छत्तीसगढ़ में दिल्ली के आदेश के बिना बीजेपी में पत्ता भी नहीं हिलेगा, वरिष्ठ नेताओं को भी किया गया दरकिनार

author-image
Sushil Trivedi
एडिट
New Update
छत्तीसगढ़ में दिल्ली के आदेश के बिना बीजेपी में पत्ता भी नहीं हिलेगा, वरिष्ठ नेताओं को भी किया गया दरकिनार

RAIPUR. यूं तो बीजेपी के लिए सभी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण हैं, किंतु छत्तीसगढ़ उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कारण साफ है, बीजेपी मानती है कि भूपेश बघेल की सरकार से कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक शक्ति और साधन मिल रहे हैं, इसलिए छत्तीसगढ़ में बीजेपी चुनाव जीतने के लिए हरसंभव उपाय करेगी और वह कर भी रही है। शायद इसलिए विधानसभा के चुनाव में प्रचार के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री लगातार छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं और अन्य केन्द्रीय मंत्री प्रतिदिन यहां ताबड़तोड़ सभाएं ले रहे हैं।

छत्तीसगढ़ बीजेपी के वरिष्ठ नेता दरकिनार

राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेताओं को दिन-प्रतिदिन की सक्रिय गतिविधियों से दरकिनार कर दिया गया है। प्रचार कार्यक्रम, आम सभा आयोजन से लेकर शीर्ष संगठन बैठकों के संबंध में सबकुछ दिल्ली के आदेश पर ही होता है। बहरहाल, इधर एकाएक हुई एक राजनीतिक घटना ने राज्य के बीजेपी नेताओं को एक और निराशाजनक संदेश दे दिया है।

सांसदों को टिकट

बीजेपी हाईकमान ने मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए कुछ उम्मीदवारों की घोषणा की और 7 सांसदों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया। इनमें से 3 तो केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। बीजेपी के एक महाबली महासचिव को भी चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है। छत्तीसगढ़ की बीजेपी की पहली सूची में एक सांसद विजय बघेल को पाटन से टिकट दिया गया है। अब मध्यप्रदेश के अनुगमन में बीजेपी के नेता अनुमान लगा रहे हैं कि उसके प्रदेश अध्यक्ष जो बिलासपुर से सांसद हैं, को भी विधानसभा चुनाव में उतारा जाएगा। फिर बारी आ सकती है केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह और सांसदगण सरोज पाण्डे, संतोमा पाण्डे, गोमती साय और सुनील सोनी की और अब यह साफ है कि केवल हाईकमान की मर्जी से टिकट दिए जाएंगे।

चुनाव परिणाम को लेकर पूरे विश्वास से दावा नहीं करते बीजेपी नेता

बीजेपी के राज्य नेता चुनाव परिणाम को लेकर पूरे विश्वास से कोई दावा नहीं करते। इधर बीजेपी ने दंतेवाड़ा और जशपुर से 2 परिवर्तन यात्राएं निकालीं, जिनमें प्रतिदिन केन्द्रीय मंत्री और अन्य राज्यों के वरिष्ठ नेता शामिल होते रहे। इन यात्राओं में कुछ भागीदारी राज्य के नेताओं की भी रही। वे इन यात्राओं के प्रति जनता की प्रतिक्रिया से राज्य के नेता कुछ उत्साहित नजर आते हैं, लेकिन बीजेपी के सामने आज भी सबसे बड़ा प्रश्न वही है कि किसान साथ देंगे या नहीं। भूपेश सरकार किसानों से 2600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का वादा कर चुकी है और किसान इस वादे पर भरोसा भी कर रहे हैं। बीजेपी इस संबंध में किसानों को आश्वस्त करने की स्थिति में नहीं है।

बीजेपी का प्रचार अभियान नकारात्मकता पर आधारित

अभी तो बीजेपी का प्रचार अभियान 'नकारात्मकता' पर आधारित है। फिर वह मामला कांग्रेस के घोषणा पत्र के अधूरे वादों को लेकर हो, राज्य में चल रहे विकास कार्यक्रमों का अधूरापन हो या फिर केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई को लेकर हो। सभी बातों में सरकार की असफलता पर बीजेपी अभियान केन्द्रित है। इससे भी बड़ी बात यह है कि बीजेपी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार को कहीं ज्यादा लक्ष्य कर रही है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है उसके द्वारा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की सभाएं रणनीतिक रूप से कराई जा रही हैं। इन सभाओं में राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को एकत्र कर चेक या अन्य साधन वितरित किए जा रहे हैं। इससे भी बढ़कर बात यह है कि भूपेश बघेल और उनके मंत्रिमण्डल के साथी प्रतिदिन विभिन्न स्थानों पर सभाओं में सैकड़ों करोड़ों रुपए के निर्माण कार्यों और कल्याण कार्यक्रमों का लोकार्पण कर रहे हैं और हर दिन प्रमुख टेलीविजन चैनल से लेकर स्थानीय चैनल पर लंबे-लंबे विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। राज्य के सभी समाचार पत्र प्रतिदिन सरकार के प्रचार विज्ञापनों से भरे रहते हैं। इधर बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी सक्रियता बढ़ा दी है।

