BHOPAL. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भोपाल के पीपुल्स ग्रुप की 230.4 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। ED ने इसकी जानकारी गुरुवार को X पोस्ट पर शेयर की है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत केस में कार्रवाई करते हुए ED ने पीपुल्स कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर, पीपुल्स यूनिवर्सिटी, पीपुल्स इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की जमीन, पेपर मिल, बिल्डिंग और मशीनरी को अटैच किया है। इसके अलावा ग्रुप के होटल राजा भोज को भी अटैच किया है।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, ग्वालियर की शिकायत पर एक्शन
प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, ग्वालियर ने जांच के लिए तीन शिकायत की थीं। ये शिकायतें सुरेश विजयवर्गीय (एसएन विजयवर्गीय), रामविलास विजयवर्गीय (दिवंगत) और पीपुल्स इंटरनेशनल और सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, पीजीएस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड की थीं। जांच के बाद कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 447 के तहत केस दर्ज किया गया था
10 साल पहले ग्रुप की 3 कंपनियों में 494 करोड़ का विदेशी निवेश
जांच रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स ग्रुप की तीन कंपनियों में 494 करोड़ रुपए का निवेश फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) के मार्फत हुआ था। यह फंड ग्रुप की कंपनी पीपुल्स इंटरनेशनल एंड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, पीजीएस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के खातों में साल 2000 से 2011 के बीच आया था। ईडी की जांच में पता चला है कि ग्रुप के संचालक एसएन विजयवर्गीय ने FDI के जरिए मोटा मुनाफा कमाया है।
ग्रुप ने 594.65 करोड़ की इनकम गलत तरीके से अर्जित की
जांच में पता चला कि साल 2000-2011 के दौरान पीपुल्स ग्रुप को ब्याज और अन्य माध्यमों से भी लाभ प्राप्त हुआ था। जानकारी के अनुसार साल 2000 से 2022 तक एसएन विजयवर्गीय ने कंपनियों के जरिए 594.65 करोड़ की इनकम गलत तरीके से अर्जित की है। इस इनकम के उपयोग के लिए सार्वजनिक न्यास (SJPN नाम का ट्रस्ट) बनाया गया है। इसके ट्रस्टी खुद एसएन विजयवर्गीय हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि पीजी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के संपत्ति खरीदी और संपत्ति निर्माण संबंधी 99% शेयर एसएन विजयवर्गीय के पास हैं।
सितंबर में ED की हुई थी रेड
प्रवर्तन निदेशालय ने सितंबर में ग्रुप पर छापा मारा था। इस दौरान प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था। ग्वालियर स्थित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने शिकायत की थी कि पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल प्रालि., पीपुल्स इंटरनेशनल एंड सर्विसेस प्रालि. और पीजीएच इंटरनेशनल प्रालि. के निदेशकों ने पद का दुरुपयोग किया है।
रेड में 8 लाख नकद जब्त किए थे
इन्होंने शून्य या बहुत कम ब्याज दर पर संबंधितों को 250 करोड़ से अधिक के कर्ज बांटे हैं। इससे शेयर होल्डर्स को नुकसान हुआ है। संबंधित कंपनियों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया गया है। छापे के दौरान 8 लाख रुपए नकद जब्त भी किए गए थे।