चुनाव का लेखा-जोखा, बीजेपी के 27 विधायक हारे, इनमें से 12 थे मंत्री, कांग्रेस के 60 विधायक घर बैठे

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Chandresh Sharma
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चुनाव का लेखा-जोखा, बीजेपी के 27 विधायक हारे, इनमें से 12 थे मंत्री, कांग्रेस के 60 विधायक घर बैठे

BHOPAL. मध्यप्रदेश में बीजेपी ने दो तिहाई बहुमत से जीत हासिल की है। पार्टी ने 2013 के चुनाव परिणामों को रिपीट कर दिया लेकिन वोटिंग परसेंट में ऐतिहासिक इजाफा किया है। बीजेपी को मध्यप्रदेश में 48.55 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। जो कि बीते चुनाव के मुकाबले 7 फीसदी से ज्यादा हैं। कांग्रेस का वोटिंग परसेंट मात्र 0.49 फीसदी कम हुआ लेकिन उसे इस वजह से 48 सीटें गंवानी पड़ी। चुनाव में केवल बीजेपी और कांग्रेस का जोर चला। सपा, बसपा, आमआदमी पार्टी या निर्दलीय किसी का खाता नहीं खुला। केवल एक सीट पर भारत आदिवासी पार्टी ने जीत दर्ज की है।

लहर में भी हारे 27 विधायक

चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि बीजेपी के पक्ष में प्रचंड लहर थी जिसे कोई देख नहीं पा रहा था। हालांकि इस लहर में भी बीजेपी के 99 में से 27 विधायक चुनाव हारे हैं। खास बात यह है कि 27 में से 12 राज्य शासन के मंत्री थे। चर्चित चेहरों में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, कृषि मंत्री कमल पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा है। उधर कांग्रेस की बात की जाए तो पार्टी ने 85 विधायकों को प्रत्याशी बनाया था, जिनमें से 60 विधायक अब पूर्व विधायक बन चुके हैं। नरोत्तम मिश्रा को कांग्रेस के राजेंद्र भारती ने 7,742 मतों से हराया। मतगणना के दौरान दोनों के बेटों में मारपीट भी हुई। रीकाउंटिंग में भी नरोत्तम को हार ही देखनी पड़ी। इधर कमल पटेल को कांग्रेस के आरके दोगने ने मात्र 870 मतों से शिकस्त दे दी।

7.53 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ा तो बीजेपी को 54 सीटों का फायदा

इस चुनाव में बीजेपी को 48.55 फीसदी वोट मिले जो अब तक का सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत है। 7.53 फीसदी वोट प्रतिशत बढ़ने के चलते बीजेपी को 54 सीटों का फायदा हुआ है। जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत आधा फीसदी के करीब कम हुआ लेकिन 48 सीटें हाथ से जाती रहीं।

मंत्रियों को यह रह परफॉर्मेंस

प्रचंड लहर के बावजूद सरकार के 31 में 12 मंत्री हार गए। यानि 39 फीसदी मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा। साल 2018 के चुनाव में सरकार के 27 मंत्रियों में से 13 चुनाव हारे थे। यानि 48 फीसदी मंत्रियों को हार का स्वाद चखना पड़ा था। सिंधिया गुट के मंत्रियों की बात की जाए तो सिंधिया खेमे के 8 में से 3 मंत्रियों के हिस्से में हार आई है। राज्यवर्द्धन दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया और सुरेश धाकड़ चुनाव हार गए। वहीं सिंधिया समर्थक रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, इमरती देवी और जजपाल सिंह जज्जी की भी हार हुई है।

इनकी रही सबसे बड़ी जीत

इस बार के विधानसभा चुनाव में सीएम शिवराज सिंह चौहान, इंदौर से रमेश मेंदोला और भोपाल से कृष्णा गौर 1 लाख से ज्यादा मतों से जीते हैं।

सबसे युवा विधायक

इस बार की विधानसभा में सबसे कम उम्र के विधायक के रूप में टिमरनी से कांग्रेस के अभिजीत शाह 31 वर्ष की उम्र में निर्वाचित हुए हैं। जबकि शहडोल से बीजेपी के शरद कोल और चाचौड़ा से बीजेपी की प्रियंका मीणा 32 वर्ष की उम्र में विधायक चुन लिए गए। वहीं उम्रदराज विधायकों की बात की जाए तो नागौद से विधायक नागेंद्र सिंह 80 बसंत पार कर चुके हैं। जबकि दमोह से जयंत मलैया और पीसीसी चीफ कमलनाथ 77 वर्ष के हैं।

197 करोड़पति तो 3 अरबपति विधायक

इस बार की विधानसभा में 197 करोड़पति विधायक चुनकर पहुंचे हैं। जिनमें से 3 तो अरबपति हैं। सबसे ज्यादा दौलतमंद विधायकों में बीजेपी के चैतन्य कुमार कश्यप, संजय पाठक और पीसीसी चीफ कमलनाथ शामिल हैं। शैक्षणिक योग्यता के खांचे में रखकर देखा जाए तो नई विधानसभा में 57 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट, 5 विधायक ग्रेजुएट, 6 एमएलए पीएचडी भी हैं। जबकि 15 विधायकों ने एलएलबी कर रखी है।

और कम हो गई महिलाएं

विधानसभा में महिला आरक्षण बिल पारित होने के बाद हुए इन चुनावों में अपेक्षाकृत कम महिलाएं निर्वाचित होकर पहुंची हैं। इस मर्तबा विधानसभा में 27 महिला विधायक हैं। जो कि पिछली विधानसभा के मुकाबले 4 कम हैं। बता दें कि बीजेपी ने इस बार 27 और कांग्रेस ने 29 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था। जिनमें से 22 बीजेपी और 5 कांग्रेस से विधायक बनने में सफल रहीं।

बागियों ने बिगाड़ा 17 सीटों पर खेल

मध्यप्रदेश में इस मर्तबा 17 सीटों पर बागियों की बगावत ने चुनाव परिणाम तय किया। इन 17 में से 9 सीटों का नुकसान बीजेपी को तो कांग्रेस को 8 सीटों का नुकसान हुआ। इन सीटों पर बागियों को मिले वोटों के कारण चुनाव परिणाम बदला।



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