कांग्रेस की चुनावी तैयारियां

कांग्रेस, बीजेपी संगठन की शैली पर अपने राज्य स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रही है। चुनाव की दृष्टि से बूथ स्तर पर कांग्रेस अपने संगठन को तैनात कर रही है। यह पहली बार है कि जब कांग्रेस संगठन राज्य, संभाग, जिला, विधानसभा क्षेत्र और ब्लॉक स्तर तक अपने संचार अभियान को संचालित कर चुनाव प्रचार पर ध्यान दे रही है। इन प्रशिक्षणों और बड़ी सभाओं के द्वारा कांग्रेस ने इस चुनाव में 2 विमर्श बड़े जोर-शोर से स्थापित कर दिए हैं। पहला है जनगणना कराकर ओबीसी के लिए आरक्षण देने के संबंध में और दूसरा है महिलाओं को आरक्षण देने के संबंध में। हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा पारित महिला आरक्षण विधेयक का नैतिक समर्थन करने के बावजूद उसके लागू करने की प्रणाली की आलोचना इसी विमर्श का अंग है। इस सिलसिले में कांग्रेस की तैयारी है कि राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 20 पर महिला प्रत्याशी खड़े किए जाएं। अब कांग्रेस का यह दांव बीजेपी और राज्य के अन्य क्षेत्रीय दलों के लिए एक चुनौती बन सकता है।

कांग्रेस ने अब तक नहीं बांटे टिकट

कांग्रेस को यह आभास है कि उसे बस्तर और सरगुजा संभागों में पिछले चुनाव के मुकाबले हानि हो सकती है और बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग संभागों में भी कड़ा मुकाबला करना होगा। कांग्रेस ने अभी तक टिकट बांटने का काम शुरू नहीं किया है। यह खबर है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने अपने अलग-अलग सर्वे कराएं हैं। इन सर्वे के संकेतों और अपने समर्थकों को आगे करने के लिए नेताओं ने अलग-अलग सूची बनाई है। अब इस सूचियों के बीच कांग्रेस हाई कमान कैसे समन्वय करेगा, यह अनुमान की बात है।

कांग्रेस का असमंजस बढ़ा

ईडी और सीबीआई की कोई नई राजनीतिक कार्रवाई सामने नहीं आई है, लेकिन ईडी ने भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस के 2 विधायकों को अदालत में खड़ा कर दिया है। एक आशंका यह भी है कि चुनाव की आधिकारिक घोषणा के पहले छत्तीसगढ़ के कुछ और अधिकारियों को ईडी अपने शिकंजे में ले सकती है। इससे कांग्रेस का असमंजस बढ़ गया है। जहां तक अन्य दलों का सवाल है, एक उल्लेखनीय घटना के रूप में बहुजन समाज पार्टी ने अपना पुराना निर्णय बदलकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का नया निर्णय लिया है। अब देखना होगा कि इनके बीच कुल 90 टिकट कैसे बंटेगी क्योंकि दोनों ही पार्टियां एक ही संभाग में सक्रिय है। उधर सर्व आदिवासी समाज ने अपने लिए एक राजनीतिक दल का पंजीकरण करा लिया है और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह बीजेपी के समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनाव मैदान में उतरेगा। आम आदमी पार्टी भी अपनी गतिविधियों को ग्रामीण क्षेत्र में तेज कर रही है। अंत में हम पाते हैं कि 10 बिन्दुओं के चुनावी स्केल पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 5.20 और बीजेपी 4.80 पर हैं।

Chhattisgarh BJP छत्तीसगढ़ बीजेपी Chhattisgarh Congress छत्तीसगढ़ कांग्रेस Chhattisgarh Assembly Elections BJP high command छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव senior BJP leaders sidelined बीजेपी हाईकमान बीजेपी के वरिष्ठ नेता दरकिनार