GWALIOR. ग्वालियर में PHE घोटाले मामले में क्राइम ब्रांच ने 50 दिन की जांच के बाद 74 लोगों पर FIR दर्ज की है। नगर निगम की PHE शाखा में 5 साल के दौरान 71 खातों में करीब 18 करोड़ रुपए का भुगतान फर्जी तरीके से हुआ था। घोटाला पकड़ में आने के बाद 27 जुलाई को PHE विभाग ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में उस समय के 7 अफसरों को भी आरोपी बनाया है।
कुल 81 खातों में गलत भुगतान हुआ है
नगर निगम के PHE घोटाले में जांच के दौरान नए खुलासे हो रहे थे। जांच में कुल 18 करोड़ 92 लाख रुपए का गलत खातों में भुगतान होने का खुलासा हुआ है। इसके बाद कलेक्टर की मंजूरी मिलते ही गुरुवार रात कोषालय के वरिष्ठ अफसरों के दखल पर FIR दर्ज कराई गई। कुल 81 खातों में गलत भुगतान हुआ है, इनके खातेदारों की संख्या 65 है। मुख्यालय ने 71 खातों में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 853 रुपए की गड़बड़ी पकड़ते हुए जांच के निर्देश दिए थे।
जांच के बाद 7 कार्यपालन यंत्री को आरोपी बनाया
जांच रिपोर्ट में 2 अगस्त 2018 से लेकर जांच होने तक 7 कार्यपालन यंत्री तैनात थे, इन सभी को आरोपी बनाया गया है। इन कार्यपालन यात्रियों में आरएन करहिया, अनूप चौधरी, वीके छारी, जागेश श्रीवास्तव, एमके उमरैया, राकेश राहोरा, संजय सिंह सोलंकी का नाम शामिल है। इसके अलावा कर्मचारी अशोक कचौरिया और हीरालाल के साथ 65 अन्य खातेदारों के नाम भी FIR में शामिल किए गए हैं।
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क्राइम ब्रांच की जांच में कई सबूत मिले हैं
पीएचई विभाग में घोटाले को लेकर ग्वालियर क्राइम ब्रांच की जांच में कुछ और सबूत मिले हैं। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि घोटाला राजकोष विभाग के सॉफ्टवेयर में टेक्निकल फॉल्ट की वजह से हुआ। इस घोटाले में मृत पीएचई कर्मचारियों के रिकॉर्ड में हेरफेर करके संदिग्ध आरोपी उनके नाम पर अवैध रूप से वेतन और भत्ते लेते रहे। धोखाधड़ी तब सामने आई, जब निकाली गई धनराशि को 71 बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया। इस खुलासे ने विभाग के भीतर कर्मचारी-अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्राइम ब्रांच फिलहाल फर्जी अटेंडेंस और ड्यूटी लॉग की जांच कर रही है। इन्हीं में हेरफेर करके मृत कर्मचारियों के रिकॉर्ड से छेड़खानी की गई।
16 अकाउंट होल्डर्स ने लौटा चुके हैं रुपए
जांच में शामिल एक अधिकारी ने कहा, "हम पिछले पांच वर्षों में मरने वाले कर्मचारियों की संख्या निर्धारित करने के लिए डेटा एकत्र कर रहे हैं।" सूत्रों का कहना है कि घोटाले के फाइनेंशियल नेटवर्क का पता लगाने के लिए ट्रेजरी ऑफिस के कुछ कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि पेमेंट रिसीव करने वाले सोलह खाताधारकों ने स्वेच्छा से बैंक को 2.63 करोड़ रुपए लौटा चुके हैं। भोपाल से आई पांच सदस्यीय टीम ने जांच को आगे बढ़ाने के लिए सभी दस्तावेज सुरक्षित कर लिए हैं।