचार के मामले गर्मा रहे थे उधर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल महादेव एप मामले में उलझ रहे थे। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेसी इस बात के लिए खुद को मजबूत कर रहे थे कि ईडी की आमद कभी भी हो सकती है, लेकिन उससे पहले ये वीडियो सामने आ गया। ऐन वक्त पर आया ये वीडियो क्या चुनावी फिजा को फिर बीजेपी के खिलाफ कर सकता है।
चुनाव पर असर डाल सकता है यह मामला
वैसे तो नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे ने वीडियो के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है, लेकिन मौजूदा चुनाव पर इसका इंपेक्ट तो पड़ ही सकता है। लोकसभा चुनाव तक इमेज डैमेज हो सकती है। क्योंकि, नरेंद्र सिंह तोमर पार्टी के कद्दावर नेता, विश्वासपात्र मंत्री होने के साथ ही महती जिम्मेदारी के साथ प्रदेश भेजे गए। इस वीडियो के लीक होने के बाद मोदी सरकार और पार्टी में उनका कद घटेगा या फिर बीजेपी बिना बोले उन्हें धीरे धीरे, अंदरूनी तौर पर परे करती जाएगी। हालांकि इससे पहले भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे बीजेपी नेताओं का रिकॉर्ड तो कुछ और ही इशारा करता है।
इन नेताओं पर बरसी कृपा
येदियुरप्पा : कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा भूमि और खनन घोटाले के आरोपी हैं। उनके यहां से बरामद डायरियों में शीर्ष बीजेपी नेताओं, जजों और वकीलों को भारी रकम के भुगतान का जिक्र होने के बाद भी उनका कद बढ़ा।
बेल्लारी के रेड्डी बंधु : बेल्लारी बंधुओं पर 16 हजार 500 करोड़ के खनन घोटाले का आरोप था। 2018 के चुनाव से पहले कर्नाटक में सीबीआई ने तेजी से इस मामले पर काम खत्म किया।
हिमंता बिस्वा शर्मा: असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा जब कांग्रेस पार्टी में होते थे तब वे जलापूर्ति घोटाले के मुख्य आरोपी थे। उनके बीजेपी में शामिल होने और असम में मुख्यमंत्री बनने के बाद अब उनके खिलाफ जांच को धीमा कर दिया गया और बीजेपी भी सीबीआई जांच की मांग करना भूल चुकी है।
शिवराज सिंह चौहान: सीबीआई ने 2017 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को व्यापम घोटाले में क्लीन चिट दे दी थी।
मुकुल रॉय: पश्चिम बंगाल में अपने संगठनात्मक ढांचे के विस्तार की खातिर बीजेपी ने घोटाले के दागी तृणमूल नेता मुकुल रॉय को अपना लिया। रॉय उस समय बीजेपी में शामिल हुए, जब एक स्थानीय चैनल की गुप्त रिकार्डिंग (नारद स्टिंग) में उन्हें और अन्य कई वरिष्ठ तृणमूल नेताओं को रिश्वत लेते दिखाए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ की थी।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’: रमेश पोखरियाल भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह दो बड़े घोटालों के केंद्र में थे, एक भूमि से संबंधित और दूसरा पनबिजली परियोजनाओं से जुड़े।
नारायण राणे: बीजेपी ने गत वर्ष महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को पार्टी में शामिल कर उन्हें राज्यसभा का सांसद बना दिया। राणे पर धनशोधन और भूमि घोटालों के आरोप हैं।
इनके केस को देखकर लगता है कि नरेंद्र सिंह तोमर के कद पर संभवतः कोई खास असर न पड़े, लेकिन जो विश्वास मोदी और शाह को तोमर पर था वो जरूर डिग सकता है। क्योंकि इस वीडियो का असर लोकसभा चुनाव तक जा सकता है। इधर एक केंद्रीय मंत्री पर आंच आई तो दूसरे केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने उस पर बचाव किया। उनके अलावा फिलहाल बीजेपी से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ग्वालियर चंबल में बीजेपी पहले से ही कई मुश्किलें झेल रही हैं। यहां नई और पुरानी बीजेपी के नाम से कार्यकर्ता आमने-सामने हैं तो दिग्गज भी कम नहीं है। बीजेपी इन सभी को साध कर अंचल को कसने की कोशिश में जुटी है, लेकिन हर कोशिश के बीच कोई समस्या खड़ी हो जाती है, ये वीडियो भी ऐसी ही समस्या बनकर सामने आया है। जिसका तोड़ तलाशने में हो सकता है एमपी का पूरा चुनावी सीजन खत्म ही हो जाए।