दिग्विजय का दावा- कमलनाथ ईमानदारी के साथ करना चाहते थे अखिलेश की पार्टी से गठजोड़, लेकिन बातचीत कैसे पटरी से उतर गई?

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Pratibha Rana
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दिग्विजय का दावा- कमलनाथ ईमानदारी के साथ करना चाहते थे अखिलेश की पार्टी से गठजोड़, लेकिन बातचीत कैसे पटरी से उतर गई?

Bhopal/Lucknow. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच घमासान नहीं थम रहा है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के इन दोनों घटक दल के बीच जुबानी जंग पर विपक्षी गठबंधन पर सवाल उठाने लगे हैं। इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बड़ा दावा कर सियासी खेमे में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ पूरी ईमानदारी के साथ गठजोड़ करना चाहते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता कि इस मुद्दे को लेकर बातचीत कैसे पटरी से उतर गई।

कमलनाथ के शब्दों के चयन पर जताई असहमति

दिग्विजय ने अखिलेश यादव के नेतृत्व के गुणों के लिए प्रशंसा की और कमलनाथ द्वारा उनके लिए शब्दों के चयन पर असहमति भी जताई। उन्होंने कहा, कमलनाथ को सपा के लिए चार विधानसभा सीटें छोड़ने का सुझाव दिया था, जबकि सपा आधा दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी। भोपाल में मीडिया से चर्चा में उन्होंने कांग्रेस और सपा के बीच सीटों की लड़ाई को कम करने की कोशिश की। यह लड़ाई कांग्रेस द्वारा I.N.D.I.A. गठबंधन के घटक होने के बावजूद सपा को कोई विधानसभा सीट आवंटित नहीं करने के बाद छिड़ गई है।

गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना झगड़े...

कांग्रेस नेता ने कहा, यह ठीक है कि गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना झगड़े होते रहते हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि सपा और अखिलेश कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। पिछले हफ्ते कमलनाथ ने कथित तौर पर कहा था, "छोड़िए अखिलेश वखिलेश।" दिग्विजय ने कमलनाथ द्वारा अखिलेश यादव की आलोचना को नामंजूर कर दिया। दिग्विजय ने कहा, मुझे नहीं पता कि कमलनाथ ने ऐसा कैसे कहा। ऐसी प्रतिक्रियाओं से बचना चाहिए।

सपा से गठबंधन को लेकर कांग्रेस के भीतर हुई थी चर्चा

दिग्विजय ने कहा, 230 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए सपा के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस के भीतर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, कमलनाथ ने दीप नारायण यादव के नेतृत्व वाले सपा नेताओं के साथ चर्चा के लिए कांग्रेस नेता अशोक सिंह को मेरे पास भेजा था। भोपाल में मेरे निवास पर हमारी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि 2018 के चुनाव में सपा एक सीट बिजावर बुंदेलखंड क्षेत्र में जीती थी और दो अन्य सीटों पर वह दूसरे स्थान पर थी। सपा छह सीटें चाहती थी और मैंने कमलनाथ को सपा के लिए चार सीटें छोड़ने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि बाद में मामला कांग्रेस कार्य समिति और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के पास गया, लेकिन उन्होंने सपा के साथ गठबंधन का मुद्दा राज्य नेतृत्व पर छोड़ दिया।

दावा : I.N.D.I.A. गठबंधन लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगा

दिग्विजय ने दावा कर कहा, I.N.D.I.A. गठबंधन अगला लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगा, लेकिन साथ ही कहा कि राज्यों के चुनाव से जुड़े मुद्दे अलग होते हैं। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि मध्य प्रदेश में गठबंधन की बात कहां पटरी से उतर गई, लेकिन जहां तक कमलनाथ का सवाल है तो मैं कह सकता हूं कि वह पूरी ईमानदारी के साथ सपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे।

सपा ने 40 से अधिक सीटों पर उतारे प्रत्याशी

सपा ने मध्य प्रदेश में 40 अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। कांग्रेस नेता ने सपा संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुलायम सिंह यादव के साथ अपने मजबूत संबंधों को याद किया। जब दिग्विजय सिंह को बताया गया कि लखनऊ में भावी प्रधानमंत्री के रूप में अखिलेश यादव के पोस्टर लगे हैं, तो उन्होंने इस मामले से अनभिज्ञता जाहिर की।

अखिलेश का बढ़ेगा कांफिडेंस या ठीकरा फोड़ेगी कांग्रेस?

मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव कांग्रेस सपा के रिश्तों की दिशा तय कर सकता है। इस चुनाव के नतीजे अगर कांग्रेस की उम्मीदों से जरा भी प्रतिकूल आए तो उसे इसका इसका ठीकरा सपा पर फोड़ने का मौका मिलेगा। यही नहीं इसका असर लोकसभा चुनाव के लिए बने ‘इंडिया’ गठबंधन की संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। इससे दोनों दल के रिश्तों में बदलाव आ सकता है। यही नहीं, अगर कांग्रेस मध्य प्रदेश में जीत हासिल करती है तो उसका पक्ष सही साबित होगा, पर इसके उलट भी संभावना बनती है। पिछली बार सपा एक सीट जीती थी अब यह संख्या बढ़ती है तो सपा भी आत्मविश्वास में दिखेगी। महज छह सीटों को लेकर शुरू हुआ विवाद किस मोड़ पर आगे पहुंचेगा इसका अंदाजा अगले महीने लग जाएगा।

मध्य प्रदेश में सपा का कोई बड़ा जनाधार नहीं

इस तरह लोकसभा चुनाव गठबंधन से पहले मध्य प्रदेश के चुनावी नतीजों का सबको इंतजार रहेगा। कांग्रेस से अलग जाकर समाजवादी पार्टी ने अब तक वहां 41 प्रत्याशी उतार दिए हैं और यह संख्या 50 से ज्यादा जा सकती है। हालांकि कांग्रेस यह भी कहती रही है कि मध्य प्रदेश में सपा का कोई बड़ा जनाधार नहीं है लेकिन इतनी सीटों पर प्रत्याशी उतारने से सपा कितना वोट काट सकती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। वैसे सपा ने वहां अपने जनाधार वाली सीटों पर पुराने लोगों को टिकट दिया है।

त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो...

सपा बेहतर प्रदर्शन करने की सूरत में आक्रामक तेवर दिखा सकती है। अखिलेश यादव कांग्रेस व सपा के बीच हालिया विवाद से नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। वैसे दोनों दल फिलहाल शांत हो गए हैं लेकिन नतीजों के आने के बाद यह रिश्ते किस दिशा व दशा में पहुंचेंगे, इसका अंदाजा मौजूदा दिखाए गए तेवर से भी लग सकता है। हालांकि मध्य प्रदेश में बात तो कांग्रेस सपा के बीच फ्रैंडली फाइट की हो रही है लेकिन जब त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो कई छोटे दल बड़े दलों को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में जरूर होंगे।

अखिलेश के साथ आए मध्यप्रदेश के मिर्ची बाबा

सपा प्रमुख से मध्य प्रदेश के मिर्ची बाबा उर्फ राकेश दुबे ने सोमवार (23 अक्टूबर) को लखनऊ में मुलाकात की। अखिलेश ने मिर्ची बाबा को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में एक विशेष सीट से चुनाव लड़ने के लिए शुभकामनाएं भी दीं। विवादों में रहे मिर्ची बाबा हाल तक कांग्रेस के साथ रहे हैं।

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